प्रिलिम्स फैक्ट्स: 05 नवंबर, 2020 | 05 Nov 2020

लुहरी जल विद्युत परियोजना 

Luhri Hydro Electric Project

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के आर्थिक मामलों की समिति ने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू एवं शिमला ज़िलों में सतलज नदी (Satluj River) पर स्थित 210 मेगावाट क्षमता वाली लुहरी जल विद्युत परियोजना (Luhri Hydro Electric Project) के प्रथम चरण के लिये 1810.56 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।

लुहरी जल विद्युत परियोजना: 

  • इस जल विद्युत परियोजना से प्रतिवर्ष 758.20 मिलियन विद्युत यूनिट का उत्पादन होगा।
  • इस परियोजना में भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की सक्रिय भागीदारी है।
  • इस परियोजना को बिल्ड–ओन–ऑपरेट–मेंटेन (Build-Own-Operate-Maintain- BOOM) आधार पर सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (Satluj Jal Vidyut Nigam Limited- SJVNL) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।

बिल्ड–ओन–ऑपरेट–मेंटेन

(Build-Own-Operate-Maintain- BOOM):

BOOM

सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL):

  • SJVN लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन  शेड्यूल–'ए' मिनी रत्न श्रेणी-। के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है जिसकी स्थापना 24 मई, 1988 को भारत सरकार तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में की गई थी।
  • SJVN अब एक सूचीबद्ध कंपनी है जिसमें उसके शेयरहोल्डर पैटर्न के तहत भारत सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार एवं जनता का क्रमशः 59.92%, 26.85% एवं 13.23% का इक्विटी अंशदान शामिल है।
  • इस परियोजना से संबंधित समझौता ज्ञापन पर नवंबर, 2019 में आयोजित ‘राइजिंग हिमाचल, ग्लोबल इन्वेस्टर मीट’ (Rising Himachal, Global Investor Meet) के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ हस्ताक्षर किये गए थे और इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय प्रधानमंत्री ने 7 नवंबर, 2019 को किया था।
  • भारत सरकार इस परियोजना में आधारभूत ढाँचे के विकास के लिये 66.19 करोड़ रुपए का अनुदान उपलब्ध कराकर सहायता प्रदान कर रही है जिससे बिजली की दरों में कमी लाने में मदद मिलेगी।

लुहरी जल विद्युत परियोजना से लाभ:

  • लुहरी जल विद्युत परियोजना का प्रथम चरण 62 महीनों में शुरू हो जाएगा और इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली विद्युत से ग्रिड स्थायित्व में मदद मिलेगी तथा विद्युत आपूर्ति में सुधार होगा। 
  • विद्युत ग्रिड को महत्त्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराने के अलावा वातावरण में प्रतिवर्ष उत्सर्जित होने वाली 6.1 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में भी इस परियोजना से कमी आएगी और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। 
  • इस परियोजना की निर्माणात्मक गतिविधियों से लगभग 2000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा।
  • इस परियोजना की समयावधि 40 वर्ष है और इससे हिमाचल प्रदेश को 1140 करोड़ रुपए मूल्य की निःशुल्क बिजली मिलेगी।
  • इस परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों को अगले 10 वर्ष तक प्रतिमाह 100 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।

सतलज नदी (Satluj River):

  • सतलज नदी उन पाँच नदियों में सबसे लंबी नदी है जो उत्तरी भारत एवं पाकिस्तान में पंजाब के ऐतिहासिक क्षेत्र से होकर बहती हैं।
  • सतलज नदी को ‘सतद्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंधु नदी की सबसे पूर्वी सहायक नदी है।
  • इसका उद्गम सिंधु नदी के स्रोत से 80 किमी. दूर पश्चिमी तिब्बत में मानसरोवर झील के समीप राकसताल झील से होता है।
  • सिंधु की तरह यह तिब्बत-हिमाचल प्रदेश सीमा पर शिपकी-ला दर्रे तक एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग को अपनाती है। यह शिवालिक शृंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है।
  • पंजाब के मैदान में प्रवेश करने से पहले यह ‘नैना देवी धार’ में एक गाॅर्ज का निर्माण करती है जहाँ प्रसिद्ध भाखड़ा बाँध का निर्माण किया गया है।
  • रूपनगर (रोपड़) क्षेत्र में मैदान में प्रवेश करने के बाद यह पश्चिम की ओर मुड़ती है और हरिके नामक स्थान पर ब्यास नदी में मिल जाती है।
  • फिरोज़पुर के पास से लेकर फाज़िल्का तक यह भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 120 किलोमीटर तक सीमा बनाती है।
  • अपनी आगे की यात्रा के दौरान यह रावी, चिनाब और झेलम नदियों के साथ सामूहिक जलधारा के रूप में मिठानकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी में मिल जाती है।

पिनाका रॉकेट प्रणाली 

PINAKA Rocket System 

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) ने पिनाका रॉकेट प्रणाली (PINAKA Rocket System) के अत्याधुनिक रॉकेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

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प्रमुख बिंदु:

  • यह परीक्षण ओडिशा स्थित चांदीपुर एकीकृत परीक्षण केंद्र से 4 नवंबर, 2020 को किया गया। 
  • इस अत्याधुनिक रॉकेट को पुणे स्थित DRDO प्रयोगशालाओं, ARDE और HEMRL द्वारा डिज़ाइन एवं विकसित किया गया है।
  • यह अत्याधुनिक रॉकेट मौजूदा पिनाका-एमके-1 (Pinaka-Mk-1) रॉकेटों का स्थान लेगा  जिनका उत्पादन अभी भी जारी है।

पिनाका (PINAKA): 

  • यह ऑल-वेदर, इनडायरेक्ट फायर, फ्री फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है।
  • यह अद्वितीय क्षमता प्रदान करता है जो एक लीथल एंड रिस्पांसिव फायर (Lethal and Responsive Fire) को सटीक रूप से वितरित करने में मदद करता है। 
  • इस हथियार प्रणाली में रॉकेट, बैटरी कमांड पोस्ट (Battery Command Post), लोडर कम रिप्लेसमेंट व्हीकल (Loader cum Replenishment Vehicle), रिप्लेसमेंट व्हीकल (Replenishment Vehicle) और डिजीकोरा मेट रडार (Digicora MET Radar) और मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर (Multi Barrel Rocket launcher) शामिल हैं।
  • मेड-इन-इंडिया प्रणाली एक नए निर्देशित रॉकेट का उपयोग कर रही है जिसमें इज़रायल द्वारा डिज़ाइन किया गया ‘ट्रैजेक्टरी कंट्रोल सिस्टम’ (Trajectory Control System- TCS) है। इसका परीक्षण वर्ष 2013 में किया गया था और उस समय इसकी रेंज 65 किमी. थी।
  • DRDO पिनाका रॉकेट प्रणाली की रेंज 120 किलोमीटर तक करने के लिये प्रयासरत है। वर्ष 2019 में कई परीक्षणों के बाद 90 किमी. तक की रेंज हासिल कर ली गई थी।

नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज

Nurturing Neighborhoods Challenge

4 नवंबर, 2020 को केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (Union Housing and Urban Affairs Ministry) ने छोटे बच्चों, देखभाल करने वालों और परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हेतु शहरों के लिये ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ (Nurturing Neighborhoods Challenge) की शुरुआत की।

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उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य बच्चों एवं परिवारों के लिये शहरी बुनियादी ढाँँचे में सुधार हेतु मदद करना है।  

प्रमुख बिंदु:

  • ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ (Nurturing Neighborhoods Challenge) की शुरुआत देशभर के 100 स्मार्ट शहरों, 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के लिये की गई है।
  • तीन वर्ष की अवधि के दौरान ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ के तहत शहरों की निम्नलिखित तरीके से मदद की जाएगी:
    • पार्क एवं खुले स्थानों की पुनर्स्थापना करना।
    • बचपन की शुरुआती सुविधाओं तक पहुँच में सुधार करना। 
    • बचपन उन्मुख सुविधाओं के साथ सार्वजनिक स्थानों को अनुकूलित करना।
    • छोटे बच्चों एवं परिवारों के लिये सुलभ, सुरक्षित, टहलने योग्य सड़कों का निर्माण करना।
  • शहरों में परिवारों के सम्मुख अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन के साथ-साथ भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और बच्चों की देखभाल से संबंधित कई चुनौतियाँ हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और बच्चों को एक गुणवत्तापूर्ण जीवन शैली प्रदान करने के लिये शहरी नियोजन एवं डिज़ाइन प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
  • यह कार्यक्रम ‘डब्ल्यूआरआई इंडिया’ (WRI lndia) से मिली तकनीकी सहायता के साथ नीदरलैंड के ‘बर्नार्ड वॉन लीर फाउंडेशन’ (Bernard van Leer Foundation) के सहयोग से आयोजित किया गया।
  • इसके अतिरिक्त केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों मंत्रालय ने दो अन्य पहलों की भी शुरुआत की है।
    • डेटा परिपक्वता मूल्यांकन फ्रेमवर्क चक्र-2 (Data Maturity Assessment Framework Cycle-2) 
    • शहरी डेटा अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programme for City Data Officers)

डेटा परिपक्वता मूल्यांकन फ्रेमवर्क चक्र-2

(Data Maturity Assessment Framework Cycle-2): 

  • यह ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ की ‘डेटा स्मार्ट सिटी (Data Smart Cities) पहल’ के तहत 'डेटा की संस्कृति' (Culture of Data) के निर्माण में शहरों का समर्थन करेगा।
  • उद्देश्य: 
    • इस ढाँचे का मुख्य उद्देश्य शहर स्तर पर सक्षम नीतियों, शासन संरचनाओं, डेटा प्रबंधन, क्षमता निर्माण और हितधारक जुड़ाव के पहलुओं को कवर करने वाले मानकीकृत ढाँचे के संबंध में शहरों को अपनी स्वयं की डेटा परिपक्वता का आकलन करने में सक्षम बनाना है। 
  • इससे नवोन्मेष, सहयोग, सह-निर्माण और अकादमिक अनुसंधान के लिये डेटा संस्कृति के लोकतंत्रीकरण में सक्षम भूमिका निभाने की उम्मीद जताई गई है। 

उल्लेखनीय है कि स्मार्ट शहरों के अलावा अन्य शहरों को शामिल करने के लिये इस चक्र के मूल्यांकन का विस्तार किया गया है।

शहरी डेटा अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम

(Training Programme for City Data Officers):

  • शहरी देता अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) के साथ 6 सप्ताह का निर्देशित ई-लर्निंग कोर्स शुरू करने के लिये साझेदारी की है जिसे 'शहरी स्थानीय निकायों में डेटा आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाना' (Enabling Data Driven Decision Making in Urban Local Bodies) कहा जाता है।
  • 100 स्मार्ट शहरों में नियुक्त सिटी डेटा ऑफिसर्स (CDO) के लिये विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया यह अभ्यास-आधारित डिजिटल कोर्स डेटा संग्रह, विश्लेषण एवं रूपरेखा के लिये बुनियादी तथा उन्नत प्रकृति के CDO तैयार करेगा। 
  • CDO को प्रभावी डेटा-संचालित शासन के सिद्धांतों को समझने के लिये सक्षम बनाया जाएगा।

गौरतलब है कि ‘टाटा ट्रस्ट्स’ ने वर्ष 2016 से अपने डेटा आधारित प्रशासन (Data Driven Governance- DDG) पोर्टफोलियो के माध्यम से शहरी एवं ग्रामीण स्थानीय सरकारों के लिये डेटा आधारित निर्णय लेने की आवश्यकता एवं प्रासंगिकता स्थापित करने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य किया है।