नशा मुक्त भारत | 23 Aug 2025

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

भारत नशीली दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग के संकट से जूझ रहा है। इस समस्या के समाधान हेतु नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की गई थी और इसके क्रियान्वयन को अब पाँच वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।

नशा मुक्त भारत अभियान

  • परिचय: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 15 अगस्त 2020 को लॉन्च किया गया।  
    • इसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
    • इसका लक्ष्य व्यसनग्रस्त आबादी की पहचान करना और परामर्श एवं उपचार सुविधाओं को मज़बूत करना है।
    • शुरुआत में इसका ध्यान 272 संवेदनशील ज़िलों पर केंद्रित था, जिसे अब भारत के सभी ज़िलों तक विस्तारित कर दिया गया है।

  • त्रि-आयामी रणनीति: आपूर्ति नियंत्रण, मांग में कमी एवं चिकित्सा उपचार।
  • प्रमुख उपलब्धियाँ:
    • जन जागरूकता (18.10 करोड़ से अधिक लोग, 4.85 लाख से अधिक संस्थान)
    • युवा लामबंदी (1.67 करोड़ से अधिक छात्र, प्रतिज्ञा और कार्यक्रम)
    • डिजिटल एवं तकनीकी एकीकरण (सोशल मीडिया, वेबसाइट, ऐप, जियो-टैगिंग)
    • स्वयंसेवी नेटवर्क (20,000 से अधिक स्वयंसेवक)
    • सामुदायिक पहुँच (अभियान, निगरानी, ​​जागरूकता अभियान)
    • सहयोग (आर्ट ऑफ़ लिविंग, ब्रह्माकुमारीज़, संत निरंकारी मिशन, राम चंद्र मिशन (दाजी), ISKCON आदि सहित आध्यात्मिक/सामाजिक संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन)।

भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की व्यापकता

  • नशीली दवाओं की लत: भारत में लगभग 10 करोड़ लोग नशीले पदार्थों की लत से प्रभावित हैं (NCB डेटा)। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में NDPS अधिनियम (2019-2021) के तहत सबसे अधिक FIR दर्ज़ की गईं।
  • प्रमुख रूप से सेवन किये जाने वाले नशीले पदार्थ: पदार्थों के उपयोग की सीमा और पैटर्न पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण (2019) के अनुसार, 10-75 आयु वर्ग के लगभग 16 करोड़ लोग (14.6%) शराब का सेवन करते हैं, जबकि 3.1 करोड़ (2.8%) लोग भांग का सेवन करते हैं।

विश्व के 2 प्रमुख ड्रग उत्पादक क्षेत्र

  • गोल्डन क्रीसेंट (अफ़गानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान): जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात को प्रभावित करने वाला प्रमुख अफीम केंद्र
  • गोल्डन ट्राइंगल (लाओस, म्याँमार, थाईलैंड): प्रमुख हेरोइन उत्पादक क्षेत्र (म्याँमार वैश्विक आपूर्ति का लगभग 80%), जिसकी तस्करी का मार्ग भारत से होकर गुजरते हैं, जिससे यह एक संवेदनशील पारगमन और उपभोग क्षेत्र बन जाता है।

भारत में नशीली दवा नियंत्रण में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • स्मरण-सूचक (Mnemonic): DOPE
  • D – Dark Net & New Substances (डार्क नेट और नई नशीली दवाएँ): नई साइकोएक्टिव दवाओं (New Psychoactive Substances) का उदय और डार्कनेट तथा क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके अवैध ऑनलाइन व्यापार।
  • O – Organizational & Infrastructure Gaps  (संगठनात्मक और अवसंरचनात्मक कमियाँ): प्रशिक्षित कर्मियों, फोरेंसिक लैब, पुनर्वास केंद्र और विशेष सुविधाओं की कमी।
  • P – Poor Awareness & Prevention (जागरूकता और रोकथाम में कमी): शिक्षा का अपर्याप्त स्तर और ग्रामीण एवं युवाओं में संवेदनशील सामुदायिक जागरूकता।
  • E – Exclusion & Stigma in Addiction Treatment  (नशा उपचार में बहिष्कार और कलंक): सामाजिक कलंक और उच्च मांग के कारण पुनर्वास में कम भागीदारी, जिससे नियंत्रण प्रयास सीमित होते हैं।

भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को समाप्त करने हेतु क्या उपाय किये जाने चाहिये?

  • मेमनिक (Mnemonic): SAFE
  • S – Strengthen Law Enforcement (कानून प्रवर्तन को सुदृढ़ करना): NDPS अधिनियम, 1985 तथा स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थों में अवैध व्यापार की रोकथाम अधिनियम (PITNDPS), 1988 के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण, सशक्त खुफिया एवं निगरानी तंत्र तथा अंतर-एजेंसी समन्वय को बढ़ावा देना।
  • A – Awareness & Prevention (जागरूकता एवं रोकथाम): उपचार एवं पुनर्वास सुविधाओं का विस्तार करना, नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR) का पालन करते हुए जागरूकता अभियान चलाना तथा पुनर्वास को प्रोत्साहित करना।
  • F – Focus on Supply Reduction (आपूर्ति में कमी पर ध्यान केंद्रित करना): सीमा नियंत्रण को सुदृढ़ करना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा, ड्रोन, उपग्रह तथा ऑनलाइन नागरिक रिपोर्टिंग तंत्र जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग करना; अवैध फसल उगाने वाले किसानों के लिये वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देना (जैसे—झारखंड अफीम-प्रतिस्थापन योजना) तथा आपूर्ति शृंखलाओं को अवरुद्ध करना।
  • E – Enhance International Cooperation (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना): पड़ोसी देशों, UNODC तथा इंटरपोल के साथ सहयोग कर नशीली दवाओं की तस्करी का पता लगाना और उसे रोकना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAC) का 'भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है।
  2.  UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है। 
  3.  राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध सयुंक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNTOC) की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
  4.  मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) सयुंक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. विश्व के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)