2023 के जी20 शिखर सम्मेलन के लिये सचिवालय | 24 Feb 2022

प्रिलिम्स के लिये:

G20 और उसके सदस्य, G20 देशों का स्थान।

मेन्स के लिये:

G20 का महत्त्व, G20 में भारत की भूमिका, भारत को शामिल करने वाले समूह और समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करना।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक सचिवालय बनाने की प्रक्रिया को गति प्रदान की, जो वर्ष 2023 में G20 शिखर सम्मेलन के आयोजन से संबंधित मामलों की देख-रेख करेगा।

  • भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक अध्यक्ष के रूप में इस अंतर्राष्ट्रीय निकाय का संचालन करेगा, जिसमें यहाँ आयोजित होने वाले G20 शिखर सम्मेलन का नेतृत्व किया जाएगा।
  • सचिवालय फरवरी 2024 तक कार्य करेगा। यह बहुपक्षीय मंचों पर वैश्विक मुद्दों को लेकर भारत के नेतृत्व के लिये ज्ञान और विशेषज्ञता सहित दीर्घकालिक क्षमता निर्माण को भी सक्षम बनाएगा।
  • इंडोनेशिया ने दिसंबर, 2021 में G20 की अध्यक्षता की।

G20:

  • G20 समूह विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि, यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
  • G20 समूह के पास स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं होता। 
  • G20 समूह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को एक साथ लाता है। यह वैश्विक व्यापार का 75%, वैश्विक निवेश का 85%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85% तथा विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
  • G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • प्रत्येक G20 देश का प्रतिनिधित्व उसके शेरपा करते हैं; जो अपने-अपने देश के नेता की ओर से योजना, मार्गदर्शन, क्रियान्वयन आदि करते हैं।
    • वर्तमान वाणिज्य और उद्योग मंत्री भारत के वर्तमान "G20 शेरपा" हैं।

G20-Members

G20 का विकास:

  • वैश्विक वित्तीय संकट (2007-08) ने प्रमुख संकट प्रबंधन और समन्वय निकाय के रूप में G20 की प्रतिष्ठा को मज़बूत किया।
  • अमेरिका, जिसने 2008 में G20 की अध्यक्षता की थी, ने वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक को राष्ट्राध्यक्षों तक बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप पहला G20 शिखर सम्मेलन हुआ।
  • वाशिंगटन डीसी, लंदन और पिट्सबर्ग में आयोजित शिखर सम्मेलनॉ ने कुछ सबसे टिकाऊ वैश्विक सुधारों हेतु परिदृश्य तैयार किया:
    • इसमें कर चोरी और परिहार से निपटने के प्रयास में राज्यों को ब्लैकलिस्ट करना, हेज फंड और रेटिंग एजेंसियों पर सख्त नियंत्रण का प्रावधान करना, वित्तीय स्थिरता बोर्ड को वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिये एक प्रभावी पर्यवेक्षी और निगरानी निकाय बनाना, असफल बैंकों के लिये सख्त नियमों का प्रस्ताव करना, सदस्यों को व्यापार आदि में नए अवरोध लगाने से रोकना आदि शामिल हैं।
  • कोविड-19 की दस्तक तक G20 अपने मूल मिशन से भटक चुका था तथा G20 के मूल लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया।
    • G20 ने जलवायु परिवर्तन, नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों, असमानता, कृषि, प्रवास, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक पदार्थों की तस्करी, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों जैसे मुद्दों को शामिल करने तथा सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अपने एजेंडे को विस्तृत कर खुद को फिर से स्थापित किया।
  • हाल के दिनों में G20 के सदस्यों ने महामारी के बाद सभी प्रतिबद्धताएँ पूरी की हैं, लेकिन यह बहुत कम है।
    • अक्तूबर 2020 में रियाद शिखर सम्मेलन में उन्होंने चार स्तंभों- महामारी से लड़ना, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवधानों को संबोधित करना और वैश्विक सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी।
    • 2021 में इटली ने कोविड-19 का मुकाबला करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी को तीव्र करने और अफ्रीका में सतत् विकास को बढ़ावा देने जैसे विषयों के लिये G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।
  • लाखों लोगों की मौत के बावजूद G20 के सदस्यों ने विकासशील देशों को टीकों के निर्माण के लिये कानूनी समर्थन देने से इनकार कर दिया।

G20 प्रेसीडेंसी के लिये भारत की तैयारी:

  • भारत ने G20 के संस्थापक सदस्य के रूप में दुनिया भर में सबसे कमज़ोर लोगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये मंच का उपयोग किया है।
    • लेकिन बेरोज़गारी दर में वृद्धि और घरेलू क्षेत्र में गरीबी के कारण इसके लिये प्रभावी ढंग से नेतृत्त्व करना मुश्किल है।
  • भारत ने G20 देशों के बीच ऐसा एकमात्र देश होने का मज़बूत उदाहरण स्थापित किया है, जो 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के मामले में वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में अपने वादे को पूरा करने की दिशा में अन्य G20 देशों की तुलना में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
  • समवर्ती रूप से भारत-फ्राँस के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता को चित्रित करने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका अक्षय ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में संसाधन जुटाने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित है।
  • इसके अलावा 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के दृष्टिकोण से वैश्विक प्रतिमान में ‘नए भारत’ के लिये एक परिवर्तनकारी भूमिका की उम्मीद है, जो कोवड-19 महामारी के बाद विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति शृंखला के एक महत्त्वपूर्ण व विश्वसनीय स्तंभ के रूप में उभरेगा। 
  • आपदारोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन का भारत का प्रयास, जिसमें अन्य देशों के अलावा G20 देशों में से भी नौ देश शामिल हैं, वैश्विक विकास प्रक्रिया में नेतृत्व के नए आयाम प्रदान करता है।

आगे की राह

  • G20 को स्वच्छ छवि वाले वैश्विक नेताओं की आवश्यकता है। वर्ष 2022 में भारत के अध्यक्ष बनने के साथ ही उसके पास बहुपक्षवाद में दुनिया के विश्वास को बहाल करने का अवसर है।
  • अमेरिका के साथ उभरती अर्थव्यवस्थाओं को समान वैक्सीन रोलआउट और पेटेंट छूट को G20 की नंबर एक प्राथमिकता बनाना चाहिये।
  • G20 को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे- IMF, OECD, WHO, विश्व बैंक और WTO के साथ साझेदारी को मज़बूत करना चाहिये और उन्हें प्रगति की निगरानी का कार्य सौंपना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू