वर्ष 2027 की जनगणना में विमुक्त जनजातियों की गणना शामिल | 24 Dec 2025
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने आगामी जनगणना 2027 में विमुक्त जनजातियों (Denotified Tribes—DNTs) को शामिल करने की सिफारिश की है। इससे स्वतंत्र भारत में पहली बार तथा औपनिवेशिक काल 1911 की जनगणना के बाद उनकी आधिकारिक गणना (Enumeration) की जाएगी।
- उनकी अंतिम गणना 1911 की जनगणना में आपराधिक जनजातियों की औपनिवेशिक श्रेणी के तहत की गई थी। तब से किसी भी आधिकारिक जनगणना में उनकी जनसंख्या दर्ज नहीं की गई है।
- असूचित जनजातियाँ: असूचित जनजातियाँ वे समुदाय थे जिन्हें दमनकारी आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत ‘आपराधिक जनजातियों’ के रूप में ब्रांडेड किया गया था, जिसे वर्ष 1949 में निरस्त कर दिया गया था।
- उन्हें आपराधिक जनजातियाँ कहा जाता था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि वे "गैर-जमानती अपराधों को व्यवस्थित रूप से अंजाम देने के आदी" थे।
- वर्गीकरण संबंधी मुद्दे: इनमें से कई समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, जिससे वे आरक्षण लाभों और लक्षित कल्याणकारी योजनाओं के दायरे से बाहर रह जाते हैं।
- सरकारी समितियों के निष्कर्ष: रेनके आयोग (2008) ने गैर-अधिसूचित जनजातियों की जनसंख्या लगभग 10-12 करोड़ होने का अनुमान लगाया था।
- इडेट आयोग (2014) ने 1,200 से अधिक समुदायों को गैर-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों के रूप में पहचाना।
- घुमंतू जनजातियाँ गतिशील जीवन शैली अपनाती हैं, वे पशुपालन, व्यापार या सेवाओं के माध्यम से आजीविका चलाने के लिये स्थायी बस्तियों के बिना समय-समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती रहती हैं। उदाहरण के लिये, बंजारा, रबारी।
- अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियाँ मौसमी प्रवास को आंशिक बसावट के साथ जोड़ती हैं, अक्सर पशुओं को मौसमी रूप से स्थानांतरित करते हुए एक आधार बनाए रखने का अभ्यास करती हैं, जैसे कि गद्दी, मालधारी ।
- घुमंतू जनजातियाँ एक गतिशील जीवन-शैली अपनाती हैं। ये लोग पशुपालन, व्यापार या सेवाओं के माध्यम से आजीविका अर्जित करते हुए स्थायी बस्तियों के बिना समय-समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहते हैं, जैसे बंजारा और रबारी।
- अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियाँ मौसमी प्रवास को आंशिक स्थायित्व के साथ अपनाती हैं। वे प्रायः पशुओं के साथ ऋतु-आधारित आवागमन करते हुए किसी एक स्थान को आधार के रूप में बनाए रखती हैं, जैसे गद्दी और मालधारी।
- इडेट आयोग (2014) ने 1,200 से अधिक समुदायों को गैर-अधिसूचित, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों के रूप में पहचाना।
- DNT से संबंधित अन्य समितियाँ:
- अय्यंगार समिति (1949): इस समिति की सिफारिश के आधार पर आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 को निरस्त कर दिया गया था।
- लोकुर समिति (1965): इसने गैर-अधिसूचित और खानाबदोश समुदायों को अनुकूलित विकास योजनाओं के लिये एक अलग समूह के रूप में मानने की सिफारिश की।