भारत का पहला बाँस-आधारित इथेनॉल संयंत्र | 15 Sep 2025
प्रधानमंत्री ने असम के गोलाघाट में भारत के पहले बाँस-आधारित बायोएथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया, जो ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा संवर्द्धन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- आर्थिक प्रभाव: यह बायोएथेनॉल संयंत्र प्रतिवर्ष असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से 5 लाख टन बाँस की खरीद करेगा। यह परियोजना स्थानीय किसानों तथा जनजातीय समुदायों को लाभ पहुँचाएगी तथा असम की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लगभग 200 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन के बाद, बाँस को अब वृक्ष की श्रेणी में नहीं रखा गया है, जिससे इसके कटान पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। यह बदलाव वन क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों और निजी स्तर पर बाँस उगाने वालों की आजीविका को समर्थन प्रदान करता है।
- यह भारत के विकसित भारत दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और हरित ऊर्जा पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है तथा इसका उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना है।
- बायोएथेनॉल: यह एक उच्च-ऑक्टेन जैव ईंधन (C2H5OH) है जो मक्का, गन्ना, अनाज, बाँस और सब्जी के अवशेषों जैसे बायोमास से जैविक रूप से उत्पादित किया जाता है।
- इसका उपयोग मुख्य रूप से गैसोलीन में योजक के रूप में किया जाता है तथा अब इंजन शुद्ध इथेनॉल को जलाने में सक्षम हैं।
- प्रमुख उत्पादन चरणों में शर्करा का किण्वन, स्टार्च या सेल्यूलोज़ का पूर्व-प्रसंस्करण, आसवन, और ईंधन गुणवत्ता वाले एथेनॉल के लिये निर्जलीकरण शामिल हैं।
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