Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 अप्रैल, 2023 | 20 Apr 2023

भारत के तटीय शहरों में समुद्री कचरे से निपटने के लिये गठबंधन 

दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (Centre for Science and Environment- CSE) ने पूरे भारत में समुद्री अपशिष्ट के प्रदूषण से निपटने हेतु तटीय शहरों का एक गठबंधन शुरू किया है। गठबंधन का उद्देश्य समुद्री कूड़े के प्रदूषण के गंभीर सीमा-पार के मुद्दे का समाधान करना है, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचाने के लिये ज़िम्मेदार है। लगभग 80% समुद्री कचरा भूमि-आधारित ठोस अपशिष्ट के कुप्रबंधन से आता है जो विभिन्न भूमि-से-समुद्र मार्गों के माध्यम से समुद्र तक पहुँचता है। गठबंधन प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में समाप्त होने वाले सभी अपशिष्ट का 90% हिस्सा है। भारत लगभग 460 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है, जिसमें से लगभग 8 मिलियन टन (2.26%) समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में रिसाव हो जाता है। CSE के अनुसार, दक्षिण एशियाई समुद्र विशेष रूप से प्रभावित होते हैं, हर दिन उनमें टनों प्लास्टिक कचरे का रिसाव होता है, जो प्रतिवर्ष 5.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे के लिये ज़िम्मेदार है। नौ राज्यों और 66 तटीय ज़िलों में भारत की 7,517 किलोमीटर की तटरेखा लगभग 250 मिलियन लोगों और समृद्ध जैवविविधता का आवास है। CSE ने एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध जैसी नीतियों को लागू करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और समुद्री अपशिष्ट के प्रदूषण में योगदान देने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन करने के लिये निर्माता की ज़िम्मेदारी को सख्ती से बढ़ाया।

और पढ़ें… समुद्री प्रदूषण 

भारत में दूध की कीमतें और उत्पादन 

भारत में वर्ष 2021 से दूध की कीमतों में वृद्धि देखने को मिली है और विभिन्न ब्रांडों के दूध के दामों में कई बार बढ़ोतरी देखी गई है, भारत में एक लीटर दूध की औसत कीमत अप्रैल 2023 में 57 रुपए तक पहुँच गई है जो पिछले वर्ष की तुलना में 12% अधिक है। लखनऊ और गुवाहाटी में दूध की कीमतें सबसे अधिक हैं, जबकि बंगलूरू और चेन्नई जैसे दक्षिणी शहरों में दूध की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं। दूध की कीमतों में उच्च मुद्रास्फीति का प्रमुख कारण खुदरा मुद्रास्फीति में हुई वृद्धि को माना जा सकता है। भारत में दुग्ध उत्पादन में कमी आने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें COVID-19 महामारी के दौरान मांग में कमी, मवेशियों और भैंसों को प्रभावित करने वाली गाँठदार त्वचा की बीमारी का प्रकोप आदि हैं जिसके परिणामस्वरूप दूध की पैदावार कम हो रही है तथा चारे की उच्च कीमतें इसके उत्पादन की लागत में वृद्धि कर रही हैं। भारत विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, हाल के वर्षों में इसमें कमी आई है, वित्त वर्ष 2018 में इसकी विकास दर 6.6% थी। अगर मौजूदा परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं आता है तो इससे निपटने के लिये दुग्ध उत्पादों के आयात की संभावना को देखते हुए सरकार मक्खन और घी के आयात सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।

और पढ़ें… राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

माँ कामाख्या कॉरिडोर 

भारत के प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि माँ कामाख्या कॉरिडोर, काशी विश्वनाथ धाम (उत्तर प्रदेश के वाराणसी) और श्री महाकाल महालोक कॉरिडोर (उज्जैन, मध्य प्रदेश) की तरह ही एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान बन जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम और श्री महाकाल महालोक ने कई लोगों के आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाया है और पर्यटन में वृद्धि के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद की है। माँ कामाख्या कॉरिडोर एक प्रस्तावित बुनियादी ढाँचा परियोजना है जिसका उद्देश्य गुवाहाटी, असम, भारत में कामाख्या मंदिर तीर्थस्थल का नवीनीकरण और विकास करना है। इच्छा की देवी को समर्पित माँ कामाख्या मंदिर, जिसे कामेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, गुवाहाटी में नीलांचल पर्वत पर स्थित है। धरती पर मौजूद 51 शक्तिपीठों में माँ कामाख्या देवालय को सबसे पुराना और सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यह तांत्रिक शक्तिवाद पंथ का केंद्र है, जिसका भारत में महत्त्वपूर्ण अनुसरण किया जाता है।

और पढ़े… काशी विश्वनाथ धाम, श्री महाकाल महालोक कॉरिडोर, 

साथी पोर्टल

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण (Union Agriculture and Farmers Welfare- MoA & FW) मंत्री ने बीज उत्पादन, गुणवत्तापूर्ण बीज पहचान और बीज प्रमाणीकरण में चुनौतियों का समाधान करने हेतु साथी/SATHI (बीज ट्रेसबिलिटी, प्रमाणीकरण और समग्र सूची) पोर्टल एवं मोबाइल एप लॉन्च किया है। यह प्रणाली राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) द्वारा MoA तथा FW के सहयोग से 'उत्तम बीज - समृद्ध किसान' की थीम के साथ विकसित की गई है। SATHI पोर्टल कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने हेतु महत्त्वपूर्ण कदम है, साथ ही जब ज़मीनी स्तर पर इसका उपयोग किया जाएगा तो यह कृषि में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। यह पोर्टल गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली सुनिश्चित करेगा, बीज उत्पादन शृंखला में बीज के स्रोत की पहचान करेगा एवं QR कोड के माध्यम से बीजों का पता लगाएगा। इस प्रणाली में बीज शृंखला के सात कार्यक्षेत्र शामिल होंगे - अनुसंधान संगठन, बीज प्रमाणन, बीज लाइसेंसिंग, बीज सूची, किसान बिक्री हेतु डीलर, किसान पंजीकरण व बीज DBT। वैध प्रमाणीकरण वाले बीज ही वैध लाइसेंस प्राप्त डीलरों द्वारा केंद्रीय रूप से पंजीकृत किसानों को बेचे जा सकते हैं, जिन्हें सीधे अपने पूर्व-सत्यापित बैंक खातों में DBT के माध्यम से सब्सिडी प्रदान की जाएगी।