उन्नत रडार के साथ ड्रोन रक्षा | 08 Sep 2025
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारतीय सेना लो रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) हवाई खतरों का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिये उन्नत रडार खरीदकर ड्रोन रक्षा को मज़बूत करने की योजना बना रही है।
- ये राडार भारतीय सेना के आकाशतीर वायु रक्षा कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क में जुड़ेंगे, जिससे रीयल-टाइम ट्रैकिंग में सुधार होगा।
- उन्नत राडारों की प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ:
- लो लेवल लाइट वेट राडार (इम्प्रूव्ड) – LLLR-I: AESA आधारित 3D राडार, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में 50 कि.मी. के दायरे में 100 से अधिक हवाई लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता है।
- लो लेवल लाइट वेट राडार (उन्नत) – LLLR-E: इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS) और पैसिव RF डिटेक्शन जोड़ा गया है, जो ड्रोन की दिन-रात और गुप्त ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करता है।
- एयर डिफेंस फायर कंट्रोल राडार – ड्रोन डिटेक्टर (ADFCR-DD): यह वाहन-स्थापित प्रणाली है जो राडार, फायर कंट्रोल और IFF को एकीकृत करती है, ताकि गनफायर और VSHORADS (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम) मिसाइलों का समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
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