वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत अग्रणी | 27 Aug 2025

स्रोत: PIB

चर्चा में क्यों? 

भारत और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने एक आशय पत्र (Letter of Intent) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत भारत अपने कृषि अधिशेष का उपयोग करते हुए विश्वभर में कमज़ोर और संवेदनशील आबादी को पोषण संवर्द्धित चावल की आपूर्ति करेगा, ताकि वैश्विक खाद्य सुरक्षा को समर्थन मिल सके।

भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा परिदृश्य को किस प्रकार आकार प्रदान करता है?

  • प्रमुख वैश्विक उत्पादक और निर्यातक: भारत आज एक खाद्य अधिशेष देश है, जो दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक तथा खाद्यान्न, फल, सब्जियाँ, कपास, चीनी, चाय और मत्स्य पालन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। 
    • भारत दूध, दालें, बागवानी, झींगा और मसालों सहित उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला का निर्यात करता है, जिससे वैश्विक पोषण को बढ़ावा मिलता है तथा आर्थिक लाभ होता है।
  • अनुसंधान एवं नवाचार: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जैसे भारतीय संस्थान दक्षिण-दक्षिण सहयोग के तहत अफ्रीका और एशिया के साथ कृषि तकनीक, उच्च उपज वाले बीज और सतत् कृषि पद्धतियों को साझा करते हैं।
  • खाद्य सुरक्षा समाधान के वास्तुकार के रूप में भारत: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013), पोषण अभियान और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसे कार्यक्रम घरेलू खाद्य सुरक्षा और पोषण को मज़बूत करते हैं तथा अन्य विकासशील देशों के लिये अनुकरणीय समाधान प्रस्तुत करते हैं।
  • मानवीय सहायता: भारत संकटग्रस्त देशों, जैसे अफगानिस्तान, अफ्रीकी देशों को आपातकालीन खाद्य सहायता प्रदान करता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया, वितरण के लिये WFP जैसे तंत्र का उपयोग करता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) वार्ता: भारत विकासशील देशों के सार्वजनिक भंडारण के अधिकार का समर्थन करता है, जिससे अरबों लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • जलवायु-स्मार्ट प्रथाओं को बढ़ावा देना: भारत जलवायु-अनुकूल फसलों के रूप में बाजरा (अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष 2023) को बढ़ावा देता है, जो वैश्विक भूखमरी के लिये स्थायी समाधान प्रदान करता है।

भारत में खाद्य सुरक्षा परिदृश्य

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 ने भारत की खाद्य सुरक्षा को कल्याण से अधिकार-आधारित दृष्टिकोण में बदल दिया, जिसके अंतर्गत 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को शामिल किया गया। 
  • वर्तमान में लगभग 80 करोड़ लोग अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्राप्त करते हैं। 
  • राशन कार्डों के डिजिटलीकरण और एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना (ONORC) जैसे उपायों से पारदर्शिता में सुधार हुआ, जिससे लाभार्थियों को देश भर में अपनी पात्रता प्राप्त करने में मदद मिली।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में विविधता लाकर कुपोषण और "हिडन हंगर" की समस्या से निपटने के लिये पोषण अभियान और बायो-फोर्टिफाइड फसलों जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जा रहा है। 
  • इसके अतिरिक्त, सरकार ने दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये परम्परागत कृषि विकास योजना (जैविक खेती) और राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया।

भारत की प्रमुख खाद्य सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं और उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है?

चुनौतियाँ

निपटने के उपाय

प्रति व्यक्ति खाद्य उपलब्धता में कमी: वर्ष 1991 में 510.1 ग्राम प्रतिदिन प्रति व्यक्ति से घटकर वर्ष 2021 में 507.9 ग्राम। 

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत खाद्य पदार्थ की बर्बादी में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। 
  • वर्ष 2024 के वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है।

खाद्य पदाथ की बर्बादी को कम करने के लिये भंडारण और परिवहन अवसंरचना में सुधार। फल और डेयरी जैसे नाशवान उत्पादों के नुकसान को रोकने के लिये कोल्ड चेन सिस्टम में निवेश।

जलवायु परिवर्तन के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता: बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और चरम मौसम फसल की उत्पादकता को कम 

तथा आपूर्ति शृंखला को बाधित करते हैं।

असुरक्षित गाँवों में राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार (NICRA) योजना के कार्यान्वयन में तेजी। फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और ड्रिप सिंचाई का विस्तार करना ताकि अनुकूल, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादन स्थिरता में वृद्धि हो।

पोषण संबंधी चुनौती: पाँच वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे अवरुद्ध वृद्धि (Stunted) से ग्रसित। 67% बच्चे और 57% महिलाएँ एनीमिया से प्रभावित। 

  • SOFI 2025 के अनुसार, भारत की लगभग 12% जनसंख्या कुपोषित है।

खाद्य पदार्थों में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्व जैसे आयरन और विटामिन B12 का फोर्टिफिकेशन। महिलाओं और बच्चों के लिये आयरन अनुपूरण (supplementation) कार्यक्रम लागू करना।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) संबंधी मुद्दे: आवंटित अनाज का 28% हिस्सा लीकेज के कारण लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाता है।

  • आधार लिंक होने के बावजूद फर्जी लाभार्थी और डुप्लीकेट राशन कार्ड बने हुए हैं, वर्ष 2013-2021 के बीच 4.7 करोड़ फर्जी कार्ड रद्द किये गए।

खरीद से वितरण तक डिजिटल ट्रैकिंग के लिये ब्लॉकचेन और IoT का उपयोग। उचित मूल्य की दुकानों को स्मार्ट शॉप में बदलना, जिनमें बायोमेट्रिक और QR कोड आधारित गुणवत्ता जाँच हो। 

वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को केंद्रीकृत डेटाबेस और मौसमी प्रवासियों के लिये माइग्रेशन ट्रैकिंग के साथ मज़बूत बनाना।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) क्या है?

  • स्थापना: विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है जो भूख उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा पर केंद्रित है, जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और खाद्य एवं कृषि (FAO) द्वारा की गई थी।
    • मुख्यालय : रोम, इटली।
  • दृष्टिकोण: यह स्थानीय पोषक खाद्य समाधानों, खाद्य संवर्द्धन (फोर्टिफिकेशन) और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में निवेश करता है।
    • बेहतर आजीविका और जलवायु अनुकूल के माध्यम से कमज़ोर समुदायों को चुनौतियों का सामना करने के लिये सशक्त बनाता है।
    • स्थानीय स्तर पर संस्थागत क्षमता का निर्माण करता है और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करने वाली लैंगिक असमानताओं का समाधान करता है।
  • मान्यता: WFP को 2020 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • भारत और WFP का सहयोग: भारत, “वसुधैव कुटुम्बकम्” (संपूर्ण विश्व एक परिवार) के सिद्धांत को बनाए रखते हुए, WFP के साथ आपूर्ति शृंखला अनुकूलन, संवर्द्धित (फोर्टिफाइड) चावल वितरण, ग्रेन एटीएम (अन्नपूर्ति उपकरण), जन पोषण केंद्र, स्मार्ट वेयरहाउसिंग और मोबाइल स्टोरेज यूनिट्स (फ्लोस्पैन) जैसी पहलों के माध्यम से सहयोग कर रहा है, साथ ही साझेदारी के लिये अन्य संभावनाओं को तलाश रहा है।

निष्कर्ष:

भारत के खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के प्रयास सीधे SDG 2: शून्य भूख (Zero Hunger) और SDG 12: ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन (Responsible Consumption and Production) में योगदान करते हैं।

फोर्टिफाइड चावल, जलवायु-सहिष्णु कृषि और बेहतर पोषण कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से, भारत राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर खाद्य सुरक्षा का समर्थन करता है।

मुख्य परीक्षा के लिये  की-वर्ड

  • "सीमाओं के बिना पोषण": दुनिया भर में सबसे कमज़ोर लोगों तक पौष्टिक भोजन पहुँचाना।
  • "अधिकार से सशक्तीकरण तक": आत्मनिर्भर खाद्य प्रणालियाँ।
  • "खाद्य सहायता एक नरम सहायता है": गेहूँ, चावल, दालों के माध्यम से कूटनीति।
  • "रिसाव से जुड़ाव तक": JAM त्रिमूर्ति के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: खाद्य सुरक्षा के चार आयामों पर चर्चा कीजिये और भारत के खाद्य-अभाव वाले देश से खाद्य-अधिशेष राष्ट्र में परिवर्तन का मूल्यांकन कर वैश्विक खाद्य सुरक्षा में इसकी भूमिका को उजागर कीजिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

मेन्स:

प्रश्न. खाद्य सुरक्षा बिल से भारत में भूख व कुपोषण के विलोपन की आशा है। उसके प्रभावी कार्यान्वयन में विभिन्न आशंकाओं की समालोचनात्मक विवेचना कीजिये। साथ ही यह भी बताइये कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इससे कौन-सी चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं? (2013)