इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण योजना (ECMS) | 03 Oct 2025
भारत की इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण योजना (ECMS) को 13 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जो इसके लक्ष्य से लगभग दोगुना है। MSME की 60% भागीदारी के साथ, इस योजना से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, आयात पर निर्भरता कम होगी और प्रत्यक्ष रूप से 1.41 लाख नौकरियों का सर्जन होगा, जिससे भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक केंद्र बनने की दिशा में और सफलता मिलेगी।
- परिचय: भारत सेमीकंडक्टर मिशन के पूरक के रूप में अप्रैल 2025 में शुरू की गई ECMS का लक्ष्य घरेलू मूल्य संवर्द्धन (DVA) को बढ़ावा देकर और भारतीय फर्मों को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (GVC) से जोड़कर तैयार माल और चिप निर्माण से आगे बढ़कर भारत की इलेक्ट्रॉनिक मूल्य शृंखला का सुदृढ़ीकरण करना है।
- ECMS ऑटोमोबाइल, बिजली और औद्योगिक क्षेत्रों के साथ क्षैतिज संबद्धता (आपूर्ति शृंखला में समान स्तर के प्रतिभागियों के बीच संबंध एवं सहयोग) में सहायक है।
- योजना अवधि: 6 वर्ष (1 वर्ष की उत्पादन/निर्माण पूर्व अवधि) अर्थात् वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2031-32 तक।
- प्रोत्साहन संरचना: ECMS के अंतर्गत टर्नओवर-लिंक्ड, कैपेक्स-लिंक्ड या हाइब्रिड राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा, जिसमें टर्नओवर और कैपेक्स दोनों प्रोत्साहनों का एक हिस्सा रोज़गार सृजन से संबद्ध है।
- प्रोत्साहन फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर उन कंपनियों को प्रदान किये जाएंगे जो प्रारंभिक उत्पादन के लिये तैयार हैं।
- महत्त्व: इलेक्ट्रॉनिक्स भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक क्षेत्र है और देश वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है। उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) और सेमीकंडक्टर पहलों के साथ, ECMS वर्ष 2030-31 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम का निर्माण किये जाने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
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