वित्तीय कार्रवाई कार्य दल: आतंकी वित्तपोषण पर लगाम | 17 Jul 2020

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में वित्तीय कार्रवाई कार्य दल व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

जून 2020 में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF) की पूर्ण बैठक चीन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में पाकिस्तान को दुनिया से अलग-थलग करने और आतंकवाद को मिल रहे पाकिस्तानी संरक्षण को साबित करने में भारतीय कूटनीतिक प्रयास को एक और सफलता प्राप्त हुई है। वैश्विक स्तर पर आतंकी संगठनों पर नज़र रखने वाली संस्था FATF की बैठक में निर्णय लिया गया है कि पाकिस्तान अभी ‘ग्रे लिस्ट’ में ही बरकरार रहेगा। 

लश्कर-ए- तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के वित्त के स्रोत को बंद करने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान पूर्व की भांति FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में बना हुआ है। पाकिस्तान को पहले आतंकी फंडिंग नेटवर्क और मनी लॉन्ड्रिंग सिंडिकेट्स के खिलाफ 27-पॉइंट एक्शन प्लान का अनुपालन सुनिश्चित करने या "ब्लैक लिस्टिंग" का सामना करने के लिये जून 2020 तक की समय सीमा दी गई थी। हालाँकि वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण यह समयसीमा बढ़ाकर अक्तूबर, 2020 कर दी गई है।  

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल

  • FATF एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। इसका उद्देश्य मनी लॉंड्रिंग, आतंकवादियों को वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को बचाए रखने से जुड़े खतरों से निपटना है।
  • इन खतरों से निपटने के लिये यह मंच नीतियाँ बनाता है साथ ही यह संस्था इन खतरों से निपटने के लिये कानूनी विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देती है।
  • FATF एक नीति निर्माण निकाय है जो मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया में विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति पैदा करने का काम करता है।
  • यह टास्क फोर्स धनशोधन और टेरर फेंडिंग का सामना करने के लिये मानक निर्धारित करती है, नीतियाँ बनाती है और उन नीतियों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करती है।

FATF का गठन

  • बैंकिंग सिस्टम और वित्तीय संस्थानों के सामने मौजूदा खतरों को देखते हुए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के गठन का फैसला किया गया था।
  • FATF का गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था।
  • शुरुआत में FATF का मकसद मनी लॉड्रिग को रोकना था। वर्ष 2001 में इसके कार्य क्षेत्र का विस्तार किया गया।
  • इसके कार्यक्षेत्र में आतंकी फंडिंग को रोकना भी शामिल हो गया। इसके बाद से FATF आतंकी फंडिंग पर रोक के लिये नीतियाँ बनाती है और उनके प्रभावी अमल पर भी नज़र रखती है।

सदस्य देश

  • प्रारंभ में FATF में 16 सदस्य देश शामिल थे। वर्ष 1991 और वर्ष 1992 में इसका दायरा बढ़ा और सदस्यता 28 तक पहुँच गई।
  • वर्ष 2000 तक इसकी सदस्यता 31 तक पहुँच गई। फिलहाल FATF में कुल 37 सदस्य देश हैं। इनमें 37 सदस्य देशों के साथ 2 क्षेत्रीय संस्थाएँ यूरोपियन कमीशन (European Commission) और गल्फ ऑफ को-ऑपरेशन कौंसिल (Gulf Co-operation Council) भी शामिल हैं।
  • यह कार्य दल दुनिया के सबसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करती है।
  • भारत वर्ष 2010 में FATF का सदस्य बना। पाकिस्तान इसका सदस्य नहीं है। इंडोनेशिया और सऊदी अरब इसमें पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल हैं। 
  • FATF का अध्यक्ष सदस्य देशों में से ही एक वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है। अध्यक्ष का कार्यकाल 1 जुलाई से शुरू होता है और अगले वर्ष 30 जून को समाप्त होता है।
  • अध्यक्ष ही FATF प्लैनरी की बैठक बुलाता है और इसकी अध्यक्षता करता है। FATF की निर्णय निर्माण संस्था FATF प्लैनरी है जिसकी हर साल तीन बार बैठक होती है।
  • इसका सचिवालय पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग विकास संगठन के मुख्यालय में स्थित है।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • मनी लॉड्रिंग और आतंकी फंडिंग को रोकने के लिये FATF ने सिफारिशों का एक सेट तैयार किया है जिसे इन चुनौतियों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानक के तौर पर पहचान मिली है।
  • पहली बार FATF ने 1990 में सिफारिशें जारी कीं जिसमें वर्ष 1996, 2001, 2003 और 2012 में संशोधन किया गया जिससे कि बदलते हालात में इन नीतियों की प्रासंगिकता बनी रहे।
  • FATF, नीतियों के अमल की निगरानी करती है। इसका कार्य यह देखना है कि दुनिया के तमाम देश उन उपायों को अपना रहे हैं या नहीं जिससे मनी लॉड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर रोक लग सके।
  • FATF ने मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खतरे से निपटने के लिये 40 सुझावों के साथ ही 9 विशेष सुझाव दिये हैं। दुनिया के तमाम देशों ने इन सुझावों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तौर पर स्वीकार किया है। इन चुनौतियों से निपटने में ये सुझाव काफी कारगर साबित हुए हैं।

FATF द्वारा जारी सूचियाँ 

  • FATF द्वारा 2 प्रकार की सूचियाँ जारी की जाती हैं-
    • ग्रे लिस्ट: ‘ग्रे लिस्ट’का मतलब यह है कि जिस देश पर संदेह होता है कि वह ऐसी कार्यवाही नहीं कर रहा है जिससे कि आतंकवादी संगठन को फंडिंग न हो तो उसे ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा जाता है।
    • ब्लैक लिस्ट: यदि यह साबित हो जाए कि किसी देश से आतंकी संगठन को फंडिंग हो रही है और जो कार्यवाही उसे करनी चाहिये वह नहीं कर रहा है तो उसका नाम ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाता है। 

ब्लैक लिस्ट में शामिल होने के मायने 

  • यदि किसी देश को काली सूची में डाल दिया जाता है तो उस देश को आर्थिक मोर्चे पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अन्य देश निवेश करना बंद कर देंगे। उस देश को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मिलना बंद हो जाएगा। 
  • विदेशी कारोबारियों और बैंकों का उस देश में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ काली सूची में शामिल देश से अपना कारोबार समेट सकती हैं।
  • काली सूची में शामिल देश को विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) और यूरोपियन यूनियन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से क़र्ज़ मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा मूडीज़, स्टैंडर्ड एंड पूअर और फिंट जैसी कंपनियाँ उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं।

FATF की चेतावनी

  • जून में आयोजित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की पूर्ण बैठक में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के अधिकारियों ने आतंकी वित्त-पोषण के रोकथाम हेतु एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
  • FATF ने  COVID-19 से संबंधित अपराधों में वृद्धि देखी, जिनमें धोखाधड़ी, साइबर-अपराध, सरकारी धन या अंतर्राष्ट्रीय वित्त सहायता का दुरुपयोग आदि शामिल है।  
  • पाकिस्तान उन आतंकी संगठनों को जो कि खासकर सिर्फ भारत में आतंक फैलाते हैं और मासूम लोगों की हत्या करते हैं, उन्हें आतंकी संगठन मानने से इनकार करता रहा हैI इनमें जमात-उल-दावा और उसका प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद और उसका प्रमुख मसूद अजहर समेत तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के कई बड़े आतंकी शामिल हैं।  
  • ये आतंकी संगठन खुलेआम लोगों से फिरौती वसूलते हैं, इनकी खुलेआम रैलियाँ होती हैं और इन रैलियों में ऐसी बातें की जाती हैं जो लोगों को चरमपंथ की तरफ धकेलती हैं।
  • आतंकी फंडिंग पर पाकिस्तान के दावे और हकीकत में अंतर साफ देखा जा सकता है। समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान कुछ कदम उठाता रहा है। इन संगठनों के नेता नज़रबंद होते हैं, दफ्तर बंद हो जाते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद वही चेहरे फिर नज़र आने लगते हैं, गतिविधियाँ भी वहीं होती हैं, बस संगठन का नाम बदल जाता है। 
  • इस बार की बैठक में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि हमेशा पाकिस्तान को कार्रवाई से बचाने वाले चीन और सऊदी अरब ने भी ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर आने की उसकी मांग का समर्थन नहीं किया।
  • फिलहाल उत्तर कोरिया और ईरान को इस संस्था ने ब्लैक लिस्ट में डाला है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान को पहले आतंकी फंडिंग नेटवर्क और मनी लॉन्ड्रिंग सिंडिकेट्स के खिलाफ 27-पॉइंट एक्शन प्लान का अनुपालन सुनिश्चित करने या "ब्लैक लिस्टिंग" का सामना करने के लिये जून 2020 तक की समय सीमा दी गई थी। हालाँकि वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण यह समयसीमा बढ़ाकर अक्तूबर, 2020 कर दी है। सर्वविदित है कि आतंकवाद वैश्विक आपदा है और इसका सामना भी वैश्विक एकजुटता के बिना नहीं किया जा सकता। FATF के प्रयास सराहनीय हैं किंतु सराहनीय परिणाम प्राप्त करना अभी बाकी है, यह तब तक नही हासिल हो सकता जब तक आतंकवाद की जड़ पर सतत् वार नही किया जाता।

प्रश्न- वित्तीय कार्रवाई कार्य दल आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने में एक कुशल कार्ययोजना है। कथन की समीक्षा कीजिये।