भारत-कनाडा संबंधों का पुनर्स्थापन | 15 Oct 2025
प्रिलिम्स के लिये: महत्त्वपूर्ण खनिज, हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन, कार्बन कैप्चर, एआई इम्पैक्ट समिट 2026, एंट्रिक्स, फाइव आइज़, क्वाड, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमीकंडक्टर।
मेन्स के लिये: भारत-कनाडा संबंधों की गतिशीलता और संबंधित चुनौतियाँ, प्रवासी भारतीयों की भूमिका और भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर द्विपक्षीय समझौतों का प्रभाव।
चर्चा में क्यों?
भारत और कनाडा ने द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिये कई उपायों पर सहमति व्यक्त की है, जैसा कि उनके विदेश मंत्रियों द्वारा ‘मज़बूत साझेदारी की दिशा में गति को नवीनीकृत करना (Renewing Momentum Towards a Stronger Partnership)’ शीर्षक से जारी संयुक्त वक्तव्य में घोषित किया गया है।
अपनी साझेदारी को मज़बूत करने पर भारत-कनाडा संयुक्त वक्तव्य की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- नए रोडमैप को अपनाना: यह आपसी सम्मान, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, विधि का शासन, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित संबंधों के लिये एक नया ढाँचा है, जिसका उद्देश्य स्थिरता बहाल करना तथा एक रचनात्मक साझेदारी का निर्माण करना है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: कनाडा-भारत CEO फोरम 2026 की शुरुआत में फिर से शुरू होगा। मंत्रिस्तरीय वार्ता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी, जिसमें स्वच्छ प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचे, कृषि-खाद्य और डिजिटल नवाचार को प्राथमिकता दी जाएगी।
- स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई: ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये, मार्च, 2026 में एक महत्त्वपूर्ण खनिज वार्षिक संवाद शुरू होगा और कनाडा-भारत मंत्रिस्तरीय ऊर्जा संवाद (CIMED) को पुनर्जीवित किया जाएगा।
- सहयोग हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन, कार्बन कैप्चर और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर केंद्रित होगा।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और डिजिटल संबंध: संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समिति (JSTCC) को पुनः आरंभ किया जाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहयोग के क्षेत्र में, कनाडा भारत के कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 में शामिल होगा और दोनों देश डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना सहयोग की संभावनाएँ तलाशेंगे।
- लोगों से लोगों के बीच संपर्क: दोनों देशों ने उच्च शिक्षा में नए सिरे से सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई, जिसमें AI और साइबर सुरक्षा अनुसंधान तथा भारत में कनाडाई विश्वविद्यालय परिसरों की खोज शामिल है ।
- इसे सुगम बनाने के लिये, शैक्षणिक नेटवर्क का विस्तार करने के लिये उच्च शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह को पुनर्जीवित किया जाएगा।
भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी: वर्ष 2023 में वस्तुओं और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 26 बिलियन कैनेडियन डॉलर (CAD) से अधिक रहा। उल्लेखनीय निवेशों में कैनेडियन पेंशन फंड्स के 75 बिलियन CAD से अधिक के निवेश और भारत में 600 से अधिक कैनेडियन कंपनियों की उपस्थिति शामिल है।
- एनर्जी और सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन: न्यूक्लियर कोऑपरेशन एग्रीमेंट (2010) के तहत कनाडा भारत के लिये एक प्रमुख यूरेनियम आपूर्तिकर्त्ता है। एक अलग मंत्री-स्तरीय ऊर्जा संवाद में तेल, गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, विद्युत और स्वच्छ प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं।
- सुरक्षा और कानूनी ढाँचा: सुरक्षा सहयोग आतंकवाद-रोधी संयुक्त कार्य समूह (JWG) (1997) और आतंकवाद-रोधी सहयोग फ्रेमवर्क (2018) पर आधारित है, जबकि कानूनी सहयोग को प्रत्यर्पण संधि (1987) तथा पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (1994) द्वारा सशक्त किया गया है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: ISRO और कैनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) के बीच समझौता ज्ञापन (MoUs) हैं और ISRO की कमर्शियल ब्राँच, ANTRIX ने कई कैनेडियन नैनोसैटेलाइट लॉन्च किये हैं।
- पीपल-टू-पीपल एंड एजुकेशनल लिंक: कनाडा में विदेशों में रहने वाले सबसे बड़े इंडियन डायस्पोरा में से एक है, जहाँ भारतीय मूल के लगभग 1.8 मिलियन लोग समाज और अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं। भारत कनाडा के लिए इंटरनेशनल स्टूडेंट्स का भी एक टॉप सोर्स है, जहाँ लगभग 427,000 इंडियन स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। कनाडा में प्रवासी भारतीयों का एक बड़ा समुदाय निवास करता है, जहाँ लगभग 1.8 मिलियन भारतीय मूल के लोग समाज और अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। भारत भी कनाडा के लिये अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का एक प्रमुख स्रोत है, जहाँ लगभग 427,000 भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- खालिस्तान मुद्दा: भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया है कि वह खालिस्तानी अलगाववादियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने, रैलियों का आयोजन करने, हिंसा को बढ़ावा देने और भारत को अस्थिर करने वाली गतिविधियों को वित्तपोषित करता है।
- भारत इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा मानता है और भड़काने वाली गतिविधियों व विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिये कनाडा को दोषी ठहराता है।
- व्यापार और आर्थिक अवरोध: राजनीतिक मतभेदों के कारण व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर वार्ता वर्ष 2023 से आधिकारिक रूप से स्थगित हैं और प्रभावी रूप से स्थिर हो गई हैं।
- राजनयिक तनाव ने एक अनिश्चित वातावरण उत्पन्न कर दिया है, जिससे नए निवेश और साझेदारियाँ हतोत्साहित हो रही हैं।
- राजनयिक तनाव: सार्वजनिक आरोपों, प्रत्यर्पण और आधिकारिक वार्ताओं में व्यवधान ने द्विपक्षीय संबंधों के लिये आवश्यक आधारभूत विश्वास को कमज़ोर कर दिया है।
- रणनीतिक असमानता: भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने में अग्रणी है और क्वाड का एक प्रमुख सदस्य है, जबकि कनाडा का चीन के प्रति दृष्टिकोण असंगत है, जिसमें आर्थिक हितों और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बनाना शामिल है।
- कनाडा की विदेश नीति फाइव आईज़ पार्टनर्स (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) के साथ मेल खाती है, जबकि भारत-यूएस संबंध विशेष रूप से रूस के संदर्भ में जटिल संतुलन रखते हैं।
- वैश्विक शासन में मतभेद: कनाडा नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर ज़ोर देता है, जिसमें मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर ध्यान केंद्रित होता है, जबकि भारत इन सिद्धांतों का समर्थन करता है लेकिन रणनीतिक स्वायत्तता, राष्ट्रीय विकास एवं सुधारित बहुपक्षीयता को प्राथमिकता देता है तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे संस्थानों को अप्रासंगिक मानता है।
भारत-कनाडा संबंधों को मज़बूत करने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?
- कूटनीतिक पुनर्संतुलन: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) स्तर पर एक द्विपक्षीय सुरक्षा और संप्रभुता संवाद स्थापित किया जाए ताकि खालिस्तानी उग्रवाद से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जा सके तथा खुफिया जानकारी साझा करने व कानूनी सहयोग के लिये स्पष्ट प्रोटोकॉल बनाए जा सकें।
- इसके अतिरिक्त एक 2+2 संवाद तंत्र (Dialogue Mechanism) की स्थापना की जाए ताकि इंडो-पैसिफिक सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी उपायों और समुद्री सहयोग पर रणनीतिक असमानताओं को दूर किया जा सके।
- आर्थिक एकीकरण: स्वच्छ प्रौद्योगिकी, कृषि-प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल सेवाओं जैसे कम विवादास्पद क्षेत्रों में शीघ्र फसल समझौते लागू करते हुए, एक समयबद्ध और क्षेत्र-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाया जाए ताकि व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) को पुनर्जीवित किया जा सके।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: क्रिटिकल मिनरल्स संवाद और ऊर्जा वार्ताओं को तीव्र किया जाए, ताकि ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिये प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय सहयोग के माध्यम से भारत के हरित परिवर्तन में कनाडा को एक प्रमुख साझेदार के रूप में स्थापित किया जा सके।
- एक भारत-कनाडा नवाचार सेतु स्थापित किया जाए ताकि स्टार्टअप्स, वेंचर कैपिटल और क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा दिया जा सके।
- मानव पूंजी को सशक्त बनाना: विदेशी शैक्षणिक संस्थान (FEI) विनियम, 2023 के तहत भारत में कनाडाई विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि संयुक्त/द्वैध डिग्री कार्यक्रमों और STEM क्षेत्रों में अनुसंधान के माध्यम से शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जा सके।
- 1.8 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिये त्योहारों, कला और फिल्म सहयोगों का विस्तार कर भारत-कनाडा के सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ किया जाए।
निष्कर्ष
वर्ष 2025 की संयुक्त घोषणा पर आधारित भारत-कनाडा की नवीकृत साझेदारी का उद्देश्य विश्वास बहाली, आर्थिक समन्वय को प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाना तथा लोगों के बीच संबंधों को और गहरा करना है। संरचित संवादों और क्षेत्र-आधारित एकीकरण के माध्यम से पुरानी चुनौतियों को दूर करना, दोनों देशों के लिये सतत् और भविष्य-उन्मुख द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रभावी ब्लूप्रिंट प्रस्तुत करता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. वर्ष 2023 के बाद भारत-कनाडा संबंधों में प्रमुख अवरोधों पर चर्चा कीजिये तथा उनके समाधान के लिये व्यावहारिक कूटनीतिक और आर्थिक उपाय सुझाएँ। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत-कनाडा संयुक्त वक्तव्य 2025 क्या है?
यह एक रोडमैप है जिसका शीर्षक है, 'रिन्यूइंग मोमेंटम टूवर्ड्स ए स्ट्रॉन्गर पार्टनरशिप', जिसका उद्देश्य व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच संबंधों के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्स्थापित करना है।
2. भारत-कनाडा संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
मुख्य चुनौतियों में खालिस्तानी उग्रवाद, CEPA वार्ताओं का ठप होना, कूटनीतिक तनाव, चीन पर रणनीतिक असहमति और वैश्विक शासन प्राथमिकताओं में मतभेद शामिल हैं।
3. प्रस्तावित क्रिटिकल मिनरल्स वार्षिक संवाद का क्या महत्त्व है?
यह संवाद भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसका उद्देश्य बैटरी, EV और नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के लिये खनिज आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित करना है, जिसमें कनाडा एक संसाधन-समृद्ध साझेदार के रूप में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रीलिम्स
प्रश्न: ग्रुप ऑफ सेवन (G7) देशों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
1. यह दुनिया की सात विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक औपचारिक समूह है।
2. यूरोपीय संघ G7 की घूर्णनशील वार्षिक अध्यक्षता का हिस्सा नहीं है।
3. G7 नेताओं, मंत्रियों और नीति-निर्माताओं के बीच स्पष्ट और खुली चर्चा के लिये बनाया गया एक मंच है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) 2 और 3 केवल
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: C
प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020)
(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया एवं न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब एवं वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया
उत्तर: (a)