सर्पदंश विष | 09 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, विश्व स्वास्थ्य संगठन, उष्णकटिबंधीय रोग, उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग

मेन्स के लिये:

सर्पदंश विष के लिये WHO का रोडमैप

चर्चा में क्यों?   

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक नए अध्ययन के अनुसार, विश्व में सर्पदंश के सबसे अधिक मामले भारत में पाए जाते हैं, जो वैश्विक सर्पदंश से होने वाली मौतों का लगभग 50% है।

प्रमुख बिंदु 

सर्पदंश विष के बारे में:

  • SE जीवन के लिये एक संभावित खतरनाक बीमारी है जो आमतौर पर एक विषैले सांँप के काटने के बाद विभिन्न विषाक्त पदार्थों (जहर) के मिश्रण के परिणामस्वरूप होती है और सांँपों की कुछ प्रजातियों द्वारा जहर छिड़कने के लक्षण के कारण आंँखों में भी जहर फैलने की घटनाएँ देखी जाती हैं। 
  • यह अफ्रीका, मध्य-पूर्व, एशिया, ओशिनिया और लैटिन अमेरिका में स्थित उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से एक महत्त्वपूर्ण पूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है।
    • इन क्षेत्रों में सर्पदंश का खतरा दैनिक चिंता का विषय है, विशेष रूप से ग्रामीण और उपनगरीय समुदायों के लिये जहांँ लाखों लोग जीवित रहने के लिये कृषि या निर्वाह हेतु शिकार पर निर्भर हैं।

प्रभाव:

  • कई सर्पदंश से पीड़ित, ज़्यादातर लोग विकासशील देशों में विकृति, विच्छेदन, दृश्य हानि, गुर्दे की जटिलता और मनोवैज्ञानिक संकट जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं से पीड़ित हैं।

सर्पदंश विष के कारण होने वाली मौतें:

  • वैश्विक
    • दुनिया भर में सांँपों के काटने की प्रतिवर्ष लगभग 5.4 मिलियन घटनाएँ दर्ज की जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप विष के 1.8 से 2.7 मिलियन मामले सामने आते हैं।
    • सर्पदंश के कारण प्रतिवर्ष  81,410 से 1,37,880 तक लोगों की मृत्यु होती है और लगभग तीन गुना अधिक लोग स्थायी अक्षमताओं से ग्रसित हो जाते हैं।
  • भारत
    • भारत में वर्ष 2000 से वर्ष 2019 तक सर्पदंश के कारण अनुमानित 1.2 मिलियन मौतें हुई हैं, जो प्रतिवर्ष औसतन 58,000 है।

सर्पदंश विष के लिये WHO का रोडमैप

  • ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने वर्ष 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मृत्यु और विकलांगता के मामलों को आधा करने के उद्देश्य से अपना रोडमैप लॉन्च किया है।
    • एंटीवेनम के लिये एक स्थायी बाज़ार बनाने हेतु वर्ष 2030 तक सक्षम निर्माताओं की संख्या में 25% की वृद्धि की आवश्यकता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक एंटीवेनम स्टॉकपाइल बनाने के लिये एक पायलट प्रोजेक्ट की योजना बनाई है।
    • स्वास्थ्यकर्मियों और शिक्षित समुदायों के बेहतर प्रशिक्षण सहित प्रभावित देशों में सर्पदंश उपचार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं में प्रतिक्रिया को एकीकृत करना।

भारतीय पहलें

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के रोडमैप से पूर्व ही ICMR के शोधकर्त्ताओं ने सामुदायिक जागरूकता और स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता निर्माण शुरू कर दिया था।
    • वह सर्पदंश पर राष्ट्रीय कार्यबल द्वारा वित्तपोषित एक राष्ट्रीय अध्ययन के माध्यम से अपना काम जारी रखे हुए है।

चिंताएँ:

  • समुदायों के बीच जागरूकता की कमी:
    • जागरूकता की कमी, सर्पदंश की रोकथाम के बारे में अपर्याप्त ज्ञान और समुदाय के साथ-साथ परिधीय स्वास्थ्यकर्मियों के बीच प्राथमिक उपचार दक्षता की कमी, जीवन रक्षक उपचार प्राप्त करने में देरी और सर्पदंश के प्रबंधन के लिये प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारियों की अनुपलब्धता के कारण अधिक संख्या में मौतें होती हैं।
    • नाग देवता में विश्वास करने वाले कुछ अंधविश्वासों का मानना है कि इमली के बीज या चुंबक में जहर के प्रभाव को कम करने की क्षमता होती है।
  • विषैले और गैर-विषैले सांँपों के बारे में कोई जानकारी नहीं:
    • सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में विषैले और गैर-विषैले सांँपों की पहचान करने के लिये कोई ‘IEC’ (सूचना, शिक्षा और संचार) सामग्री उपलब्ध नहीं है।

सिफारिशें:

  • सर्पदंश प्रबंधन पर पाठ्यक्रम:
    • अध्ययन में भारत में राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभागों के प्रशिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में सर्पदंश प्रबंधन को शामिल करने, चिकित्सा स्नातकों को उनकी इंटर्नशिप के दौरान अनिवार्य अल्पकालिक प्रशिक्षण और भारत में राज्य स्वास्थ्य सेवाओं में प्रेरण प्रशिक्षण को एक भाग के रूप में शामिल करने की सिफारिश की गई है।
  • बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण:
    • सामुदायिक जागरूकता द्वारा बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से भारत में सर्पदंश के विष के कारण मृत्यु दर और रुग्णता को कम करने हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं का क्षमता निर्माण करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस