समुद्री सुरक्षा | 30 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री सुरक्षा, युआंग वांग 5, सरकार की पहल।

मेन्स के लिये:

समुद्री सुरक्षा का महत्त्व, समुद्री सुरक्षा में चुनौतियाँ, सरकार की पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में श्रीलंका के राजदूत ने कहा कि भारत-श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह में युआंग वांग 5, चीनी उपग्रह और मिसाइल ट्रैकिंग जहाज़ की उपस्थिति जैसी समुद्री सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा करने के लिये एक रूपरेखा का निर्माण करना चाहिये।

युआंग वांग 5:

  • परिचय :
    • यह युआंग वांग शृंखला की तीसरी पीढ़ी का पोत है जो वर्ष 2007 से सेवारत है।
    • पोत की इस शृंखला में "मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन एवं उपग्रह ट्रैकिंग" भी शामिल हैं।
    • अर्थात् इसमें उपग्रहों और अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता है।
  • हंबनटोटा बंदरगाह:
    • हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट समूह श्रीलंका सरकार एवं चीन मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स (CMPort) के मध्य एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की रणनीतिक विकास परियोजना है।
    • श्रीलंका द्वारा चीनी ऋण चुकाने में विफल रहने के बाद यह बंदरगाह चीन को 99 वर्ष के पट्टे पर दिया गया था।
    • इसे चीन के "ऋण जाल" कूटनीति के रूप में देखा जाता है।

भारत में समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता:

  • परिचय:
  • महत्त्व:
    • विश्व समुदाय के लिये समुद्री सुरक्षा का अत्यधिक महत्त्व है क्योंकि समुद्र में लूट-पाट से लेकर अवैध अप्रवास और हथियारों की तस्करी जैसी चिंताएँ व्याप्त हैं।
      • यह आतंकवादी हमलों और पर्यावरणीय आपदाओं के खतरों से भी निपटता है।
    • भारत के संदर्भ में समुद्री सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इसकी तटरेखा 7,500 किलोमीटर से भी अधिक है।
      • प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, समुद्री क्षेत्र में भौतिक खतरों से ज़्यादा, तकनीकी खतरों से सुरक्षा की आवश्यकता है।
    • भारत का निर्यात और आयात ज़्यादातर हिंद महासागर के शिपिंग क्षेत्र से होता है। इसलिये, 21वीं सदी में संचार के समुद्री मार्ग (SLOCs) को सुरक्षित करना भारत के लिए एक अहम मुद्दा रहा है।
  • चीन की उपस्थिति:
    • वर्ष 2019 में चीनी पोत शियान 1 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास देखा गया था।
    • अगस्त 2020 में चीन-भारत सीमा पर पूर्वी लद्दाख में चल रहे संघर्ष के बीच चीन ने अपने युआंग वांग वर्ग के पोत को हिंद महासागर में भेजा।

समुद्री सुरक्षा के लिये भारत की पहल:

  • क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR) नीति:
    • भारत की सागर नीति एक एकीकृत क्षेत्रीय ढाँचा है, जिसका अनावरण भारतीय प्रधानमंत्री ने मार्च 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान किया था। सागर(SAGAR) नीति के आधारभूत स्तंभ हैं:
      • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका।
      • भारत IOR क्षेत्र में अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयास ज़ारी रखेगा।
      • IOR के भविष्य पर अधिक एकीकृत और सहयोगात्मक फोकस इस क्षेत्र के सभी देशों के सतत विकास की संभावनाओं को बढ़ाएगा।
      • IOR में शांति, स्थिरता और समृद्धि की प्राथमिक ज़िम्मेदारी "इस क्षेत्र में रहने वाले" लोगों की होगी।
  • मिशन सागर:
    • मई 2020 में शुरू किया गया 'मिशन सागर' हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों में देशों को कोविड-19 संबंधित सहायता प्रदान करने हेतु भारत की पहल थी। इसके तहत मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स जैसे देश शामिल थे।
      • मिशन सागर ’के तहत भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) और उसके तटवर्ती देशों में चिकित्सा और मानवीय सहायता भेजने के लिये अपने जहाज़ों को तैनात कर रही है।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन:
  • डेटा साझा करना:
    • वाणिज्यिक नौवहन के खतरों पर डेटा साझा करना समुद्री सुरक्षा बढ़ाने का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • इस संदर्भ में, भारत ने वर्ष 2018 में गुरुग्राम में हिंद महासागर क्षेत्र के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संलयन केंद्र (IFC) की स्थापना की।
    • IFC को भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल संयुक्त रूप से प्रशासित करते हैं।
    • IFC सुरक्षा और सुरक्षा के मुद्दों पर समुद्री क्षेत्र की जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य को पूरा करता है।

आगे की राह:

  • भारत का बहुआयामी दृष्टिकोण:
    • भारत की केवल मज़बूत सैन्य रणनीति ही चीन का मुकाबला करने के लिये पर्याप्त नहीं है, उसे अवसंरचना के घटक, प्रौद्योगिकी से संबंधित पहलू सहित एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।
    • हिंद महासागर में भारत को अपनी प्रमुखता और मुखरता बनाए रखनी चाहिये तथा चीन को उन क्षेत्रों में संचालन से रोकना चाहिये जो भारत के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अपने भागीदारों के साथ सहभागिता बढ़ाकर और उनसे अपने संबंधों में सुधार लाकर भारत को प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहिये क्योंकि इस क्षेत्र में चीन की स्थिति अत्यधिक अस्थिर और संवेदनशील है।
    • भारत की सामुद्रिक नीतियों को चीन की नीतियों के अनुसार तैयार करना होगा।
  • चीन के बुनियादी ढांँचा परियोजनाओं के स्तर से तालमेल:
    • अमेरिका के विरोध के बावज़ूद चीन इज़रायल में एक बंदरगाह बनाने की योजना बना रहा है।
    • चीन का एक बंदरगाह अफ्रीका के जिबूती (Djibouti) तथा एक पाकिस्तान के ग्वादर (Gwadar) जो ईरान के भी करीब है, में स्थापित हैं तथा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के ज़रिये चीन की पहुँच यूरोप में भी है।
    • भारत की रणनीति को चीन के स्तर तक संतुलित करना होगा जो वह अफ्रीकी देशों में बुनियादी ढांँचे के निर्माण में कर रहा है।
  • देश के आर्थिक वृद्धि और विकास के लिये भारतीय बुनियादी ढाँचे का विकास आवश्यक है। जैसा कि भारत ने विकास-आधारित आर्थिक नीति अपनाई है, भारत को अपने समुद्री बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की आवश्यकता है, जैसे बंदरगाहों एवं बंदरगाहों के विकास, कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स आदि।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. IONS का उद्घाटन भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में वर्ष 2015 में भारत में किया गया था।
  2. IONS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने का प्रयास करती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS) एक स्वैच्छिक और समावेशी पहल है, जो समुद्री सहयोग व क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेनाओं को एक साथ लाती है। अत: कथन 2 सही है।
  • यह समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने और सदस्य देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिये एक मंच प्रदान करती है।
  • इसका उद्घाटन IONS-2008 के रूप में फरवरी 2008 में नई दिल्ली, भारत में किया गया था। भारतीय नौसेनाध्यक्ष को वर्ष 2008-10 की अवधि के लिये IONS के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। अतः कथन 1 सही नहीं है।

प्रश्न. 'मौसम' परियोजना को अपने पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के लिये भारत सरकार की अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या परियोजना का कोई रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015)

प्रश्न. दक्षिण चीन सागर के संबंध में समुद्री क्षेत्रीय विवाद और बढ़ते तनाव पूरे क्षेत्र में नौवहन एवं ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की सुरक्षा की आवश्यकता की पुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: द हिंदू