प्लास्टिक-अपघटनकारी सूक्ष्मजीव | 02 Sep 2025
सुंदरबन के जंगल में किये गए एक अध्ययन में प्लास्टिक-अपघटनकारी सूक्ष्मजीवों (Plastic-Degrading Microbes) और एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस जीन (ARGs) के बीच एक चिंताजनक संबंध पाया गया है, जो प्रदूषण के उस नए पहलू को उजागर करता है जो एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस (AMR) संकट को और गंभीर बना सकता है।
- सुंदरबन, जो विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, प्रतिदिन लगभग 3 अरब माइक्रोप्लास्टिक कण प्राप्त करता है, जो गंगा-ब्रह्मपुत्र सहित नदियों के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में पहुँचते हैं।
- यह प्लास्टिक-अपघटनकारी एंज़ाइमों (PDE) वाले सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है, जिनमें अक्सर एंटीबायोटिक और मेटल रेज़िस्टेंस जीन होते हैं।
- पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) जैसे अजैव अपघटनीय प्लास्टिक पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं, जल स्रोतों में इकट्ठा होते हैं और प्रदूषकों को, जिनमें भारी धातुएँ और एंटीबायोटिक्स शामिल हैं, अवशोषित कर लेते हैं।
- ये सूक्ष्म प्लास्टिक (माइक्रोप्लास्टिक) प्रतिरोधी जीन वाले बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जिससे एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस (AMR) के प्रसार को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
माइक्रोप्लास्टिक
- माइक्रोप्लास्टिक 5 मिमी से कम आकार के प्लास्टिक के टुकड़े (100 नैनोमीटर से कम आकार के नैनोप्लास्टिक) होते हैं जो पराबैंगनी विकिरण, हवा और समुद्री धाराओं के माध्यम से बड़े प्लास्टिक के टूटने से बनते हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक पारिस्थितिक तंत्र में बने रहते हैं, समुद्री जीवन और खाद्य शृंखलाओं को नुकसान पहुँचाते हैं तथा निगलने, साँस लेने या त्वचा के संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में प्रवेश करते हैं, जिससे कोशिकाएँ, प्रतिरक्षा प्रणाली, हार्मोन और हृदय प्रणाली प्रभावित होती हैं।
- वैश्विक स्तर पर इस समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) प्लास्टिक संधि के माध्यम से किया जा रहा है, जबकि भारत में इसे सिंगल-यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (2016 और 2024) के तहत संबोधित किया गया है।
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