भारत-मालदीव संबंधों में पुनः सुधार | 28 Jul 2025

प्रिलिम्स के लिये:

MAHASAGAR पहल, मुक्त व्यापार समझौता (FTA), द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT), आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब्स (BHISHM), ऑपरेशन नीर, ऑपरेशन कैक्टस, अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ), कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC)

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिये स्वस्थ भारत-मालदीव संबंधों का महत्त्व।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है।

  • यह इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान मालदीव के राष्ट्रपति के कार्यकाल में उनके इंडिया आउट अभियान और उनके प्रशासन से जुड़े अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के कारण भारत-मालदीव संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।

इस यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?

  • रणनीतिक साझेदारी पर प्रगति: दोनों देशों ने वर्ष 2024 आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और भारत ने अपनी "नेबरहुड फर्स्ट" और महासागर नीतियों की पुष्टि की।
  • आर्थिक एवं डिजिटल साझेदारी: भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) दोनों देशों के लिए नए अवसर पैदा करेगी।
    • दोनों देशों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये UPI, RuPay कार्ड और स्थानीय मुद्रा व्यापार पर समझौतों का स्वागत किया।
  • वित्तीय सहायता: भारत ने बुनियादी ढाँचे के लिये 550 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता (LoC) प्रदान की, जबकि मौजूदा LoC पर एक संशोधन समझौते से मालदीव की वार्षिक ऋण चुकौती में 40% की कटौती हुई।
  • बुनियादी ढाँचा एवं सामाजिक परियोजनाएँ: दोनों देशों ने प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें अड्डू शहर (Addu City) में सड़कें और जल निकासी, 6 सामुदायिक विकास परियोजनाएँ और 3,300 सामाजिक आवास इकाइयाँ शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल एवं आपदा सहायता: भारत ने दो आरोग्य मैत्री स्वास्थ्य क्यूब्स (BHISHM) दान किये, जो 200 से अधिक घायलों को आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करने में सक्षम हैं।

मालदीव को भारत के साथ अपने संबंधों को पुनः संतुलित करने हेतु किसने प्रोत्साहित किया?

  • गंभीर आर्थिक संकट: मालदीव हाल ही में एक बड़ी आर्थिक मंदी से जूझ रहा था, जिसमें विदेशी मुद्रा भंडार 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक गिर गया था।
    • तनाव को और बढ़ाते हुए मूडीज़ ने देश की कर्ज़ चुकाने में संभावित विफलता के जोखिम के कारण उसकी क्रेडिट रेटिंग घटा दी।
  • भारत पर आर्थिक निर्भरता: मालदीव अपने पर्यटन क्षेत्र के लिये प्रमुख स्रोत, भारतीय पर्यटकों पर बहुत अधिक निर्भर है। तनावपूर्ण संबंधों के कारण मालदीव को लगभग 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।
    • भारत, मालदीव को खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ और निर्माण सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएँ भी प्रदान करता है।
  • भारत की रणनीतिक भूमिका: भारत ने ऐतिहासिक रूप से मालदीव के विकास और सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत को दूर करना क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
  • चीन के साथ भू-राजनीतिक संतुलन: नरम रुख भारत और चीन दोनों के साथ संबंधों को संतुलित करने के व्यावहारिक प्रयास को दर्शाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मालदीव एक विविध विदेश नीति को बनाए रखते हुए भारत के समर्थन से लाभान्वित हो सके।
  • राजनीतिक यथार्थवाद: यह भारत के आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्त्व को पहचानते हुए, भारत के साथ संबंधों की रक्षा और उसे मज़बूत करने के लिये रणनीतिक पुनर्संतुलन का संकेत देता है।

भारत-मालदीव संबंधों में पुनः सुधार दोनों देशों के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?

भारत के लिये मालदीव का महत्त्व

  • रणनीतिक स्थिति: हिंद महासागर में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों (International Shipping Lanes - ISLs) के पास स्थित होने के कारण, मालदीव वैश्विक व्यापार और ऊर्जा प्रवाह को सुगम बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • उल्लेखनीय बात यह है कि भारत का 50% बाह्य व्यापार और 80% ऊर्जा आयात इन्हीं जलमार्गों से होकर गुजरता है।
  • चीन के प्रभाव का मुकाबला: भारत मालदीव को एक रणनीतिक सहयोगी मानता है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को संतुलित करने और अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने में सहायक हो सकता है।
  • हिंद महासागर भारत का सामरिक क्षेत्र: भारत हिंद महासागर को अपने रणनीतिक प्रभाव क्षेत्र के रूप में मानता है, इसलिये इस क्षेत्र में स्थिरता और सहयोगपूर्ण समुद्री वातावरण बनाए रखना उसके दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दिशा में मालदीव क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत का एक प्रमुख साझेदार है।

मालदीव के लिये भारत का महत्व

  • सुरक्षा सहयोग: भारत ने एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में लंबे समय से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से ऑपरेशन कैक्टस (1988) के माध्यम से तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर और एकुवेरिन, दोस्ती तथा एकता (Ekatha) जैसे नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से रक्षा सहयोग को सशक्त बनाकर।
  • पर्यटन योगदान: भारतीय पर्यटक मालदीव के लिये शीर्ष स्रोत बाज़ार के रूप में उभरे हैं, जो वर्ष 2023 में 11.2% आगमन हेतु ज़िम्मेदार हैं।
  • शिक्षा साझेदार: उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले मालदीव के छात्रों के लिये भारत पसंदीदा स्थान है, जहाँ उन्हें छात्रवृत्ति और प्रतिष्ठित संस्थानों तक पहुँच मिलती है।
  • जलवायु परिवर्तन सहयोग: समुद्र-स्तर में वृद्धि और अन्य जलवायु-संबंधी जोखिमों के प्रति मालदीव की संवेदनशीलता को देखते हुए यह जलवायु परिवर्तन अनुकूलन तथा शमन प्रयासों को आगे बढ़ाने में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में कार्य करता है।
  • आपदा राहत और मानवीय सहायता: भारत ने सुनामी, पेयजल की कमी और कोविड-19 महामारी सहित आपात स्थितियों के दौरान लगातार सहायता प्रदान की है, जिससे एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में इसकी भूमिका मज़बूत हुई है।
  • भारत ने सुनामी, पेयजल की कमी तथा कोविड-19 महामारी जैसी आपात स्थितियों में लगातार सहायता प्रदान की है, जिससे एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उसकी भूमिका और अधिक मज़बूत हुई है।

भारत-मालदीव संबंधों को और मज़बूत करने के लिये क्या किया जा सकता है?

  • आर्थिक एवं विकासात्मक सहयोग: भारत और मालदीव को FTA में तेज़ी लानी चाहिये, भारतीय निवेश को बढ़ावा देना चाहिये और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिये स्थानीय मुद्रा व्यापार को अपनाना चाहिये।
    • भारत को ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) जैसी प्रमुख परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना चाहिये और डिजिटल अवसंरचना को मज़बूत करने तथा चीनी निर्भरता को कम करने के लिये अंतःसमुद्री (अंडरसी) केबल लिंक विकसित करना चाहिये।
  • सुरक्षा एवं रणनीतिक सहयोग: भारत को मालदीव के साथ संयुक्त गश्त, अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की निगरानी, गश्ती नौकाओं तथा ड्रोन की सहायता तथा खुफिया जानकारी साझा करने के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को और अधिक मज़बूत करना चाहिये।
  • लोगों के बीच आपसी संबंध: भारत को "इंडिया आउट" जैसे नैरेटिव का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिये मालदीव के युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करना चाहिये एवं स्वतंत्र मीडिया को समर्थन देना चाहिये। इसके साथ ही फिल्म तथा सांस्कृतिक सहयोग को प्रोत्साहित करके दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मज़बूत किया जा सकता है।
  • कूटनीतिक और राजनीतिक संपर्क: भारत को उच्च-स्तरीय संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिसमें नियमित द्विपक्षीय यात्राएँ और ट्रैक-2 कूटनीति (थिंक टैंक, शैक्षणिक आदान-प्रदान) जैसी पहल शामिल हों। साथ ही सार्वजनिक विवादों से बचते हुए मालदीव की संप्रभुता से जुड़ी चिंताओं को संवेदनशीलता और सम्मान के साथ संबोधित करना चाहिये।

निष्कर्ष

भारत-मालदीव संबंधों का पुनर्निर्धारण क्षेत्रीय स्थिरता, चीन के प्रभाव का मुकाबला करने और पारस्परिक आर्थिक विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। व्यापार, सुरक्षा तथा लोगों के बीच संबंधों को प्राथमिकता देकर, भारत मालदीव के विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को और मज़बूत कर सकता है। रणनीतिक कूटनीति, समय पर परियोजनाओं का क्रियान्वयन एवं सॉफ्ट पावर की भागीदारी हिंद महासागर में दीर्घकालिक सहयोग सुनिश्चित करेगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

Q. बदलती क्षेत्रीय भू-राजनीति के संदर्भ में भारत के लिये मालदीव के सामरिक और आर्थिक महत्त्व का परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

मेन्स

प्रश्न. वैश्विक व्यापार और ऊर्जा प्रवाह पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के लिये मालदीव के भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। आगे यह भी चर्चा कीजिये कि यह संबंध अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के बीच भारत की समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को कैसे प्रभावित करता है? (2024)

प्रश्न. मालदीव में पिछले दो वर्षों में हुई राजनैतिक घटनाओं की विवेचना कीजिये। यह बताइये कि क्या ये भारत के लिये चिंता का विषय है? (2013)