पाइरीन उपचार के लिये कवक | 08 Aug 2022

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के शोधकर्त्ताओं ने पर्यावरण से विषाक्त, अनिर्देशित (आसानी से नियंत्रित नहीं) और कार्सिनोजेनिक पाइरीन या पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) को हटाने में सक्षम एक कवक की पहचान की है।

  • शोधकर्त्ताओं ने अपने अध्ययन के लिये गैस क्रोमैटोग्राफिक-मास स्पेक्ट्रोमीटर और सीरोटोम विश्लेषण का इस्तेमाल किया।
  • प्रमुख मेटाबोलाइट्स की गैस (क्रोमैटोग्राफिक-मास स्पेक्ट्रोमेट्रिक) ने पाइरीन डिग्रेडेशन पाथवे को निर्धारित करने में मदद की और पाइरीन डिग्रेडेशन में सेरोटोम विश्लेषण ने पाइरीन के डिग्रेडेशन मैकेनिज़्म को समझने में मदद की।

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पाइरीन:

  • पाइरीन, जिसमें चार बेंजीन रिंग होते हैं, PAHs के अत्यधिक विषैले वर्ग के अंतर्गत आता है, इसमें कार्सिनोजेनिक और उत्परिवर्तन गुण होते हैं।
  • यह मिट्टी, पानी और वातावरण जैसे पर्यावरणीय मैट्रिक्स में जमा हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप व्यापक पर्यावरण प्रदूषण होता है तथा दूषित पर्यावरणीय मैट्रिक्स के पर्याप्त उपचार की आवश्यकता होती है।
  • आर्थिक विकास और औद्योगीकरण की तीव्र गति ने पर्यावरण में कई PAHs उत्सर्जित किये हैं।
  • PAHs रसायनों का एक वर्ग है जो स्वाभाविक रूप से कोयले, कच्चे तेल और गैसोलीन में पाया जाता है। ये सर्वव्यापी पर्यावरण प्रदूषक हैं जो कई स्रोतों से उत्पन्न होते हैं जिनमें पेट्रोजेनिक जीवाश्म ईंधन का दहन, और नगरपालिका कचरे तथा बायोमास का अधूरा भस्मीकरण शामिल है।

निष्कर्ष:

  • एक सफेद दुर्गंधयुक्त युक्त कवक Trametesmaxima IIPLC-32 की पहचान की गई जिसमें पाइरीन के माइक्रोबियल क्षरण का कारण बनने की क्षमता है।
  • मृत पौधों पर उगने वाला यह कवक विशेष एंजाइमों का उपयोग करके पाइरीन क्षरण का कारण बनता है।
    • पाइरीन की मात्रा 16 दिनों के भीतर क्रमशः 10 मिलीग्राम प्रति लीटर, 25 मिलीग्राम प्रति लीटर और 50 मिलीग्राम प्रति लीटर के प्रारंभिक स्तर से 79.8%, 65.37% और 56.37% घट गई।
  • यह कवक मिट्टी के प्रदूषण स्तर को कम करने का काम करता है।

निहितार्थ:

  • कवक माइक्रोबियल क्षरण का कार्य करता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • कवक (टी.मैक्सिमा) विशेष रूप से पाइरीन के उपचार में मददगार साबित हो सकता है।

अनुशंसाएँ:

  • आर्थिक विकास और औद्योगीकरण की तीव्र गति के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिये पर्यावरण में पहले से ही संसाधन मौजूद हैं, जिनका हमें उचित रूप से दोहन करना चाहिये।
  • maxima IIPLC-32 को भविष्य में PAH-दूषित जलीय वातावरण के बायोरेमेडिएशन के लिये उपयोग किया जा सकता है।

बायोरेमेडिएशन:

  • बायोरेमेडिएशन जैव प्रौद्योगिकी की एक शाखा है जिसमें प्रभावित क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिये जीवित जीवों, जैसे- रोगाणुओं और जीवाणुओं का उपयोग किया जाता है।
  • इसे उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें पर्यावरण में मौजूद दूषित पदार्थों को उनकी मूल स्थिति से हटाने एवं बेअसर करने के लिये सूक्ष्मजीवों या उनके एंज़ाइमों का उपयोग किया जाता है।
  • इसका उपयोग मिट्टी, पानी और अन्य वातावरण से दूषित पदार्थों, प्रदूषकों एवं विषाक्त पदार्थों को हटाने में किया जाता है।
  • तेल रिसाव या दूषित भूजल को साफ करने के लिये बायोरेमेडिएशन का उपयोग किया जाता है।
  • बायोरेमेडिएशन "इन सीटू" - संदूषण स्थल पर या "एक्स सीटू" - संदूषण स्थल से दूर किया जा सकता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित जीवों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. एगैरिकस
  2. नॉस्टॉक
  3. स्पाइरोगाइरा

उपर्युक्त में से कौन-सा/से जैव उर्वरक के रूप में प्रयुक्त होता है/होते हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: B

व्याख्या:

  • जैव उर्वरक ऐसे उत्पाद हैं जिनमें वाहक आधारित (ठोस या तरल) जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो मिट्टी या फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिये नाइट्रोजन निर्धारण, फास्फोरस घुलनशीलता या पोषक तत्त्वों के संग्रहण में उपयोगी होते हैं।
  • सूक्ष्मजीव के आधार पर जैव उर्वरकों का वर्गीकरण:
    • जीवाण्विक जैव उर्वरक: राइज़ोबियम, एज़ोस्पिरिलियम, एज़ोटोबैक्टर, फॉस्फोबैक्टीरिया, नोस्टोक आदि। अतः कथन 2 सही है।
    • फफूंद जैव उर्वरक: माइकोराइज़ा
    • शैवाल जैव उर्वरक: ब्लू ग्रीन शैवाल (BGA) और एज़ोला।
    • एक्टिनोमाइसेट्स जैव उर्वरक: फ्रेंकिया।
  • एगारिकस खाद्य कवक है और इसे आमतौर पर मशरूम के रूप में जाना जाता है। यह सैप्रोफाइटिक कवक है जो मृदा के ह्यूमस पर, जंगल की सतह पर, खेतों, लॉन, लकड़ी के लॉग और खाद के ढेर पर सड़ने वाले कूड़े पर उगता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • स्पाइरोगाइरा मीठे जल के हरे शैवाल का बड़ा जीनस है जो उथले तालाबों, खाइयों और बड़ी झीलों के किनारों पर वनस्पतियों के बीच पाया जाता है, जो आमतौर पर मुक्त रूप से तैरते रहते हैं। यह मानव उपभोग के लिये मूल्यवान है, और एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी इन्फ्लैमटॉरी और साइटोटोक्सिक उद्देश्यों हेतु प्राकृतिक जैव-सक्रिय यौगिकों के महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में जाना जाता है। अत: 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (b) सही है।


प्रश्न: लाइकेन जो एक नग्न चट्टान पर भी पारिस्थितिकी अनुक्रम को प्रारंभ करने में सक्षम है, का वास्तव में किससे सहजीवी सहचर्य है? (2014)

(a) शैवाल और बैक्टीरिया
(b) शैवाल और कवक
(c) बैक्टीरिया और कवक
(d) कवक और काई

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • लाइकेन एक अकेला जीव नहीं है बल्कि यह विभिन्न जीवों के बीच सहजीवन है- कवक और शैवाल या साइनोबैक्टीरियम। साइनोबैक्टीरिया को कभी-कभी 'नीला-हरा शैवाल' कहा जाता है, हालाँकि वे शैवाल से काफी अलग होते हैं।
  • लाइकेन पहले जीवों में से हैं जिन्होंने बंजर सतहों (जैसे, सड़क, रॉक आउटक्रॉप्स और ज्वालामुखी राख) पर आवास बनाया तथा इन क्षेत्रों को नमी एवं वायु में उड़ने वाले कार्बनिक अवसाद को अवशोषित करके पौधों को तैयार किया और फिर जैविक निक्षेपण (जब वे स्वयं नष्ट या क्षय हो गए) में परवर्तित हो ग।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ