ब्रह्मोस मिसाइल का पोत-रोधी संस्करण | 29 Apr 2022

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय नौसेना एवं अंडमान और निकोबार कमान द्वारा संयुक्त रूप से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के पोत-रोधी संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

  • अंडमान और निकोबार कमान भारतीय सशस्त्र बलों की एकमात्र त्रि-सेवा कमान है।

Brahmos

ब्रह्मोस के बारे में:

  • ब्रह्मोस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (The Defence Research and Development Organisation) तथा रूस के NPOM का एक संयुक्त उद्यम है।
    • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। 
  • यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है। 
  • यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे ज़मीन, हवा और समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से     सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात दोनों में काम कर सकती है।
  • यह "दागो और भूल जाओ" के सिद्धांत पर काम करती है, यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं रहती है।
  • ब्रह्मोस सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है जो वर्तमान में 2.8 मैक की गति (ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना) के साथ सक्रिय रूप से तैनात है।
  • इससे पहले भारतीय वायु सेना (IAF) ने सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
  • हाल ही में भारतीय नौसेना ने भी हिंद महासागर में स्टील्थ डिस्ट्रॉयर से ब्रह्मोस मिसाइल के एक उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
    • जून 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime- MTCR) क्लब में भारत के शामिल होने के बाद मिसाइल की रेंज को बाद के चरण में 450 किमी. और 600 किमी. तक विस्तारित करने की योजना है।
    • ब्रह्मोस मिसाइल को शुरू में 290 किमी. की सीमा के साथ विकसित किया गया था।

भारत द्वारा रूस से खरीदे गए रक्षा उपकरण:

  • पनडुब्बियांँ: पी75-आई परियोजना (P75-I Project) के तहत छह एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (Air Independent Propulsion-AIP-powered) पारंपरिक पनडुब्बियांँ।
    • भारत द्वारा दो परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बियों को लीज पर देने हेतु बातचीत चल रही है । 
  • फ्रिगेट और गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर: नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसकों में से चार रूसी काशीन श्रेणी के हैं और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार श्रेणी के हैं।
  • विमान वाहक: भारत की सेवा में एकमात्र विमान वाहक आईएनएस विक्रमादित्य एक सोवियत निर्मित कीव-श्रेणी का पोत है जो वर्ष 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
  • लड़ाकू विमान: रूस भी भारत को लड़ाकू विमानों के मुख्य निर्यातकों में से एक रहा है, जिसमें सैकड़ों सुखोई (Sukhoi) और मिग जेट (MiG jets) शामिल हैं। 
    • सेवा में शामिल सभी छह एयर टैंक रूस निर्मित IL-78s हैं।
  • टैंक: भारतीय सेना का प्रमुख युद्धक टैंक बल मुख्य रूप से रूसी T-72M1 (66%) और T-90S (30%) से बना है।
  • मिसाइल डिफेंस सिस्टम: S-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस