सुबनसिरी बांध | 17 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal- NGT) द्वारा लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (Lower Subansiri Hydroelectric Project- LSHEP) में सुरक्षा मुद्दों को हल करने तक निर्माण कार्य शुरू नहीं करने के आदेश दिये जाने के बावज़ूद हाल ही में इस पर काम करने पर बड़े पैमाने पर सहमति व्यक्त की गई है।

Subansiri project

प्रमुख बिंदु

  • लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना असम एवं अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ सुबनसिरी नदी पर एक निर्माणाधीन ग्रेविटी बांध है।
    • सुबनसिरी नदी (स्वर्ण नदी) तिब्बत पठार से निकलती है तथा अरुणाचल प्रदेश में मिरी पहाड़ियों के माध्यम से भारत में प्रवेश करती है।
    • सुबनसिरी ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।Subansiri dam
  • बांध सुरक्षा और प्रशासनिक मुद्दों पर स्थानीय आंदोलन के कारण इस परियोजना को लंबित रखा गया था:
    • LSHEP ने ब्रह्मपुत्र बोर्ड के जल संसाधन विभाग के कार्यों को ब्रह्मपुत्र बोर्ड से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करके ब्रह्मपुत्र बोर्ड अधिनियम 1980 (Brahmaputra Board Act 1980) को समाप्त कर दिया।
    • रुड़की के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा बांध निर्माण पर किये गए मूल्यांकन में भूकंपीय जोखिम स्तर में वृद्धि पाई गई।

ग्रेविटी बांध

(Gravity Dam)

  • ग्रेविटी बांध का निर्माण कंक्रीट या सीमेंट से किया जाता है।
  • क्योंकि इसमें पानी को एकत्रित किया जाता है इसलिये इसे बनाने में भारी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है जो पानी के दबाव को सहन कर सके।
  • ग्रेविटी बांध का डिज़ाइन पानी को बाँधने के लिये किया गया है। ताकि बांध का प्रत्येक खंड स्थिर तथा किसी अन्य बांध खंड से स्वतंत्र हो।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2011 में असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर स्थित लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना का काम एक स्थानीय आंदोलन के कारण रोक दिया गया था।
  • NGT ने दिसंबर 2015 में NHPC लिमिटेड को सुरक्षा मुद्दों के हल करने तक फिर से निर्माण कार्य शुरू करने पर रोक लगा दी थी।

अन्य विवादास्पद बांध

  • सरदार सरोवर बांध: यह नवगाम (गुजरात) के पास नर्मदा नदी पर स्थित है।
    • इस बांध से गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान को जल एवं बिजली की आपूर्ति की जाती है।
    • इस बाँध के निर्माण के कारण लगभग 2.5 लाख ग्रामीणों के विस्थापित किये जाने का आरोप है।
  • मुल्लापेरियार बांध: यह केरल के इडुक्की ज़िले में पेरियार नदी पर बना एक ग्रेविटी बांध है लेकिन इसका स्वामित्व एवं संचालन तमिलनाडु सरकार द्वारा किया जाता है।
    • बांध की अधिक ऊँचाई को लेकर केरल एवं तमिलनाडु सरकारों के बीच एक विवाद चल रहा है।
  • पोलावरम परियोजना: यह आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर पश्चिम गोदावरी ज़िले और पूर्वी गोदावरी ज़िले में निर्माणाधीन एक बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना है।
    • इस परियोजना से ओडिशा और छतीसगढ़ के गावों के जलमग्न होने की आशंका है।
  • किशनगंगा पनबिजली संयंत्र एक ‘रन ऑफ रिवर (Run of River-RoR) योजना’- यानी ‘जल भंडारण के बगैर योजना’ है, जिसे किशनगंगा नदी के पानी को झेलम नदी के बेसिन में स्थित बिजली संयंत्र की और प्रवाहित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है
    • यह जम्मू एवं कश्मीर में स्थित है।
    • विश्व बैंक की मध्यस्थता के बावजूद भारत एवं पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के मुद्दे पर विवाद हल नहीं हो सका है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस