कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन | 28 May 2021

प्रिलिम्स के लिये

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), वायु प्रदूषण, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, उजाला (UJALA) योजना

मेन्स के लिये

बायोमास के उपयोग एवं महत्त्व, वायु प्रदूषण के कारण और निवारण, वायु प्रदूषण को कम करने संबंधी प्रमुख योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास का उपयोग बढ़ाने के लिये एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित करने का फैसला किया है।

प्रमुख बिंदु 

परिचय:

  • बायोमास पर प्रस्तावित राष्ट्रीय मिशन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में भी योगदान देगा।
  • यह देश में ऊर्जा संबंधी बदलाव और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने के हमारे लक्ष्यों में मदद करेगा।

लक्ष्य:

  • खेत में पराली जलाने (stubble burning) से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान करना और ताप विद्युत उत्पादन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना।

उद्देश्य:

  • ताप विद्युत संयंत्रों से कार्बन न्यूट्रल बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा पाने के लिये बायोमास को-फायरिंग (co-firing) के स्तर को वर्तमान 5 प्रतिशत से बढ़ाकर उच्च स्तर तक ले जाना।
    • बायोमास को-फायरिंग उच्च दक्षता वाले कोयला बॉयलरों में  ईंधन के एक आंशिक विकल्प के रूप में बायोमास को जोड़ने को संदर्भित करता है।
  • बायोमास पेलेट (Pellets) में सिलिका, क्षार की अधिक मात्रा को संभालने के लिये बॉयलर डिज़ाइन में अनुसंधान एवं विकास (R&D) गतिविधि शुरू करना।
  • बायोमास पेलेट एवं कृषि-अवशेषों की आपूर्ति शृंखला में बाधाओं को दूर करने और बिजली संयंत्रों तक इसके परिवहन को सुगम बनाना।
  • बायोमास को-फायरिंग में नियामक मुद्दों पर विचार करना।

प्रस्तावित संरचना:

  • इस मिशन के अंतर्गत सचिव (विद्युत मंत्रालय) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा जिसमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MOPNG), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) आदि के प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारक शामिल होंगे।
  • राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC) प्रस्तावित राष्ट्रीय मिशन में रसद और बुनियादी ढाँचा संबंधी सहायता प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। 

अवधि:

  • प्रस्तावित राष्ट्रीय मिशन की अवधि न्यूनतम 5 वर्ष की होगी।

कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से प्रदूषण कम करने की पहल:

  • कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिये कठोर उत्सर्जन मानकों को अधिसूचित किया गया है।
    •  विषाक्त सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती हेतु फ्ल्यू गैस डिसल्फराइज़ेशन (Flue Gas Desulphurization- FGD) इकाइयों को स्थापित करने के लिये उत्सर्जन मानकों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिये।
  • पुराने के स्थान पर सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये कुछ शर्तों के अधीन अक्षम विद्युत संयंत्रों से नए सुपर क्रिटिकल संयंत्रों को कोयला लिंकेज के स्वचालित हस्तांतरण को मंज़ूरी दी गई।
  • सीवेज उपचार सुविधाओं के 50 किमी. के अंदर स्थापित ताप विद्युत संयंत्र अनिवार्य रूप से उपचारित सीवेज जल का उपयोग करेंगे।

वायु प्रदूषण को कम करने के लिये अन्य पहलें:

बायोमास (Biomass)

परिचय:

  • बायोमास वह संयंत्र या पशु सामग्री है जिसका उपयोग बिजली या ऊष्मा का उत्पादन करने के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से लकड़ी, ऊर्जा फसलें और वनों,  मैदान (Yards) या खेतों से निकलने वाले अपशिष्ट शामिल हैं।
  • देश के लिये बायोमास सदैव एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत रहा है, जो इसके द्वारा प्रदान किये जाने वाले लाभों को संदर्भित करता है।

लाभ: 

  • बायोमास अक्षय या नवीकरणीय, व्यापक रूप से उपलब्ध और कार्बन-तटस्थ है तथा इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण रोज़गार प्रदान करने की क्षमता है। 
  • इसमें दृढ़ ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता है। देश में कुल प्राथमिक ऊर्जा उपयोग का लगभग 32% अभी भी बायोमास से प्राप्त होता है और देश की 70% से अधिक आबादी अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये इस पर निर्भर है। 

बायोमास विद्युत और सह उत्पादन कार्यक्रम:

  • परिचय:
    • इस कार्यक्रम को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा शुरू किया गया है।
    • इस कार्यक्रम के अंतर्गत बायोमास के कुशल उपयोग के लिये चीनी मिलों में खोई (Bagasse) आधारित सह-उत्पादन और बायोमास बिजली उत्पादन शुरू किया गया है।
    • विद्युत उत्पादन के लिये उपयोग की जाने वाली बायोमास सामग्री में चावल की भूसी, पुआल, कपास की डंठल, नारियल के गोले, सोया भूसी, डी-ऑयल केक, कॉफी अपशिष्ट, जूट अपशिष्ट, मूँगफली के गोले, धूल आदि शामिल हैं।
  • उद्देश्य:
    • ग्रिड विद्युत उत्पादन हेतु देश के बायोमास संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिये प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना।

स्रोत : पी.आई.बी.