परमाणु ऊर्जा पर जापान की नई नीति | 24 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

परमाणु ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा संयंत्र, यूरेनियम-235, भारत-अमेरिकाअसैन्य परमाणु समझौता।

मेन्स के लिये:

भारत में परमाणु ऊर्जा की संभावना।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जापान ने वैश्विक ईंधन की कमी के बीच एक स्थिर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये परमाणु ऊर्जा के अधिक उपयोग को बढ़ावा देने वाली एक नई नीति अपनाई है।

 जापान की नई परमाणु ऊर्जा नीति: 

  • यह वर्ष 2011 में फुकुशिमा संकट के बाद जापान की परमाणु फेज़-आउट योजना के बिल्कुल विपरीत है।
    • वर्ष 2011 में सुनामी के कारण फुकुशिमा दुर्घटना परमाणु ऊर्जा उत्पादन के इतिहास में दूसरी सबसे भयावह परमाणु दुर्घटना थी। यह साइट जापान के प्रशांत तट पर, पूर्वोत्तर फुकुशिमा प्रान्त में सेंदाई से लगभग 100 किमी दक्षिण में है।
  • इस नीति में मौजूदा परमाणु रिएक्टरों को यथासंभव पुनः आरंभ करके और पुराने रिएक्टरों के प्रचालन अवधि को उनकी 60 वर्ष की सीमा से आगे बढ़ाकर तथा उन्हें प्रतिस्थापित करने के लिये अगली पीढ़ी के रिएक्टरों का विकास करके उनके उपयोग को अधिकतम करने का प्रयास किया गया है।
  • यह भविष्य में परमाणु ऊर्जा के उपयोग को बनाए रखने हेतु प्रतिबद्ध है। जापान में अधिकांश परमाणु रिएक्टर 30 वर्ष से अधिक पुराने हैं।  
  • इसका उद्देश्य सुरक्षित सुविधाओं के साथ "अगली पीढ़ी के अभिनव रिएक्टरों" के विकास और निर्माण पर ज़ोर देना है ताकि लगभग 20 रिएक्टरों को प्रतिस्थापित किया जा सके जो अब सेवा मुक्त करने के लिये निर्धारित हैं।
    • जापान की ऊर्जा आपूर्ति में परमाणु ऊर्जा का योगदान 7% से भी कम है और वित्तीय वर्ष 2030 तक अपनी हिस्सेदारी 20-22% तक बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये वर्तमान के 10 की जगह 27 रिएक्ट की आवश्यकता होगी।

भारत की परमाणु ऊर्जा की संभावना:

  • परमाणु ऊर्जा की स्थिति:
    • परमाणु ऊर्जा भारत के लिये विद्युत का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है। भारत के पास देश भर में 7 बिजली संयंत्रों में 22 से अधिक परमाणु रिएक्टर हैं जो 6780 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। ये 7 बिजली संयंत्र हैं:
      • तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन (TAPS), महाराष्ट्र।
      • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KKNPS), तमिलनाडु
      • काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KAPS), गुजरात।
      • कलपक्कम, मद्रास एटॉमिक पावर स्टेशन (MAPS), तमिलनाडु।
      • नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन (NAPS), उत्तर प्रदेश।
      • कैगा जनरेटिंग स्टेशन (KGS), कर्नाटक।
      • राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KKNPS), राजस्थान।
    • सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) देश में परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के डिजाइन, निर्माण, कमीशनिंग और संचालन के लिये ज़िम्मेदार है।
      • NPCIL भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (DE) के तहत काम करता है।
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • थोरियम की उपलब्धता: भारत थोरियम नामक परमाणु ईंधन के संसाधन में अग्रणी है, जिसे भविष्य का परमाणु ईंधन माना जाता है।
      • थोरियम की उपलब्धता के साथ, भारत में जीवाश्म ईंधन मुक्त राष्ट्र के सपने को साकार करने वाला पहला राष्ट्र बनने की क्षमता है। 
    • आयात बिलों में कटौती: परमाणु ऊर्जा देश को सालाना लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से भी राहत प्रदान करेगी जो हम पेट्रोलियम और कोयले के आयात पर खर्च करते हैं।
    • स्थिर और विश्वसनीय स्रोत: सौर और पवन हरित ऊर्जा के स्रोत हैं। लेकिन मौसम और धूप की स्थिति पर अत्यधिक निर्भरता के कारण सौर और पवन ऊर्जा उनके सभी फायदों के बावजूद स्थिर नहीं हैं।
      • दूसरी ओर, नाभिकीय ऊर्जा विश्वसनीय ऊर्जा का एक अपेक्षाकृत स्वच्छ, उच्च घनत्त्व वाला स्रोत है।
    • संचालन में किफायती: नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों को  संचलित करना उनके कोयले या गैस प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में किफायती है। यह अनुमान है कि रेडियोधर्मी ईंधन के प्रबंधन और परमाणु संयंत्रों के निपटान में भी कोयला-चालित संयंत्र और गैस संचालित संयंत्र की तुलना में  33 से 50% और 20 से 25% किफायती होता है।
  • चुनौतियाँ: 
    • अपर्याप्त परमाणु स्थापित क्षमता: वर्ष 2008 में, परमाणु ऊर्जा आयोग ने अनुमान लगाया था कि भारत के पास वर्ष 2050 तक 650GW की स्थापित क्षमता होगी; भारत की वर्तमान स्थापित क्षमता केवल 6.78 GW है।
    • सार्वजनिक वित्त की कमी: नाभिकीय ऊर्जा को अतीत में प्राप्त जीवाश्म ईंधन और वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा को प्राप्त होने वाली जैसी सब्सिडी कभी नहीं मिली है।
      • सार्वजनिक वित्त के अभाव में, परमाणु ऊर्जा के लिये भविष्य में प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा के साथ प्रतिस्पर्द्धा करना कठिन होगा।
    • भूमि अधिग्रहण: भूमि अधिग्रहण और परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) के लिये स्थान का चयन भी देश में एक बड़ी समस्या है।
      • तमिलनाडु में कुडनकुलम और आंध्र प्रदेश में कोव्वाडा जैसे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को भूमि अधिग्रहण संबंधी चुनौतियों के कारण देरी का सामना करना पड़ा है।
    • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन से परमाणु रिएक्टर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाएगा। विश्व में लगातार गर्म होते जा रहे ग्रीष्मकाल के दौरान पहले से ही कई परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को अस्थायी रूप से बंद करने की स्थिति बनती रही है।
      • इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा संयंत्र अपने रिएक्टरों को ठंडा करने के लिये आस-पास के जल स्रोतों पर निर्भर हैं, जबकि नदियों आदि के सूखने के साथ जल के उन स्रोतों की अब गारंटी नहीं है। 
    • अपर्याप्त पैमाने पर तैनाती: भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये यह उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि इसे आवश्यक पैमाने पर तैनात नहीं किया जा सकता है।
    • परमाणु अपशिष्ट: परमाणु ऊर्जा का एक अन्य दुष्प्रभाव इससे उत्पन्न होने वाले परमाणु अपशिष्ट की मात्रा है। परमाणु अपशिष्ट का जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जैसे यह कैंसर के विकास का कारण बन सकता है या पशुओं तथा पौधों की कई पीढ़ियों के लिये आनुवंशिक समस्याएँ पैदा कर सकता है।
      • भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में भूमि का अभाव है और आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल सुविधा सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध नहीं है।

परमाणु ऊर्जा के संबंध में भारत की प्रमुख पहल:

  • तीन चरणीय परमाणु उर्जा कार्यक्रम:  
    • भारत ने बिजली उत्पादन के उद्देश्य से परमाणु ऊर्जा के दोहन की संभावना का पता लगाने के लिये सचेत रूप से कदम आगे बढ़ाए हैं। 
    • इस दिशा में होमी जहाँगीर भाभा द्वारा वर्ष 1950 के दशक में एक तीन चरणीय परमाणु उर्जा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई।
  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 
    • भारतीय परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में दो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध तत्त्वों यूरेनियम और थोरियम को परमाणु ईंधन के रूप में उपयोग करने के निर्धारित उद्देश्यों के साथ परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 को तैयार एवं कार्यान्वित किया गया।
  • दाबित भारी जल रिएक्टरों:
    • दिसंबर 2021 में भारत सरकार ने संसद को बताया कि 10 स्वदेशी ‘दाबित भारी जल रिएक्टरों (Pressurised Heavy Water Reactors- PHWRs) का निर्माण किया जा रहा है जिन्हें फ्लीट मोड में स्थापित किया जाएगा, जबकि 28 अतिरिक्त रिएक्टरों के लिये सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है जिनमें से 24 रिएक्टर फ्राँस, अमेरिका और रूस से आयात किये जाएँगे।
  • महाराष्ट्र के जैतापुर में परमाणु ऊर्जा रिएक्टर:
    • हाल ही में केंद्र ने महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्थापित करने के लिये सैद्धांतिक (प्रथम चरण) मंज़ूरी प्रदान की है।
    • जैतापुर संयंत्र विश्व का सबसे शक्तिशाली परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा। यहाँ 9.6 गीगावॉट की स्थापित क्षमता वाले छह अत्याधुनिक इवोल्यूशनरी पॉवर रिएक्टर (EPRs) होंगे जो निम्न-कार्बन वाली बिजली का उत्पादन करेंगे।
    • ये छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर (जिनमें प्रत्येक की क्षमता 1,650 मेगावाट होगी) फ्राँस के तकनीकी सहयोग से स्थापित किये जाएँगे।

आगे की राह

  • वैश्विक ऊर्जा संकट को परमाणु ऊर्जा स्रोत पर तर्कसंगत पुनर्विचार करना चाहिये क्योकि इसे अनावश्यक रूप से देखा जाता है।
    • हमें विभिन्न निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों के बीच सही चुनाव करना चाहिये, जिनमें से सभी का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव कम हो।
  • बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिये परमाणु ऊर्जा बेहतर समाधानों में से एक है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के कम क्षमता उपयोग, जीवाश्म ईंधन की बढ़ती कीमतों और लगातार बढ़ती प्रदूषण की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, परमाणु ऊर्जा की क्षमता का पूरी तरह से दोहन किया जाना चाहिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है:(2011) 

(a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा करना।
(b) न्यूट्रॉन की गति बढ़ाना ।
(c) रिएक्टर को ठंडा करना ।
(d) परमाणु अभिक्रिया को रोकना।

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • भारी जल (D2O), जिसे ड्यूटेरियम ऑक्साइड भी कहा जाता है, ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन समस्थानिक) से बना जल होता है, जिसका द्रव्यमान सामान्य जल (H2O) से दोगुना होता है।
  • भारी जल प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, हालाँकि यह सामान्य जल की तुलना में बहुत कम होता है।
  • यह आमतौर पर परमाणु रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मॉडरेटर के रूप में प्रयोग किया जाता है, ताकि न्यूट्रॉन की गति को धीमाकिया जा सके।

अतः विकल्प (a) सही है।


प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? परमाणु ऊर्जा से संबंधित तथ्यों की विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस