सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) | 20 Aug 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) अपनी पानीपत रिफाइनरी में प्रयुक्त खाना पकाने के तेल से व्यावसायिक रूप से सतत् विमानन ईंधन/सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel- SAF) का उत्पादन शुरू करेगा, जो ISCC CORSIA (इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी एंड कार्बन सर्टिफिकेशन फॉर CORSIA) प्रमाणन प्राप्त करने के बाद होगा। यह भारत का पहला SAF संयंत्र होगा और विमानन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF)

  • परिचय: SAF (सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल) एक जैव ईंधन (बायोफ्यूल) है, जो सतत् स्रोतों (सस्टेनेबल फीडस्टॉक्स) से तैयार किया जाता है। इसका रासायनिक संरचना पारंपरिक एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) के समान होती है, और इसे बिना किसी बदलाव के मौजूदा विमान इंजनों और ढाँचे में उपयोग किया जा सकता है — इसे ही ‘ड्रॉप-इन’ फ्यूल कहा जाता है।
  • SAF के लिये संभावित फीडस्टॉक: तेल और वसा (प्रयुक्त खाना पकाने का तेल, शैवाल से प्राप्त तेल, पशु वसा, और तेल युक्त बीज), नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, कृषि/वानिकी अवशेष (गन्ने की खोई, भूसी आदि) और शर्करा और स्टार्च जिन्हें (अल्कोहल-टू-जेट) पद्धति के माध्यम से ईंधन में परिवर्तित किया जाता है।
    • ATJ (अल्कोहल-टू-जेट) पद्धति के माध्यम से शर्करा, स्टार्च या अवशेषों से प्राप्त नवीकरणीय अल्कोहल (जैसे एथेनॉल, ब्यूटेनॉल) को परिवर्तित कर हाइड्रोकार्बन-आधारित सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) बनाया जाता है।
  • महत्त्व: SAF, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 80% तक कम करता है, विमानन डीकार्बोनाइजेशन में 60% से अधिक योगदान देता है, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देता है, हरित रोज़गार सृजित करता है, तथा 50% तक ईंधन मिश्रणों का समर्थन करता है।
  • SAF को अपनाने में चुनौतियाँ: SAF को अपनाने में कई समस्याएँ सामने आती हैं, जैसे: इसकी उच्च लागत, जो पारंपरिक विमानन ईंधन की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक होती है। बुनियादी ढाँचे की कमी, जैसे उत्पादन, भंडारण और आपूर्ति प्रणाली का अभाव। फीडस्टॉक संग्रहण में कठिनाई, क्योंकि कच्चा माल मौसमी होता है और विभिन्न स्थानों पर बिखरा हुआ होता है। 

ISCC कॉर्सिया प्रमाणन

  • ISCC कॉर्सिया, ICAO’s की अंतर्राष्ट्रीय विमानन के लिये कार्बन ऑफसेटिंग एंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनेशनल एविएशन (CORSIA) का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
    • 2027 (अनिवार्य चरण) से, अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों को 2020 के स्तर से ऊपर उत्सर्जन की भरपाई करनी होगी, जिसमें SAF सम्मिश्रण एक प्रमुख अनुपालन मार्ग होगा।
  • CORSIA एक वैश्विक ICAO पहल है, जिसका उद्देश्य कार्बन ऑफसेटिंग, क्रेडिट और SAF के माध्यम से शुद्ध उत्सर्जन को 2020 के स्तर पर स्थिर करके अंतर्राष्ट्रीय विमानन CO₂ उत्सर्जन वृद्धि को सीमित करना है।

भारत का रोडमैप

  • राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने वर्ष 2027 में 1% और वर्ष 2028 में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिये 2% SAF सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है, तथा वर्ष 2027 के बाद घरेलू उड़ानों हेतु इसे अनिवार्य बनाया गया है।
  • यह नेट जीरो 2070 का समर्थन करता है, पहले कदम उठाने का लाभ देता है, एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (UCO रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देता है, और यूरोपीय एयरलाइनों के लिये निर्यात के अवसर खोलता है।

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