MSMEs के लिये RAMP योजना | 01 Apr 2022 | भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रिलिम्स के लिये:
RAMP योजना, KV कामथ समिति, PMEAC, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME)।
मेन्स के लिये:
भारतीय अर्थव्यवस्था और संबंधित योजनाओं में एमएसएमई का महत्त्व।
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमएसएमई के प्रदर्शन को बेहतर और तेज़ करने यानी RAMP (Rising and Accelerating MSME Performance) योजना को मंज़ूरी दी है, जिसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2022-23 में होगी।
RAMP योजना
- परिचय:
- उद्देश्य:
- बाज़ार और ऋण तक पहुँच में सुधार।
- केंद्र एवं राज्यों में स्थित विभिन्न संस्थानों और शासन को मज़बूत करना।
- केंद्र-राज्य संबंधों और साझेदारियों को बेहतर करना।
- MSME द्वारा विलंबित भुगतान और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद एवं प्रक्रियाओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाना।
- घटक:
- RAMP का महत्त्वपूर्ण घटक रणनीतिक निवेश योजना (SIP) तैयार करना है जिसमें सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को आमंत्रित किया जाएगा।
- SIP और RAMP के अंतर्गत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों हेतु योजना के रूप में प्रमुख बाधाओं और अंतरालों की पहचान करना, विशेष उपलब्धियों एवं परियोजना का निर्धारण तथा नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण व गैर-कृषि व्यवसाय, थोक एवं खुदरा व्यापार, ग्रामीण और कुटीर उद्योग, महिला उद्यम आदि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये आवश्यक बजट पेश करना शामिल है।
- RAMP की समग्र निगरानी और नीति का अवलोकन एक शीर्ष राष्ट्रीय MSME परिषद द्वारा किया जाएगा।
- इसमें विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों सहित MSME मंत्रालय के मंत्री शामिल होंगे। इस योजना के तहत MSME मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम समिति गठित होगी।
- निधियन:
- इस योजना के लिये कुल परिव्यय 6,062.45 करोड़ रुपए है जिसमें से 3750 करोड़ रुपए विश्व बैंक से ऋण के रूप में प्राप्त होंगे तथा शेष 2312.45 करोड़ रुपए की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा की जाएगी।
- कार्यान्वयन रणनीति:
- बाजार पहुँच और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए MSME मंत्रालय के वर्तमान कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिये भुगतान से जुड़े संकेतकों (Disbursement Linked Indicators- DLIs) से अलग मंत्रालय के बजट में RAMP के माध्यम से वित्त का आवंटन होगा।
- विश्व बैंक से RAMP के लिये प्राप्त निधियों की अदायगी, भुगतान से जुड़े निम्नलिखित संकेतकों को पूरा करने हेतु की जाएगी:
- राष्ट्रीय MSME सुधार एजेंडा को लागू करना।
- MSME क्षेत्र के लिये केंद्र-राज्य सहयोग को तेज़ करना।
- प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना की प्रभावशीलता बढ़ाना (CLCS-TUS)।
- MSME के लिये प्राप्य वित्तपोषण बाज़ार को मज़बूत बनाना।
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (CGTMSE) और "ग्रीनिंग एंड जेंडर" डिलीवरी की प्रभावशीलता बढ़ाना।
- विलंबित भुगतान की घटनाओं को कम करना।
योजना के लाभ:
- MSME क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों का समाधान:
- RAMP कार्यक्रम प्रतिस्पर्द्धा के मामले में मौजूदा MSME योजनाओं के प्रभाव में वृद्धि कर MSME क्षेत्र की सामान्य एवं कोविड से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करेगा।
- MSME में अपर्याप्त रूप से संबोधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना:
- यह कार्यक्रम अन्य बातों के अलावा क्षमता निर्माण, हैंडहोल्डिंग, कौशल विकास, गुणवत्ता संवर्द्धन, तकनीकी उन्नयन, डिजिटलीकरण, आउटरीच और मार्केटिंग प्रमोशन जैसे अपर्याप्त रूप से संबोधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करेगा।
- रोज़गार सृजन:
- यह कार्यक्रम राज्यों के साथ अधिक सहयोग के माध्यम से एक रोज़गार सृजक, बाज़ार प्रमोटर और वित्त सुविधाकर्त्ता के रूप में कार्य करेगा।
- औपचारिकरण की शुरुआत:
- उन राज्यों में जहाँ MSME की उपस्थिति कम है, इस कार्यक्रम के तहत कवर की गई योजनाओं के उच्च प्रभाव के परिणामस्वरूप व्यापक औपचारिकरण की शुरुआत होगी।
- इन राज्यों द्वारा विकसित SIPs एक बेहतर MSME क्षेत्र के विकास के लिये रोडमैप के रूप में कार्य करेंगे।
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का पूरक:
- यह कार्यक्रम उच्च उद्योग मानकों, उद्योग प्रथाओं में नवाचार और वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा दे कर तथा MSMEs को आवश्यक तकनीकी इनपुट प्रदान कर ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ का पूरक होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में MSMEs का महत्त्व:
- परिचय:
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
- निर्यात के संदर्भ में वे आपूर्ति शृंखला का अभिन्न अंग हैं और कुल निर्यात में लगभग 48 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
- इसके अलावा MSMEs रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश भर में लगभग 110 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
- विदित हो कि MSMEs ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़े हुए हैं और लगभग आधे से अधिक MSMEs ग्रामीण भारत में कार्यरत हैं।
- संबंधित योजनाएँ:
विगत वर्षों के प्रश्न:
प्रश्न. समावेशी विकास के सरकार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में निम्नलिखित में से कौन मदद कर सकता है? (2011)
- स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देना
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू करना
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 (b) केवल 1 और 2 (c) केवल 2 और 3 (d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
- समावेशी विकास एक ऐसी अवधारणा है, जो आर्थिक विकास के दौरान आर्थिक सहभागियों के लिये समान अवसरों को आगे बढ़ाती है, जिसका लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचता है।
- स्वयं सहायता समूहों, MSMEs को बढ़ावा देना और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन, सभी समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में सहायता करते हैं।
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स्रोत: पी.आई.बी.