भारत के अंतरिक्ष प्रयास | 20 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, गगनयान, NavIC, NETRA परियोजना, मौसम पूर्वानुमान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष गतिविधियों में भारत की बढ़ती भागीदारी के संभावित लाभ, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में बाधाएँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने आगामी गगनयान मिशन की एक समीक्षा बैठक के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिये दूरदर्शी रोडमैप तैयार किया, जो अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयुक्त मिशन है।

ISRO के लिये रोडमैप के प्रमुख पहलू: 

  • केंद्रीय उद्देश्यों में से एक भारत-निर्मित, स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना करना, जिसे "भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन" के रूप में जाना जाएगा। यह भारत के अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचे में एक प्रमुख परिसंपत्ति के रूप में कार्य करेगा।
    • इस महत्त्वपूर्ण प्रयास के वर्ष 2035 तक साकार होने की उम्मीद है।

नोट: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, जिसे वर्तमान में अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है, के वर्ष 2030 तक बंद होने का अनुमान है।

  • वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारना। दावा किया गया है कि यह चंद्र मिशन देश के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगा।
    • इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिये अंतरिक्ष विभाग चंद्र अन्वेषण के लिये एक रोडमैप विकसित करेगा जिसमें चंद्रयान मिशन, अगली पीढ़ी के लॉन्च वाहन (NGLV) का विकास, एक नए लॉन्च पैड का निर्माण, मानव-केंद्रित प्रयोगशालाओं की स्थापना और संबंधित प्रौद्योगिकियाँ शामिल होंगी।
  • प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों से अंतर-ग्रहीय मिशनों पर कार्य करके अपने क्षितिज का और विस्तार करने का आग्रह किया है।
    • इनमें शुक्र की परिक्रमा के लिये एक अंतरिक्ष यान का विकास और मंगल पर उतरने के लिये एक अन्य अंतरिक्ष यान का विकास शामिल है, जो सौर मंडल अन्वेषणों के लिये व्यापक प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

अंतरिक्ष गतिविधियों में भारत की बढ़ती भागीदारी के संभावित लाभ:

  • आर्थिक लाभ: भारत की अंतरिक्ष क्षमताएँ वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं के माध्यम से राजस्व एवं रोज़गार सृजन कर, अंतर-उद्योग अनुप्रयोगों के साथ तकनीकी प्रगति को उत्प्रेरित करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पर्याप्त आर्थिक लाभ होते हैं। 
  • भू-राजनीतिक लाभ: भारत की अंतरिक्ष क्षमताएँ अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में एक राजनयिक उपकरण के रूप में कार्य कर सकती हैं।
    • यह भारत को अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में भू-राजनीतिक लाभ भी प्रदान कर सकता है, जिससे देश व्यापार, जलवायु समझौते एवं वैश्विक समझौतों में अधिक अनुकूल शर्तों पर बातचीत करने में सक्षम हो सकेगा।
  • उन्नत आपदा प्रबंधन: भारत आपदाओं की निगरानी तथा प्रतिक्रिया के लिये अंतरिक्ष परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है।
    • ये उपग्रह भूकंप, सुनामी तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान में सहायता कर सकते हैं, जिससे समय पर निकासी एवं संसाधन आवंटन में सहायता मिलती है।
  • कृषि क्रांति: उपग्रह इमेजरी तथा मौसम का पूर्वानुमान सहित अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों की सहायता से कृषि क्रांति की संभावना बढ़ जाती है।
    • किसान मृदा की स्थिति, मौसम के पैटर्न तथा फसल स्वास्थ्य पर सटीक डेटा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें कृषि की पद्धतियों को अनुकूलित करने व पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • वहन करने योग्य अंतरिक्ष पर्यटन: भारत अपनी लागत प्रभावी अंतरिक्ष क्षमताओं के कारण किफायती अंतरिक्ष यात्रा की पेशकश करने में सक्षम हो सकता है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में विकास के परिणामस्वरूप उप-कक्षीय तथा कक्षीय अंतरिक्ष पर्यटन भारतीय नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के लिये अधिक सुलभ हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्र को भारी वित्तीय लाभ हो सकता है।

अंतरिक्ष यात्रा से संबंधित भारत की बाधाएँ: 

  • तकनीकी चुनौतियाँ:
    • भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति के बावजूद अभी भी अंतरिक्ष मिशन की मांगों के लिये अत्याधुनिक तकनीक विकसित करना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिये पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है।
  • वित्तीय बाधाएँ:
    • स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा जैसी अन्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ अंतरिक्ष अन्वेषण की लागत को संतुलित करने में वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।  
    • इसके अतिरिक्त अंतरिक्ष पहल में निरंतर निवेश बनाए रखने के लिये सरकार से गहन योजना व समर्थन की आवश्यकता होती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बनाम प्रतियोगिता:
    • भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा चीन जैसी सक्षम अंतरिक्ष शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
    • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग एवं वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्द्धा के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव का प्रबंधन:
    • अंतरिक्ष प्रक्षेपणों और संचालनों के पर्यावरणीय प्रभाव को ज़िम्मेदारी के साथ प्रबंधित करने की आवश्यकता है क्योंकि बढ़ी हुई अंतरिक्ष गतिविधियाँ अंतरिक्ष मलबे में योगदान करती हैं, जो परिचालित उपग्रहों और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों दोनों के लिये जोखिम उत्पन्न करती है।

आगे की राह

  • कौशल विकास: अंतरिक्ष-संबंधित कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश किये जाने से नवीन अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिये आवश्यक ज्ञान और विशेषज्ञता युक्त कार्यबल तैयार किया जा सकता है।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन केंद्रों की स्थापना इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: अंतरिक्ष प्रक्षेपण सुविधाओं और अनुसंधान केंद्रों का उन्नयन यह सुनिश्चित करता है कि भारत के पास अधिक महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा है।
    • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में स्थापित वर्चुअल लॉन्च कंट्रोल सेंटर (VLCC) इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
  • अंतरिक्ष सुरक्षा: संभावित साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों के खिलाफ अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिये मज़बूत साइबर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • सरकार-उद्योग के बीच सहयोग: अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये सरकारी संगठन और निजी व्यवसाय एक-दूसरे की ताकत का उपयोग कर मिलकर कार्य कर सकते हैं।
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना: घरेलू प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहन आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करता है और अंतरिक्ष हार्डवेयर के लिये बाहरी स्रोतों पर निर्भरता को कम करता है।
    • NavIC या भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigation Satellite System- IRNSS) और NETRA परियोजना इस दिशा में महत्त्वपूर्ण हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न.  भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019)

प्रश्न.  अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016)

प्रश्न. भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (2023)