भारत-कतर व्यापार और आर्थिक सहयोग | 09 Oct 2025
प्रिलिम्स के लिये: कतर, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता, एकीकृत भुगतान इंटरफेस, एलएनजी आपूर्ति समझौता, FDI, ज़ायर-अल-बहर, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, इसरो।
मेन्स के लिये: भारत-कतर रणनीतिक साझेदारी: पश्चिम एशियाई भू-राजनीति में पारस्परिक महत्त्व, आर्थिक तालमेल और भविष्य की दिशा का विश्लेषण।
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने आर्थिक एवं वाणिज्यिक सहयोग पर भारत-कतर संयुक्त आयोग की सह-अध्यक्षता करने के लिये कतर का दौरा किया, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने और नए आर्थिक अवसरों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत-कतर संयुक्त आयोग की बैठक के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- महत्त्वाकांक्षी व्यापार लक्ष्य: दोनों देशों ने अप्रयुक्त क्षमता को पहचाना और वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य पर ज़ोर दिया। वर्तमान व्यापार लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- दोनों देशों ने महत्त्वाकांक्षी भारत-कतर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA), एक मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- डिजिटल एकीकरण: कतर में भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) का शुभारंभ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिससे भारतीय प्रवासियों और स्थानीय उपभोक्ताओं के लिये निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध हुई।
- विकास के लिये चिन्हित क्षेत्र: मंत्रियों ने भारतीय निर्यात और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये निम्नलिखित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला:
- पारंपरिक: फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, रत्न एवं आभूषण
- विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी: इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
- भविष्य-केंद्रित: आईटी, उभरते उच्च तकनीक उद्योग, सौर ऊर्जा।
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत ने कतर के साथ वर्ष 2028 से सालाना 7.5 मिलियन टन LPG आपूर्ति करने वाले समझौते की सराहना की, जिसे ऊर्जा साझेदारी की नींव माना जा रहा है।
भारत और कतर के बीच साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार परिलक्षित होती है?
- व्यापार संबंध: भारत-कतर व्यापार वित्त वर्ष 2025 में 14.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें भारत का 10.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा मुख्य रूप से पेट्रोलियम आयात (89%) के कारण हुआ।
- भारत कतर के शीर्ष तीन निर्यात गंतव्यों और शीर्ष तीन आयात स्रोतों में से एक है।
- निवेश: कतर में 20,000 से अधिक भारतीय कंपनियाँ (पूर्ण स्वामित्व वाली और संयुक्त उद्यम) कार्यरत हैं, जबकि भारत में कतर का FDI लगभग 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया है।
- ऊर्जा आपूर्ति: कतर, भारत का सबसे बड़ा LNG और LPG आपूर्तिकर्त्ता (भारत के कुल LPG आयात का 26% कतर से आता है) है। वित्त वर्ष 2024–25 में, हाइड्रोकार्बन व्यापार दोनों देशों के कुल द्विपक्षीय व्यापार का 78.7% रहा। इसके साथ ही वर्ष 2028 से शुरू होने वाली 25 वर्षीय LNG आपूर्ति समझौता भी तय हुआ है।
- रक्षा संबंध: भारत-कतर रक्षा सहयोग समझौता, जिस पर वर्ष 2008 में हस्ताक्षर हुए थे और वर्ष 2018 में इसे बढ़ाया गया, इसमें प्रशिक्षण, नौसैनिक दौरे, DIMDEX भागीदारी और द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ज़ायर-अल-बहर (समुद्र का गर्जन) शामिल हैं।
- सांस्कृतिक संबंध: वर्ष 2012 के सांस्कृतिक सहयोग समझौते के तहत नियमित सांस्कृतिक आदान-प्रदान होते हैं। वर्ष 2019 को भारत-कतर संस्कृति वर्ष के रूप में मनाया गया था, भारत कतर-MENASA 2022 का साझेदार भी रहा और वर्ष 2024 में ‘पैसेज टू इंडिया’ (Passage to India) महोत्सव का आयोजन किया गया।
- कतर में 830,000 से अधिक भारतीय रहते हैं, जो दोनों देशों के बीच मज़बूत पीपल-टू-पीपल संबंधों को दर्शाता है।
भारत-कतर संबंधों का क्या महत्त्व है?
कतर के लिये भारत का महत्त्व
- गारंटीकृत ऊर्जा बाज़ार: एक बड़े और विश्वसनीय LNG खरीदार के रूप में भारत, कतर को एक स्थिर राजस्व धारा प्रदान करता है, जो उसकी अर्थव्यवस्था और कतर राष्ट्रीय विज़न 2030 को समर्थन प्रदान करता है।
- आवश्यक वस्तुओं का स्रोत: भारत कतर को खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्मित वस्तुओं की आपूर्ति करता है, जो कतर की आपूर्ति श्रृंखला और खाद्य सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- गैर-ऊर्जा आर्थिक विविधीकरण: भारत कतर को हाइड्रोकार्बन के अलावा फिनटेक, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश के अवसर प्रदान करता है, जबकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (ISRO) और किफायती स्वास्थ्य सेवा सहयोग के नए अवसर प्रदान करते हैं।
- रसद और परियोजना निष्पादन: भारतीय कंपनियाँ इंजीनियरिंग, खरीद तथा निर्माण (EPC) में अग्रणी हैं, जो फीफा विश्व कप 2022 जैसी बड़ी परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रही हैं, जबकि विशाल भारतीय कार्यबल कतर के स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आतिथ्य एवं विमानन क्षेत्रों को सहयोग प्रदान कर रहा है।
- ज्ञान एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था में साझेदार: भारत की IT और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञता कतर के डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाती है, जबकि शिक्षा और कौशल विकास कतर की ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के लिये मॉडल प्रस्तुत करते हैं।
भारत के लिये कतर का महत्त्व
- ऊर्जा सुरक्षा और मूल्य स्थिरता: LNG बाज़ार में मूल्य निर्धारक कतर, दीर्घकालिक अनुबंधों की पेशकश करता है जो भारत को मूल्य अस्थिरता से बचाते हैं और इसके रणनीतिक गैस भंडार और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करते हैं।
- धन प्रेषण: 800,000 से अधिक भारतीयों के साथ कतर में एक बड़ा प्रवासी समुदाय रहता है, जो अरबों डॉलर का धन प्रेषण के रूप में प्रदान करता है, जिससे भारत की विदेशी मुद्रा और पारिवारिक आजीविका को सहायता मिलती है।
- रणनीतिक निवेश स्रोत: कतर निवेश प्राधिकरण (QIA, कतर का संप्रभु धन कोष) ने भारत में बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी और रियल एस्टेट में अरबों का निवेश किया है, जो राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) जैसी परियोजनाओं के लिये प्रमुख पूंजी स्रोत के रूप में कार्य कर रहा है।
- पश्चिम एशिया में रणनीतिक गहराई: कतर की मध्यस्थ भूमिका (जैसे, अफगानिस्तान में) और अल-उदीद एयर बेस तथा उसके अमेरिकी संबंध भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक कूटनीतिक लाभ प्रदान करते हैं।
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: भारत-कतर द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियाँ पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: आगे की राह |
निष्कर्ष
भारत-कतर संबंध बहुआयामी हैं, जिनमें व्यापार, ऊर्जा, निवेश, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग शामिल हैं। वर्ष 2030 तक व्यापार को दोगुना करने के साझा दृष्टिकोण, रणनीतिक LNG आपूर्ति समझौतों, UPI के माध्यम से डिजिटल एकीकरण तथा मज़बूत प्रवासी संबंधों के साथ, दोनों देश सतत् आर्थिक विकास एवं क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये पूरक क्षमताओं का लाभ उठा रहे हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न. भारत-कतर द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में डिजिटल एकीकरण, व्यापार विविधीकरण और क्षेत्रीय सहयोग की भूमिका का आकलन करना। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत-कतर द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति क्या है?
वित्त वर्ष 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 14.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें पेट्रोलियम आयात के कारण भारत को 10.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा।
2. कतर भारत की ऊर्जा सुरक्षा में किस प्रकार योगदान देता है?
कतर दीर्घकालिक LNG आपूर्ति समझौते (2028 से 7.5 मिलियन टन/वर्ष) प्रदान करता है, जिससे कीमतें स्थिर रहती हैं और भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को समर्थन मिलता है।
3. कतर के साथ भारत के व्यापार घाटे को दूर करने के लिये क्या उपाय किये जा रहे हैं?
प्रमुख उपायों में फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और IT में निर्यात को विविधीकृत करना, बाधाओं को कम करने के लिये CEPA का अनुसरण करना और कतर निवेश प्राधिकरण (QIA) से निवेश को बढ़ावा देना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016)
(a) ईरान
(b) ओमान
(c) सऊदी अरब
(d) कुवैत
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017)