वैश्विक जलवायु स्थिति- 2020: डब्ल्यूएमओ | 22 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने वर्ष 2020 के लिये अपनी वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति (State of the Global Climate) रिपोर्ट जारी की।

  • इस रिपोर्ट को अमेरिका द्वारा आयोजित लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट (Leaders Summit on Climate) से पहले जारी किया गया था।
  • वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के साथ ही चरम मौसमी घटनाएँ लाखों लोगों के लिये दोहरा झटका थी। हालाँकि महामारी से संबंधित आर्थिक मंदी जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को रोके रखने में विफल रही।

प्रमुख बिंदु

वैश्विक तापमान:

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 ला-नीना (La Niña) की स्थिति के बावजूद अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था।
    • वैश्विक औसत तापमान जनवरी-अक्तूबर 2020 की अवधि में पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
    • वर्ष 2016 और वर्ष 2019 अन्य दो सबसे गर्म वर्ष थे।
  • वर्ष 2015 के बाद के छः वर्ष सबसे गर्म रहे हैं।
    • वर्ष 2011-2020 सबसे गर्म दशक था।

ग्रीनहाउस गैसें:

  • वर्ष 2019-2020 में ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gas) का उत्सर्जन बढ़ा है।
    • यह उत्सर्जन वर्ष 2021 में और अधिक हो जाएगा।
  • वर्ष 2019-2020 में हवा में प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों की सघनता में वृद्धि जारी रही।
  • वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सघनता का औसत पहले ही 410 ppm (Parts Per Million) से अधिक हो चुका है। इस रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अगर सघनता का यह रुझान पिछले वर्षों की तरह जारी रहा तो वर्ष 2021 में 414 ppm तक पहुँच सकता है या इससे भी अधिक हो सकता है।
    • मोल फ्रैक्शन (Mole Fraction) किसी दिये गए मिश्रण में किसी विशेष घटक के अणुओं की संख्या को मिश्रण के कुल अणुओं की संख्या से विभाजित करके दर्शाता है। यह किसी विलयन की सघनता को व्यक्त करने का एक तरीका है।

महासागर:

  • महासागरों में वर्ष 2019 में सबसे अधिक समुद्री हीट वेव (Marine Heat Wave) दर्ज की गई थी, लेकिन वर्ष 2020 में इससे भी अधिक हीट वेव दर्ज हुई। वर्ष 2020 में लगभग 80 प्रतिशत महासागरीय सतह (Ocean Surfaces) पर कम-से-कम एक बार समुद्री हीट वेव दर्ज की गई।
    • समुद्री हीट वेव के दौरान समुद्र के पानी का तापमान लगातार कम से कम 5 दिनों तक सामान्य से अधिक बना रहता है।
  • वर्ष 2020 में मज़बूत समुद्री हीट वेव (Strong MHW) की घटनाएँ अधिक (43 प्रतिशत) थीं, जबकि मध्यम समुद्री हीट वेव (Moderate MHW) की घटनाएँ तुलनात्मक रूप से कम (28 प्रतिशत) थीं।

समुद्र स्तर में बढ़ोतरी:

  • उपग्रह द्वारा वर्ष 1993 से ही समुद्र स्तर की निगरानी की जा रही है, जिससे पता चलता है कि इसका जलस्तर बढ़ रहा है। यह घटना ला-नीना प्रेरित शीतलन के बावजूद हो रही है।
  • समुद्र का जलस्तर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने से उच्च दर से बढ़ रहा है।

आर्कटिक और अंटार्कटिका:

  • आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा वर्ष 2020 में दूसरे निम्नतम स्तर पर आ गई।
    • आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम सीमा वर्ष 2020 में 3.74 मिलियन वर्ग किलोमीटर थी, वर्ष 2012 के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ कि यह सीमा 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर से कम हो गई।
  • साइबेरियाई आर्कटिक के एक बड़े क्षेत्र में वर्ष 2020 में तापमान औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
    • रूस के शहर वेर्खोयंस्क (Verkhoyansk) में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था।
  • अंटार्कटिक (Antarctic) समुद्री बर्फ की सीमा लंबे समय तक औसत के करीब बनी रही।
    • हालाँकि अंटार्कटिक बर्फ की चादर में वर्ष 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध से अधिक कमी दर्ज की गई।
    • यह प्रवृत्ति पश्चिम अंटार्कटिका और अंटार्कटिक प्रायद्वीप में प्रमुख ग्लेशियरों की बढ़ती प्रवाह दर के कारण वर्ष 2005 के आसपास और वर्तमान में तेज हो गई, अंटार्कटिका प्रतिवर्ष लगभग 175 से 225 गीगाटन बर्फ की चादर खो देता है।

भारत में चरम मौसम की घटनाएँ:

  • भारत वर्ष 1994 के बाद से ही मानसून में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जिससे यहाँ गंभीर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति देखी गई है।
  • मई 2020 में कोलकाता के तट से टकराने वाला चक्रवात अम्फन (Amphan) को उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र का सबसे महँगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में नामित किया गया है, जिससे लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।

जलवायु प्रभाव:

  • चरम मौसम की स्थिति:
    • पूरे विश्व में लोग महामारी के साथ-साथ तूफान, चक्रवात, भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी जैसे चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रहे हैं।
    • कोविड-19 महामारी के कारण चक्रवात, तूफान और इसी तरह के अन्य चरम मौसमी घटनाओं से प्रभावित लोगों की उबरने की प्रक्रिया बाधित हुई।
  • मानव गतिशीलता के मुद्दे:
    • कोविड-19 महामारी के कारण आवाजाही संबंधी प्रतिबंधों और आर्थिक मंदी ने घनी बस्ती में रहने वाली कमज़ोर तथा विस्थापित आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचाने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया।
    • इस महामारी ने मानव आवाजाही की चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया तथा जलवायु जोखिम को समझने तथा कमज़ोर आबादी पर इसके प्रभाव को कम करने के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के विषय में:

  • यह संगठन 192 देशों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर सरकारी संगठन है। भारत इसका सदस्य है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (International Meteorological Organization) से हुई थी, जिसे वर्ष 1873 में वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सम्मेलन के बाद स्थापित किया गया था।

स्थापना:

  • WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन से 23 मार्च, 1950 को स्थापित यह संगठन मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), जल विज्ञान तथा संबंधित भूभौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की विशेष एजेंसी बन गया।

मुख्यालय:

  • जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।

स्रोत: डाउन टू अर्थ