विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) का पुनरुद्धार | 06 Nov 2025
प्रिलिम्स के लिये: विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), विदेशी मुद्रा विनिमय, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विदेश व्यापार नीति, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, बाबा कल्याणी समिति।
मेन्स के लिये: SEZ से संबंधित मुख्य विशेषताएँ, भारत में SEZ सुधारों की आवश्यकता और भारत के SEZ को पुनर्जीवित करने के लिये आवश्यक कदम।
चर्चा में क्यों?
एक सरकारी पैनल, जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा नीति आयोग के अधिकारी शामिल हैं, हाल ही में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) के लिये संशोधित नियमों पर कार्य कर रही है। इनका उद्देश्य निर्यातकों को घरेलू बाज़ार का बेहतर लाभ उठाने में सक्षम बनाना है, क्योंकि अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए शुल्कों के कारण भारतीय निर्यात की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित हुई है।
भारत में संशोधित SEZs मानकों की क्या आवश्यकता है?
- अमेरिकी टैरिफ: उच्च अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय SEZs निर्यात को अप्रतिस्पर्द्धी बना दिया है, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो गई है।
- इन चुनौतियों के बावजूद निर्यातकों ने घाटे को सहन करके अपनी उपस्थिति बनाए रखने का प्रयास किया है, जिससे संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
- परिचालन व्यवहार्यता में वृद्धि: निर्यातकों की एक प्रमुख सिफारिश रिवर्स जॉब वर्क नीति की शुरुआत है, जिससे SEZs इकाइयों को घरेलू बाज़ार की सेवा करने की अनुमति मिल सके।
- इस उपाय से श्रम और मशीनों की क्षमता का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होने की संभावना है, क्योंकि निर्यात में मौसमी उतार-चढ़ाव के कारण ये संसाधन अक्सर निष्क्रिय रह जाते हैं।
- निम्न निवेश: भारतीय SEZs में सीमित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के कारण प्रौद्योगिकी पहुँच, वैश्विक संपर्क और ब्रांडिंग में बाधा आती है, क्योंकि कोई निवेश संधि नहीं है (वियतनाम के विपरीत), कमज़ोर धारणा और अपर्याप्त प्रचार-प्रसार है।
- विशेषकर रत्न और आभूषण क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश की कमी के कारण इस सेक्टर की SEZ इकाइयों की संख्या लगभग 500 से घटकर लगभग 360 हो गई, जिससे निर्यात में भी कमी दर्ज की गई।
- वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा में कमी: वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में कमी: शुरुआती उपलब्धियों के बावजूद, उत्पादकता चुनौतियों और नीतिगत अनिश्चितताओं के चलते भारत के SEZs अब चीन की तुलना में पीछे रह गए हैं। परिणामस्वरूप, रत्न एवं आभूषण जैसे इकाइयाँ अधिक आकर्षक प्रोत्साहन मिलने के कारण अन्य देशों में स्थानांतरित हो रही हैं।
- शुद्ध विदेशी मुद्रा (NFE) मानक को हटा दिये जाने के बाद, विशेषज्ञ एक व्यापक व्यापार प्रदर्शन समीक्षा की मांग कर रहे हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) क्या हैं?
- परिचय: SEZ एक भौगोलिक रूप से सीमांकित शुल्क-मुक्त क्षेत्र होता है, जिसे व्यापार, शुल्क और करों के संचालन के लिये विदेशी क्षेत्र के समान माना जाता है।
- इन्हें निजी, सार्वजनिक या संयुक्त क्षेत्र, साथ ही राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा भी स्थापित किया जा सकता है, ताकि एक अनुकूल और प्रतिस्पर्द्धी व्यावसायिक वातावरण के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
- वित्त वर्ष 2023–24 तक, भारत में कुल 276 SEZ संचालित हैं, जिन्होंने 163.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर (USD) मूल्य का निर्यात दर्ज किया है।
- SEZ के उद्देश्य:
- कानूनी आधार: विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की अवधारणा को वर्ष 2000 में विदेश व्यापार नीति के तहत शुरू किया गया था, जिसने निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ) का स्थान लिया। SEZ का संचालन विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 और विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम, 2006 के अंतर्गत किया जाता है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य SEZ अधिनियम, 2005 को प्रतिस्थापित कर ऐसे अनुकूल विकास केंद्र स्थापित करना है, जो निर्यात और घरेलू निवेश दोनों को बढ़ावा देते हुए एकीकृत व्यापार केंद्र के रूप में कार्य करें।
- SEZ के प्रकार: SEZ फ्रेमवर्क में विभिन्न प्रकार शामिल हैं जैसे निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ), मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTZ), औद्योगिक संपदा और मुक्त बंदरगाह, जिनमें GIFT सिटी (भारत का पहला परिचालन स्मार्ट SEZ) जैसे उदाहरण शामिल हैं।
- SEZ को दिये जाने वाले प्रोत्साहन:
भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) को पुनर्जीवित करने हेतु किन सुधारों की आवश्यकता है?
- रिवर्स जॉब वर्क की अनुमति: SEZ इकाइयों को घरेलू कंपनियों के लिये विनिर्माण करने और अपने तैयार उत्पादों को DTA में बेचने की अनुमति दी जानी चाहिये। इसके लिये एक पारदर्शी तंत्र बनाया जाएँ ताकि SEZ इकाइयों द्वारा घरेलू बिक्री में प्रयुक्त इनपुट्स पर मिलने वाले शुल्क लाभ को निष्प्रभावी किया जा सके।
- क्षेत्र-विशिष्ट औद्योगिक कॉरिडोर का विकास: SEZ को औद्योगिक कॉरिडोर जैसे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) के साथ नोड के रूप में विकसित किया जाए, ताकि कनेक्टिविटी बेहतर हो और संचालन लागत कम हो। दूरस्थ क्षेत्रों में कुशल जनशक्ति को आकर्षित करने के लिये SEZ के पास आवासीय अवसंरचना को बढ़ावा दिया जाए।
- नियामक सुधार: विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2024 को लागू किया जाए, निकास नीतियों को सरल बनाया जाए और बाबा कल्याणी समिति (2018) की सिफारिशों को अपनाया जाए। इसके तहत SEZ का नाम बदलकर रोज़गार एवं आर्थिक एन्क्लेव (3E) रखा जाए तथा विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिये अलग-अलग नियम बनाए जाएँ।
- वैश्विक आर्थिक एकीकरण: निर्यात अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये कस्टम हब, ई-कॉमर्स ज़ोन और तीव्र मंज़ूरी प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाए। इसके साथ ही, UAE, सिंगापुर और यूरोप जैसे देशों के SEZ के साथ मानक एवं निरीक्षणों के लिये पारस्परिक मान्यता समझौते (MRA) किये जाएँ।
- भारत चीन के शेनज़ेन (Shenzhen) मेगा-क्लस्टर मॉडल और UAE के टैक्स-फ्री ज़ोन्स (दुबई) से प्रेरणा लेकर SEZ की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ा सकता है।
- विवाद समाधान तंत्र: SEZ में वाणिज्यिक न्यायालय और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित किये जाएँ ताकि विवादों का त्वरित एवं विश्वसनीय निपटारा सुनिश्चित हो सके तथा निवेशकों का विश्वास मज़बूत हो।
बाबा कल्याणी समिति (2018)
- जून 2018 में, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने भारत की विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नीति की समीक्षा करने और रणनीतिक सुधारों की सिफारिशें देने के लिये बाबा कल्याणी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
- मुख्य सिफारिशें:
- SEZ के फोकस में सुधार: SEZ का नाम बदलकर रोज़गार एवं आर्थिक एन्क्लेव (3E) किया जाए, घरेलू मांग को लक्ष्य बनाया जाए और इन्हें NFE प्रदर्शन से अलग किया जाए।
- प्रोत्साहन संरचना का पुनर्गठन: प्रोत्साहनों को निवेश, रोज़गार सृजन, महिला रोज़गार, मूल्य संवर्द्धन और प्रौद्योगिकी में अंतर जैसे कारकों पर आधारित किया जाए।
- क्षेत्र-विशिष्ट ढाँचा: विनिर्माण और सेवाओं के लिये अलग-अलग नियम एवं दिशा-निर्देश तैयार किये जाएँ।
- अवसंरचना एवं EoDB: उच्च गुणवत्ता वाली अवसंरचना विकसित की जाए और ‘वॉक-टू-वर्क ज़ोन’ की अवधारणा को अपनाया जाए। निवेश, संचालन और निकास से संबंधित सभी प्रक्रियाओं के लिये एक एकीकृत ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए।
निष्कर्ष:
भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में सुधार करना निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये अत्यंत आवश्यक है। मुख्य उपायों में रिवर्स जॉब वर्क की अनुमति, DESH के माध्यम से नियामक सुधार, क्षेत्र-विशिष्ट औद्योगिक गलियारों का विकास और अवसंरचना एवं विवाद निपटान तंत्र को सुदृढ़ बनाना शामिल हैं। इन सुधारों का उद्देश्य SEZ को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी, नवाचार-प्रधान और रोज़गार-सृजन करने वाले आर्थिक केंद्रों में बदलना है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. वैश्विक व्यापार व्यवधानों के बीच निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बनाए रखने में भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) क्या हैं?
SEZ को व्यापार, विनिर्माण और सेवाओं के लिये शुल्क मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसका उद्देश्य SEZ अधिनियम, 2005 के तहत निर्यात, FDI एवं औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है।
2. SEZ में 'रिवर्स जॉब वर्क' क्या है?
यह SEZ इकाइयों को घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) के लिये विनिर्माण करने की अनुमति देता है, जिससे घरेलू उद्योगों के साथ शुल्क समानता बनाए रखते हुए इष्टतम क्षमता उपयोग, लाभप्रदता और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
3. प्रस्तावित DESH बिल, 2022 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
DESH विधेयक का उद्देश्य SEZ अधिनियम, 2005 को प्रतिस्थापित करना है, ताकि अधिक अनुकूल 'विकास केंद्र' बनाए जा सकें, जो निर्यात संवर्द्धन को घरेलू विनिर्माण और निवेश के साथ एकीकृत कर सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)
- भारत में पहली टेलीग्राफ लाइन कोलकाता (पूर्व का कलकत्ता) और डायमंड हार्बर के बीच डाली गई थी।
- भारत में पहला निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन) कांडला में स्थापित किया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न: इसकी स्पष्ट स्वीकृति है कि विशेष आर्थिक ज़ोन (एस.इ.जैड.) औद्योगिक विकास, विनिर्माण और निर्यातों के एक साधन हैं। इस संभाव्यता को मान्यता देते हुए, एस.ई.जैड के संपूर्ण करणत्व में वृद्धि करने की आवश्यकता है। कराधान, नियंत्रक कानूनों और प्रशासन के संबंध में एस.ई.जैडों. की सफलता को परेशान करने वाले मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2015)

