Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 दिसंबर, 2023 | 29 Dec 2023

अंगोला ओपेक से हुआ बाहर 

अफ्रीका के दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक, अंगोला ने घोषणा की है कि वह उत्पादन कोटा पर विवाद के कारण तेल उत्पादकों के संगठन पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) से अलग हो रहा है।

  • OPEC तथा 10 सहयोगी देशों ने अस्थिर वैश्विक कीमतों को बढ़ाने के लिये 2024 में तेल उत्पादन में और अधिक कटौती करने का फैसला किया, जो अंगोला के अनुसार, कीमतों में गिरावट से बचने और अनुबंधों का सम्मान करने की उसकी नीति के विरुद्ध है।
  • OPEC (मुख्यालय विएना, ऑस्ट्रिया में) एक स्थायी, अंतरसरकारी संगठन है, जिसे 1960 में बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला द्वारा बनाया गया था।
  • अंगोला 2007 में समूह में शामिल हुआ और कार्टेल छोड़ने वाला पहला देश नहीं है।
  • इक्वाडोर, इंडोनेशिया और कतर सभी ने ऐसा ही किया है।
  • अंगोला के OPEC से अलग होने से उसके पास 12 सदस्य रह जाएँगे।

और पढ़ें: छठी भारत-ओपेक ऊर्जा वार्ता

कोपरा MSP में वृद्धि: किसानों और बाज़ारों को प्रोत्साहन 

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने हाल ही में खोपरा/कोपरा के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की, जिससे वर्ष 2024 सीज़न के (शस्य ऋतु) मिलिंग खोपरा के लिये ₹11,160 प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिये ₹12,000 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया।

  • इन समायोजनों का लक्ष्य मिलिंग कोपरा के लिये 51.84% और बॉल कोपरा के लिये 63.26% का पर्याप्त मार्जिन सुनिश्चित करना है, जिससे केरल, तमिलनाडु व कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों को लाभ होगा।
  • भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसियों (CNA) के रूप में कार्य करेंगे, जिससे खोपरा तथा छिलके वाले नारियल की खरीद के लिये निरंतर समर्थन सुनिश्चित होगा।
  • सरकार द्वारा निर्धारित MSP, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज के लिये गारंटीकृत राशि मिले। वर्ष 1965 से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कार्यरत कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), उत्पादन लागत, बाज़ार के रुझान एवं मांग-आपूर्ति की गतिशीलता के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।

और पढ़ें: न्यूनतम समर्थन मूल्य

एर्डवार्क पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:

ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक हालिया अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति उप-सहारा अफ्रीका (सहारा रेगिस्तान के दक्षिण) में एर्डवार्क (ऑरिक्टेरोपस एफर) की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला गया है।

  • अध्ययन से एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है क्योंकि तेज़ी से शुष्क परिदृश्य एर्डवार्क  को अलग-थलग कर देते हैं, जिससे वे तेज़ी से जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
  • शुष्कीकरण (किसी क्षेत्र के शुष्क होने की एक क्रमिक प्रक्रिया) उनके वितरण और संचलन को प्रभावित करती है, जिससे दीर्घकालिक सूखे की संभावना अधिक हो जाती है, विशेष रूप से हॉर्न ऑफ अफ्रीका में।
  • एर्डवार्क, अफ्रीका का मूल निवासी रात्रिचर स्तनपायी, ट्यूबुलीडेंटाटा वर्ग से संबंधित है और इस समूह के भीतर एकमात्र जीवित प्रजाति है।
    • एर्डवार्क अफ्रीका के दक्षिणी दो-तिहाई भाग में मुख्य रूप से सवाना और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में पाए जाने वाले बिल में रहने वाले स्तनधारी हैं।
    • वे पारिस्थितिकी तंत्र के लिये आवश्यक हैं क्योंकि वे दीमकों को खाते हैं, जो मानव निर्मित संरचनाओं को हानि पहुँचा सकते हैं, और उनके बिल कई अन्य प्रजातियों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं।
    • संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची: कम चिंताजनक श्रेणी

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सरकार ने MLJK-MA को विधि विरुद्ध संगठन घोषित किया

भारत सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू एवं कश्मीर (मसरत आलम गुट) / MLJK-MA को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 (1) के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया है।

  • यह निर्णय राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में इस संगठन की कथित संलिप्तता, आतंकवाद के लिये स्पष्ट समर्थन तथा जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के प्रयासों को उकसाने में इसकी भूमिका के आलोक में लिया गया है।
  • MLJK-MA जम्मू-कश्मीर में पूर्व आतंकवादी मसर्रत आलम भट के नेतृत्त्व में एक अलगाववादी राजनीतिक संगठन है।
  • विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA), 1967 का उद्देश्य उद्देश्य शुरू में अलगाववादी आंदोलनों और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों की रोकथाम करना था, अब तक इसमें कई बार संशोधन किया गया है।
    • सबसे हालिया संशोधन वर्ष 2019 में नवीनतम में किया गया था, जिसके तहत आतंकवाद का वित्तपोषण, साइबर-आतंकवाद, और संपत्ति ज़ब्ती से संबंधित प्रावधान शामिल किये गए थे।
  • यह कानून राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को UAPA के राष्ट्रव्यापी क्षेत्राधिकार के तहत मामलों की जाँच और मुकदमा चलाने का अधिकार प्रदान करता है।
    • UAPA 1967 की धारा 3(1) के अनुसार, यदि केंद्र सरकार की राय में किसी संघ की प्रकृति विधि विरुद्ध हो गई है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से ऐसे संघ को विधि विरुद्ध घोषित कर सकती है।