भारत-ऑस्ट्रेलिया प्रमुख खनिज निवेश साझेदारी | 16 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

प्रमुख खनिज, क्वाड, हिंद-प्रशांत क्षेत्र।

मेन्स के लिये:

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध, भारत-ऑस्ट्रेलिया प्रमुख खनिज निवेश साझेदारी, महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ने आपसी आपूर्ति शृंखला विकसित करने के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं में निवेश की दिशा में काम करने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर तय किया है।

प्रमुख खनिज: 

  • परिचय: प्रमुख खनिज ऐसे तत्त्व हैं जो आवश्यक आधुनिक प्रौद्योगिकियों का आधार हैं और इनकी आपूर्ति शृंखला में व्यवधान का खतरा है।
  • उदाहरण: तांबा, लिथियम, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व आदि वर्तमान में तेज़ी से बढ़ती स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में उपयोग होने वाले महत्त्वपूर्ण घटक हैं, जिनमें पवन टर्बाइन एवं पावर ग्रिड से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं। स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में तेज़ी आने के साथ इन खनिजों की मांग भी बढ़ती जाएगी।
  • भारतीय नीति: भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद के सहयोग से वर्ष 2016 में भारत के लिये प्रमुख खनिज रणनीति का मसौदा तैयार किया, जिसमें वर्ष 2030 तक भारत की संसाधन आवश्यकताएँ प्रमुख विषय था।
    • इंडियन क्रिटिकल मिनरल्स स्ट्रैटेजी ने 49 खनिजों की पहचान की है जो भविष्य में भारत के आर्थिक विकास के लिये अहम होंगे।

Critical-Minerals

प्रमुख बिंदु:

  • कपल्ड मॉडल अंतर तुलना परियोजना (Coupled Model Intercomparison Project- CMIP) में दो लिथियम और तीन कोबाल्ट परियोजनाएँ शामिल हैं।
    • ऑस्ट्रेलिया विश्व के कुल लिथियम के लगभग आधा हिस्से का उत्पादन करता है और यह कोबाल्ट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • दोनों देशों के साझा निवेश का उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया में संसाधित आवश्यक खनिजों द्वारा समर्थित नई आपूर्ति शृंखलाओं का निर्माण करना है, जो अपने ऊर्जा संजाल से उत्सर्जन को कम करने तथा इलेक्ट्रिक वाहनों सहित विनिर्माण के केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करने के भारत के प्रयासों में मदद करेगा।
  • साथ ही दोनों देश उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और आवश्यक खनिजों एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकी के लिये वैश्विक बाज़ारों का विस्तार करने के लिये समर्पित हैं।

भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार संबंध अब तक कैसे रहे हैं? 

  • सौहार्दपूर्ण संबंध: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध हैं जो हाल के वर्षों में परिवर्तनकारी विकास से गुज़रे हैं, ये मैत्रीपूर्ण साझेदारी संबंध सकारात्मक दिशा की तरफ अग्रसर हैं। 
    • यह एक अनूठी साझेदारी है जो संसदीय लोकतंत्रों, राष्ट्रमंडल परंपराओं, आर्थिक जुड़ाव में वृद्धि, लोगों के मध्य लंबे समय से विद्यमान दीर्घकालिक संबंधों और उच्च-स्तरीय वार्ताओं में वृद्धि जैसे साझा मूल्यों द्वारा परिभाषित की गई है। 
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी: इसे जून 2020 में भारत-ऑस्ट्रेलिया नेताओं के आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान लॉन्च किया गया था और यह भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंधों की नींव है। 
  • व्यापार साझेदार: माल और सेवाओं दोनों में भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021 में 27.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है जिसमें बड़े पैमाने पर कच्चे माल, खनिज एवं मध्यवर्ती सामग्री शामिल हैं। 
  • अन्य: जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव (SCRI) में भागीदार हैं, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखलाओं के लचीलेपन में सुधार लाना है।

महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति के बारे में विश्व के देश क्या कर रहे हैं?

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 2021 में अमेरिका ने महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति शृंखलाओं में अपनी कमज़ोरियों की समीक्षा का आदेश दिया और पाया कि महत्त्वपूर्ण खनिजों एवं सामग्रियों के लिये विदेशी स्रोतों तथा प्रतिकूल राष्ट्रों पर अत्यधिक निर्भरता ने राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न किया है।
  • भारत: इसने भारतीय घरेलू बाज़ार में महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये तीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के संयुक्त उद्यम KABIL या खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड की स्थापना की है। 
    • यह राष्ट्र की खनिज सुरक्षा सुनिश्चित करता है और आयात प्रतिस्थापन के समग्र उद्देश्य को साकार करने में भी मदद करता है।
  • अन्य देश: अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने अपने प्रमुख खनिज स्रोतों में विविधता लाने की संभावनाओं की पहचान करने में सरकारों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2020 में आवश्यक खनिज भंडार का एक इंटरेक्टिव मानचित्र प्रकाशित किया। प्रमुख खनिजों हेतु आपूर्ति शृंखला के लचीलेपन को मज़बूत करने एवं आपूर्ति सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहलों को यूनाइटेड किंगडम की प्रमुख खनिज रणनीति में रेखांकित किया गया है। यूनाइटेड किंगडम इस दृष्टिकोण के माध्यम से घरेलू क्षमताओं के विकास में तेज़ी लाएगा। 

निष्कर्ष: 

  • ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच CMIP द्विपक्षीय संबंधों में महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।
  • दोनों देशों को यह सुनिश्चित करने हेतु मिलकर काम करना चाहिये कि गठबंधन उचित एवं पूर्ण ढंग से लागू हो, साथ ही सहयोगी अनुसंधान एवं विकास के अवसरों की जाँच करे। CMIP के परिणामस्वरूप प्रमुख खनिज उद्योग में बदलाव लाया जा सकता है, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के विस्तार तथा विकास में भी मदद करेगा। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुर्लभ मृदा धातु’ कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है, द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिये गए हैं। 
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाए जाते हैं। 
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॅानिक सामानों के निर्माण में आवश्यक है, इन तत्त्वों की मांग बढ़ती जा रही है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: पी.आई.बी.