अद्यतन भूमि अभिलेख | 02 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वन अधिकार अधिनियम 2006, डिजिटल भूमि अभिलेख, सरकार की पहल

मेन्स के लिये:

वन अधिकार अधिनियम की विशेषताएँ, डिजिटल भूमि अभिलेख, भौगोलिक सूचना प्रणाली, संबंधित पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों को तीन महीने के भीतर राजस्व और वन अभिलेखों में बंदोबस्त अधिकार दर्ज़ करने का निर्देश दिया है।

  • पत्र में कहा गया है कि राजस्व और वन विभागों को वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत समुदायों को दी गई वन भूमि का अंतिम नक्शा तैयार करना चाहिये।

अधिसूचना के मुख्य बिंदु:

  • परिचय:
    • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 या वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत अधिकारों के रिकॉर्ड पर डिजिटल जानकारी (RoR) को (एक कानूनी दस्तावेज जो भूमि और उसके मालिक के बारे में विवरण देता है) परिवेश (PARIVESH) पोर्टल और केंद्रीय तथा राज्य सरकार के विभागों के अन्य वेब भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्लेटफार्मों में एकीकृत किया जाएगा।
      • यह अधिकारों के निपटान और मालिकाना हक जारी करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद किया जाएगा। मानचित्र को संबंधित राज्य कानूनों के तहत भूमि अभिलेखों में शामिल किया जाना चाहिये।
    • मंत्रालय ने राज्यों को प्रत्येक भूमि पैच का भौगोलिक सूचना प्रणाली (GlS) सर्वेक्षण करने और बहुभुजों की भू-संदर्भित डिजिटल वेक्टर सीमाओं को बनाए रखने का भी निर्देश दिया है।
  • लाभ:
    • FRA के डेटा के अनुसार भूमि रिकॉर्ड आदिवासियों और अधिकारियों के बीच संघर्ष को समाप्त करता है।
      • कभी-कभी FRA के तहत आवंटित भूमि का टुकड़ा वनीकरण के लिये उपयोग किया जाता है जिससे दोनों पक्षों के लिये बहुत सारी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • FRA के तहत RoR का भू-संदर्भ राज्यों के लोगों के लिये फायदेमंद होगा क्योंकि वन और आदिवासी कल्याण विभाग FRA शीर्षक धारकों की आजीविका में सुधार के लिये विशिष्ट परियोजनाओं और योजनाओं को शुरू करने में सक्षम होंगे।

वन अधिकार अधिनियम, 2006:

  • यह अधिनियम पीढ़ियों से वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों (FDST) और अन्य पारंपरिक वनवासियों (OTFD) को वन भूमि पर उनके वन अधिकारों को मान्यता देता है।
  • किसी भी ऐसे सदस्य या समुदाय द्वारा वन अधिकारों का दावा किया जा सकता है, जो दिसंबर 2005 के 13वें दिन से पहले कम-से-कम तीन पीढ़ियों अथवा 75 वर्ष से वन भूमि में वास्तविक आजीविका की ज़रूरतों हेतु निवास करता है।
  • यह FDST और OTFD की आजीविका तथा खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए वनों के संरक्षण की व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करता है।
  • ग्राम सभा को व्यक्तिगत वन अधिकार (IFR) या सामुदायिक वन अधिकार (CFR) या दोनों जो कि FDST और OTFD को दिये जा सकते हैं, की प्रकृति एवं सीमा निर्धारित करने हेतु प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार है।
  • इस अधिनियम के तहत चार प्रकार के अधिकार हैं:
    • स्वामित्त्व अधिकार: यह FDST और OTFD को अधिकतम 4 हेक्टेयर भू-क्षेत्र पर आदिवासियों या वनवासियों द्वारा खेती की जाने वाली भूमि पर स्वामित्व का अधिकार देता है। यह स्वामित्व केवल उस भूमि के लिये है जिस पर वास्तव में संबंधित परिवार द्वारा खेती की जा रही है, इसके अलावा कोई और नई भूमि प्रदान नहीं की जाएगी।
    • उपयोग करने का अधिकार: वन निवासियों के अधिकारों का विस्तार लघु वनोत्पाद, चराई क्षेत्रों आदि तक है।
    • राहत और विकास से संबंधित अधिकार: वन संरक्षण के लिये प्रतिबंधों के अधीन अवैध बेदखली या जबरन विस्थापन और बुनियादी सुविधाओं के मामले में पुनर्वास का अधिकार शामिल है।
    • वन प्रबंधन अधिकार: इसमें किसी भी सामुदायिक वन संसाधन की रक्षा, पुनः उत्थान या संरक्षण या प्रबंधन का अधिकार शामिल है, जिसे वन निवासियों द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से संरक्षित एवं सुरक्षित किया जाता है।

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड हेतु भारत की पहलें:

  • स्वामित्व (SVAMITVA):
    • स्वामित्व ड्रोन तकनीक और कंटीन्यूअसली ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन (CORS) का उपयोग करके ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि मानचित्रण की एक योजना है।
    • वर्ष 2020 से 2024 तक चार वर्षों की अवधि में चरणबद्ध तरीके से देश भर में मानचित्रण किया जाएगा।
  • परिवेश (PARIVESH) पोर्टल:
    • परिवेश एक वेब-आधारित एप्लिकेशन है जिसे केंद्र, राज्य और ज़िला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zones- CRZ) की मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये प्रस्तावकों द्वारा दिये गए प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी हेतु विकसित किया गया है।
  • भूमि संवाद:
    • भूमि संवाद डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (National Workshop on Digital India Land Record Modernisation Programme- DILRMP) पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला है।
    • यह देश भर में एक उपयुक्त एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली (Integrated Land Information Management System- ILIMS) विकसित करने के लिये विभिन्न राज्यों में भूमि अभिलेखों के क्षेत्र में मौजूद समानताओं को स्थापित करने का प्रयास करता है, जिस पर विभिन्न राज्य राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं को भी जोड़ सकते हैं जैसा कि वे प्रासंगिक और उपयुक्त समझ सकते हैं।
  • राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली:
    • यह मौजूदा मैनुअल पंजीकरण प्रणाली से बिक्री-खरीद और भूमि के हस्तांतरण में सभी लेन-देन के ऑनलाइन पंजीकरण की ओर एक बड़ा बदलाव है।
    • यह राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक बड़ा कदम है और 'वन नेशन वन सॉफ्टवेयर' को भी बढ़ावा देगा।
  • विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या
    • ULPIN को ‘भूमि की आधार संख्या’ के रूप में वर्णित किया जाता है। यह एक ऐसी संख्या है जो भूमि के उस प्रत्येक खंड की पहचान करेगी जिसका सर्वेक्षण हो चुका है, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, जहाँ सामान्यतः भूमि-अभिलेख काफी पुराने एवं विवादित होते हैं। इससे भूमि संबंधी धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS):

  • वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) में वेब तथा अन्य परिसंचालनों का उपयोग कर स्थानिक जानकारी का अनुप्रयोग, सूचनाओं को संसाधित एवं प्रसारित किया जाता है।
  • यह उपयोगकर्त्ताओं के आँकड़ों के एकत्रीकरण, विश्लेषण एवं परिणामों को अधिक-से-अधिक व्यक्तियों तक प्रसारित करने में मदद करता है तथा नीति निर्माताओं के लिये उपयुक्त आँकड़ों को उपलब्ध कराने में मदद करता है।
    • GIS ऐसी किसी भी जानकारी का उपयोग कर सकता है जिसमें स्थान शामिल है। स्थान को कई अलग-अलग तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है, जैसे- अक्षांश और देशांतर, पता या ज़िप कोड।
  • GIS में लोगों से संबंधित आँकड़े जैसे- जनसंख्या, आय या शिक्षा का स्तर आदि डेटााशामिल हो सकता है।
    • इसमें कारखानों, खेतों, स्कूलों, तूफानों, सड़कों और विद्युत लाइनों आदि के संबंध में जानकारी भी शामिल हो सकती है।

 UPSC सिविल सेवा विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, जिसे वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के रूप में भी जाना जाता है, वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देता है।
  • अधिनियम में खेती और निवास जो आमतौर पर व्यक्तिगत अधिकारों के रूप में होते हैं और सामुदायिक अधिकार जैसे चराई, मछली पकड़ना एवं जंगलों में जल निकायों तक पहुँच, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs) के लिये आवास अधिकार आदि अधिकार शामिल हैं।
  • भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और निपटान अधिनियम, 2013 में उचित मुआवज़े एवं पारदर्शिता के अधिकार के संयोजन के साथ FRA आदिवासी आबादी को पुनर्वास तथा उनके लिये उचित बंदोबस्त के बिना बेदखली से रक्षा करता है।
  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत अधिनियम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार विभिन्न योजनाओं एवं परियोजनाओं को लागू किया जाता है।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. "संकटपूर्ण वन्यजीव पर्यावास" की परिभाषा वन अधिकार अधिनियम, 2006 में समाविष्ट है।
  2. भारत में पहली बार बैगा (जनजाति) को पर्यावास का अधिकार दिया गया है।
  3. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत के किसी भी भाग में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के लिये पर्यावास अधिकार पर आधिकारिक रूप से निर्णय लेता है तथा इसकी घोषणा करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: A

व्याख्या:

  • "संकटपूर्ण वन्यजीव पर्यावास" को वन अधिकार अधिनियम, 2006 में राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के ऐसे क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिन्हें वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एवं अधिसूचित किया जाना आवश्यक है। अत: कथन 1 सही है।
  • बैगा समुदाय (मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में) भारत में 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक है, जो वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पर्यावास अधिकार प्राप्त करने के पात्र हैं। वर्षों से वनों पर राज्य के बढ़ते नियंत्रण और वन भूमि स्वरूप में परिवर्तन, विकास एवं संरक्षण से इन वन समुदायों को गंभीर रूप से खतरा है। अतः वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने बैगा जनजाति के पर्यावास अधिकारों को मान्यता प्रदान की, यह जनजाति भारत में पर्यावास का अधिकार प्राप्त करने वाला पहला समुदाय बन गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • PVTGs के पर्यावास अधिकारों को राज्यों में ज़िला स्तरीय समिति द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। जनजातीय मामलों का मंत्रालय PVTGs के संदर्भ में आवास अधिकारों की परिभाषा के दायरे और सीमा को स्पष्ट करता है। अतः कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प A सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ