सफर | 29 Nov 2021

प्रीलिम्स के लिये:

भारत मौसम विज्ञान विभाग, सफर, बायोमास, वायु गुणवत्ता सूचकांक

मेन्स के लिये:

वायु गुणवत्ता का मापन : सफर प्रणाली 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (The System of Air Quality and Weather Forecasting And Research- SAFAR) ने चार भारतीय शहरों (दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और पुणे) में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का अध्ययन किया।

  • दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई तीन महानगरीय शहरों में वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में दिवाली की अवधि के दौरान वायु प्रदूषण अधिक था, जबकि इन चार में से पुणे एकमात्र शहर था, जहाँ प्रदूषण का स्तर कम पाया गया।
  • दिवाली के समय दिल्ली में उच्च पीएम दर्ज किया जाता है जो बायोमास जलने के प्रभाव के साथ-साथ उच्च स्थानीय उत्सर्जन के कारण होता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • सफर (SAFAR) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministery of Earth Science- MoES) द्वारा महानगरों के किसी स्थान-विशिष्ट के समग्र प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता को मापने के लिये शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
    • यह दिल्ली में परिचालित भारत की पहली वायु गुणवत्ता पूर्व-चेतावनी प्रणाली (Air Quality Early Warning System) का एक अभिन्न अंग है।
    • यह मौसम के सभी मापदंडों जैसे- तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा की गति एवं दिशा, पराबैंगनी किरणों और सौर विकिरण आदि की निगरानी करता है।
    • विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने SAFAR को इसके कार्यान्वयन में उच्च गुणवत्ता नियंत्रण और मानकों को बनाए रखने के आधार पर एक प्रोटोटाइप गतिविधि के रूप में मान्यता दी है।
  • प्रदूषकों की निगरानी: 
    • इनमें PM2.5, PM10, ओज़ोन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), बेंजीन, टोल्यूनि, ज़ाइलीन और मरकरी शामिल हैं।
  • प्रणाली का विकास:
    • यह भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM) पुणे द्वारा विकसित एक स्वदेशी प्रणाली है तथा  इसका संचालन भारत मौसम विभाग (India Meteorological Department-IMD) द्वारा किया जाता है।
      • IITM में एक विशाल ट्रू कलर लाइट एमिटिंग डायोड ( Light Emitting Diode- LED) डिस्प्ले सुविधा है जो कलर-कोडिंग (72 घंटे के अग्रिम पूर्वानुमान के साथ) के साथ 24x7 आधार पर वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) प्रदान करता है।
  • उद्देश्य:
    • अपने शहर की वायु गुणवत्ता के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना ताकि उचित शमन उपाय और व्यवस्थित कार्रवाई की जा सके।
    • नीति निर्माताओं को देश के आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए शमन रणनीति विकसित करने में मदद करना।
  • महत्त्व:
    • इससे कृषि, विमानन, बुनियादी ढांचे, आपदा प्रबंधन, पर्यटन आदि कई अन्य क्षेत्रों में लागत की बचत होगी, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वायु गुणवत्ता और मौसम से प्रभावित होती है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI):

  • AQI दैनिक वायु गुणवत्ता की रिपोर्टिंग के लिये एक सूचकांक है।
  • यह उन स्वास्थ्य प्रभावों पर केंद्रित है जिन्हें कोई भी व्यक्ति प्रदूषित वायु में साँस लेने के कुछ घंटों या दिनों के भीतर अनुभव कर सकता है।
  • AQI की गणना आठ प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिये की जाती है:
    • भू-स्तरीय ओज़ोन
    • PM10
    • PM2.5
    • कार्बन मोनोऑक्साइड
    • सल्फर डाइऑक्साइड
    • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
    • अमोनिया
    • लेड (शीशा)
  • भू-स्तरीय ओज़ोन और एयरबोर्न पार्टिकल्स दो ऐसे प्रदूषक हैं जो भारत में मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करते हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ