भारत का आंतरिक प्रवासन | 07 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

मानव प्रवास, भारतीय प्रवासी मज़दूर, भारत में प्रवासन रिपोर्ट 2020-21

मेन्स के लिये:

प्रवासन का महत्त्व, प्रवासन के लिये चुनौतियाँ, प्रवासन-केंद्रीय नीति की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

तमिलनाडु में हिंदी भाषी लोगों पर कथित हमलों के वीडियो सामने आने के बाद प्रवासी श्रमिकों के संभावित पलायन को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है।

  • उद्योग समूहों को यह चिंता है कि पलायन तमिलनाडु के औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, एक अनुमान के अनुसार, वहाँ लगभग दस लाख प्रवासी कार्यरत हैं।

प्रवासन:

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी संगठन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो एक अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार या अपने सामान्य निवास स्थान से दूर किसी राज्य में पलायन करता है, तो उसे प्रवासी माना जाता है।
    • प्रवासन में आकार, दिशा, जनसांख्यिकी और आवृत्ति में परिवर्तनों का विश्लेषण करने से ज़मीनी स्तर पर प्रभावी नीतियों, कार्यक्रमों और परिचालन प्रतिक्रियाओं संबंधी नीति का निर्माण हो सकता है।
  • प्रवासन निर्धारित करने वाले कारक:
    • आपदाओं, आर्थिक कठिनाइयों, अत्यंत गरीबी या सशस्त्र संघर्ष की अधिक गंभीरता या आवृत्ति के परिणामस्वरूप या स्वैच्छिक या मजबूरन आंदोलन इसके कारक हो सकते हैं।
    • कोविड-19 महामारी हाल के वर्षों में पलायन के मुख्य कारणों में से एक है।
  • प्रवासन के 'पुश' और 'पुल' कारक:
    • पुश (प्रतिकर्षण) कारक वे हैं जो किसी व्यक्ति को मूल स्थान (आउट-माइग्रेशन) को छोड़ने एवं किसी अन्य स्थान पर पलायन करने के लिये मजबूर करते हैं जैसे- आर्थिक और सामाजिक कारण, किसी विशेष स्थान पर विकास की कमी।
    • पुल (प्रतिकर्षण) कारक उन कारकों को इंगित करते हैं जो प्रवासियों (इन-माइग्रेशन) को किसी क्षेत्र (गंतव्य) की ओर आकर्षित करते हैं जैसे कि रोज़गार के अवसर, रहने की बेहतर परिस्थितियाँ , निम्न या उच्च-स्तरीय सुविधाओं की उपलब्धता आदि।

माइग्रेशन के आँकड़े:

  • 2011 की जनगणना:
    • भारत में आंतरिक प्रवासियों (अंतर-राज्य और राज्य दोनों के भीतर) की संख्या 45.36 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 37% है।
    • वार्षिक शुद्ध प्रवासी प्रवाह (Annual Net Migrant Flows) कामकाज़ी उम्र की आबादी का लगभग 1% था।
    • भारत में इसमें 48.2 लाख लोग काम कर रहे थे। अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2016 में यह 50 लाख से अधिक हो गई।
  • प्रवासन कार्य-समूह रिपोर्ट, 2017:
    • आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 17 ज़िलों की पुरुष आबादी का शीर्ष 25% उत्प्रवास के लिये ज़िम्मेदार है।
      • इनमें से दस ज़िले उत्तर प्रदेश में, छह बिहार में और एक ओडिशा में है।

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  • आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17:
    • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे अपेक्षाकृत कम विकसित राज्यों में उच्च शुद्ध बाह्य प्रवासन की स्थिति है।
    • अपेक्षाकृत अधिक विकसित राज्य जैसे कि गोवा, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक शुद्ध अप्रवासन को दर्शाते हैं।
    • दिल्ली क्षेत्र में सबसे ज़्यादा अप्रवासन हुआ, जिसमें वर्ष 2015-16 में आधे से अधिक अप्रवासन देखा गया।
    • जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार का कुल बाह्य प्रवासन मेंआधा हिस्सा है।
  • भारत प्रवास रिपोर्ट 2020-21:
    • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जून 2022 में जारी एक अध्ययन में प्रवासियों एवं अल्पकालिक पर्यटकों पर डेटा संकलित किया।
    • जुलाई 2020-जून 2021 की अवधि के दौरान देश की 0.7% आबादी को 'अस्थायी अप्रवासियों के रूप में दर्ज किया गया था।
      • अस्थायी अप्रवासियों को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया गया था जो मार्च 2020 के बाद अपने घरों में आए और कम-से-कम लगातार 15 दिनों से अधिक लेकिन छह महीने से कम समय तक वहाँ रहे।
      • महामारी के कारण इन 0.7% अस्थायी अप्रवासियों में से 84% से अधिक पुनः घर चले गए।
    • जुलाई 2020-जून 2021 में ऑल-इंडिया माइग्रेशन दर 28.9% थी, ग्रामीण क्षेत्रों में 26.5% प्रवासन दर और शहरी क्षेत्रों में 34.9% थी।
      • महिलाओं ने 47.9%की प्रवासन दर का एक उच्च हिस्सा दर्ज किया, जो ग्रामीण में 48% और शहरी क्षेत्रों में 47.8% है।
      • पुरुषों की प्रवासन दर 10.7% थी, जो ग्रामीण में 5.9% और शहरी क्षेत्रों में 22.5% है।
    • 86.8% महिलाएँ शादी के उपरांत पलायन करती हैं, जबकि 49.6% पुरुष रोज़गार की तलाश में पलायन करते हैं।

प्रवास और प्रवासियों का महत्त्व:

  • श्रम मांग और आपूर्ति: प्रवास श्रम की मांग और आपूर्ति में अंतराल को समाप्त करता है, दक्षता के साथ कुशल-अकुशल श्रम और सस्ते श्रम आवंटित करता है।
  • कौशल विकास: प्रवासन बाहरी दुनिया के साथ जोखिम और संवाद के माध्यम से प्रवासियों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाता है।
  • जीवन की गुणवत्ता: प्रवासन रोज़गार और आर्थिक समृद्धि की संभावना को बढ़ाता है जो बदले में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • आर्थिक प्रेषण: प्रवासी भी अतिरिक्त आय और प्रेषण घर वापस भेजते हैं, जिसका उनके मूल स्थान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सामाजिक प्रेषण: प्रवास लोगों के सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है, क्योंकि वे नई संस्कृतियों, रीति -रिवाज़ों और भाषाओं के बारे में सीखते हैं जो लोगों के बीच भाईचारे को बेहतर बनाने में मदद करते हैं एवं अधिक समानता तथा सहिष्णुता सुनिश्चित करते हैं।

प्रवासन से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • वंचित वर्गों द्वारा सामना किये जाने वाले मामले:
    • जो लोग गरीब होते हैं या वंचित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें घुलना-मिलना आसान नहीं लगता।
  • सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू:
    • कई बार प्रवासियों को मेज़बान क्षेत्र द्वारा आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता है और वे हमेशा दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में रहते हैं।
    • किसी नए देश में प्रवास करने वाले किसी भी व्यक्ति को कई चुनौतियों जैसे सांस्कृतिक अनुकूलन और भाषा की बाधाओं से लेकर गृह वियोग और अकेलेपन तक का सामना करना पड़ता है।
  • राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक लाभों से वंचित:
    • प्रवासी श्रमिकों को मतदान के अधिकार जैसे अपने राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करने के कई अवसरों से वंचित रखा जाता है।
    • इसके अलावा पते का प्रमाण, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड प्रदान करने की आवश्यकता, जो उनके जीवन के अस्थायित्त्व के कारण कठिन कार्य है तथा उन्हें कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों तक पहुँचने से वंचित करता है।

प्रवासन से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न मुख्य सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के अंदर और बाहर श्रम प्रवास के रुझानों में बदलाव पर चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस