भारत में दूरसंचार नियंत्रण | 06 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

दूरसंचार विभाग (DoT), भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (MVNO), 5G, प्रति उपयोगकर्त्ता औसत राजस्व (ARPU), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)।

मेन्स के लिये:

भारत में दूरसंचार क्षेत्र का महत्त्व और इसके नियमन की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढाँचे को संशोधित करने की आवश्यकता पर इनपुट आमंत्रित किया है।

  • इसने परामर्श पत्र भी जारी किया है जिसमें नए कानूनी ढाँचे की आवश्यकता का सुझाव दिया गया है जो स्पष्ट, सटीक और बदलते अवसरों एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान के अनुरूप है।

नए ढाँचे की आवश्यकता:

  • भारत में दूरसंचार के लिये कानूनी आधार को भारत की स्वतंत्रता से बहुत पहले बनाए गए कानूनों द्वारा परिभाषित किया गया है।
  • 1 अक्तूबर, 1885 को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम लागू होने के बाद से हाल के दशकों में प्रौद्योगिकी काफी उन्नत हुई है। इसलिये हितधारक इसे बदलती प्रौद्योगिकी के अनुरूप रखने हेतु कानूनी ढाँचे के विकास की मांग कर रहे हैं।

सुझाव:

  • सहयोगात्मक विनियमन:
    • उदार और तकनीकी रूप से निष्पक्ष तरीके से स्पेक्ट्रम उपयोग को सक्षम करने वाला नया कानूनी ढाँचा विकसित करना।
    • साथ ही केंद्र सरकार को जनता के हित में स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिये सहजता की गारंटी देना।
  • आवृत्ति की रेंज पर पुनर्विचार:
    • कानून में आवृत्ति की रेंज के पुन: निर्धारण और सामंजस्य के प्रावधानों को शामिल करने की आवश्यकता है।
  • सरलीकृत ढाँचा:
    • आगे विलय, विघटन और अधिग्रहण या विभिन्न प्रकार के पुनर्गठन के लिये ढाँचे को सरल बनाना।
    • सेवा की निरंतरता और सार्वजनिक हितों की रक्षा के बीच एक महत्त्वपूर्ण संतुलन बनाना।
  • सुरक्षा बढ़ाना:
    • सार्वजनिक आपात स्थिति एवं सार्वजनिक सुरक्षा की शर्तों को संबोधित करने तथा राष्ट्रव्यापी सुरक्षा प्रयासों के बीच समन्वय हेतु प्रावधान होना चाहिये।
  • सेवा की निरंतरता:
    • दूरसंचार क्षेत्र में दिवाला संबंधी मुद्दों के मामले में सेवा की निरंतरता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
    • जब तक सेवाएँ प्रदान करना जारी रहता है तथा दूरसंचार लाइसेंस या स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिये देय राशि के भुगतान में कोई चूक नहीं होती है, तब तक लाइसेंस के निलंबन की कार्यवाही नहीं होनी चाहिये।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:

  • परिचय:
    • दूरसंचार उद्योग को निम्नलिखित उप-क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: इन्फ्रास्ट्रक्चर, उपकरण, मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर्स (एमएनवीओ), व्हाइट स्पेस स्पेक्ट्रम, 5 जी, टेलीफोन सेवा प्रदाता और ब्रॉडबैंड।
    • भारत में दूरसंचार उद्योग अप्रैल 2022 तक 1.17 बिलियन ग्राहक (वायरलेस + वायरलाइन ग्राहक) आधार के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
      • ग्रामीण बाज़ार का टेलीघनत्त्व (एक क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों के लिये टेलीफोन कनेक्शन की संख्या) 58.16% है, जबकि शहरी बाज़ार का टेलीघनत्व 134.70% है।
    • एफडीआई प्रवाह के मामले में दूरसंचार क्षेत्र तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल एफडीआई प्रवाह में 7% योगदान देता है और प्रत्यक्ष रूप से 2.2 मिलियन रोज़गार तथा अप्रत्यक्ष रूप से 1.8 मिलियन नौकरियों में योगदान देता है।
      • 2014 और 2021 के बीच दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह 2002-2014 के दौरान $8.32 बिलियन से 150% बढ़कर 20.72 बिलियन डॉलर हो गया।
  • मुद्दे:
    • प्रति उपयोगकर्त्ता औसत राजस्व में गिरावट (ARPU): ARPU में गिरावट स्थिर रूप से तीव्र है, जो घटते मुनाफे और कुछ मामलों में गंभीर नुकसान के साथ भारतीय दूरसंचार उद्योग को राजस्व बढ़ाने के एकमात्र तरीके के रूप में समेकन के लिये प्रेरित कर रही है।
    • अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार अवसंरचना की कमी: सेवा प्रदाताओं को अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिये भारी मात्रा में प्रारंभिक निश्चित लागत को वहन करना पड़ता है।
    • प्रतिस्पर्द्धा के कारण मार्जिन पर दबाव: रिलायंस जियो के प्रवेश के बाद प्रतिस्पर्द्धा तेज़ होने के साथ अन्य दूरसंचार कंपनियाँ वॉयस कॉल और डेटा (डेटा ग्राहकों के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण) दोनों के लिये टैरिफ दरों में भारी गिरावट महसूस कर रही हैं।
  • सरकार की पहल:
    • सूचना प्रौद्योगिकी विभाग राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अनुसार, पूरे भारत में 1 मिलियन से अधिक इंटरनेट-सक्षम सामान्य सेवा केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य है।
    • टेलीकॉम सेक्टर में FDI की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी गई है जिसमें से 49% स्वचालित मार्ग के माध्यम से, जबकि शेष विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIPB) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से किया जाएगा।
    • डार्क फाइबर, इलेक्ट्रॉनिक मेल और वॉइस-मेल की पेशकश करने वाले आधारभूत संरचना प्रदाताओं के लिये 100 प्रतिशत तक की FDI की अनुमति है।
    • वर्ष 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में कई संरचनात्मक और प्रक्रिया सुधारों को मंज़ूरी प्रदान की थी।

आगे की राह

  • इस क्षेत्र में विशाल अवसरों को देखते हुए दूरसंचार क्षेत्र में एक सक्रिय और सुविधाजनक सरकारी भूमिका की आवश्यकता है।
  • TDSAT (दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण) द्वारा एक अधिक सक्रिय और समय पर विवाद समाधान, समय की मांग है।
  • नए नियामक अधिनियम में आपातकालीन स्थितियों, सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उपायों पर प्रासंगिक प्रावधान होने चाहिये।
    • इसके अलावा दंड उल्लंघन के अनुपात में होना चाहिये, इसे ध्यान में रखते हुए नए कानून को अद्यतन करने की आवश्यकता है, जिसमें जुर्माने और अपराधों पर विभिन्न प्रावधानों को एक साथ लाया जाना चाहिये।

UPSC सिविल सेवा विगत पिछले वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न भारत में "सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है? (2020)

(a) डिजिटल सुरक्षा अवसंरचना
(b) खाद्य सुरक्षा अवसंरचना
(c) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा का बुनियादी ढाँचा
(d) दूरसंचार और परिवहन अवसंरचना

उत्तर: A

व्याख्या:

  • सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना (PKI) डिजिटल दुनिया में उपयोगकर्त्ताओं और उपकरणों को प्रमाणित करने की एक तकनीक है। इस प्रणाली के तहत एक या अधिक विश्वसनीय पक्ष यह प्रमाणित करते हुए दस्तावेज़ों पर डिजिटल रूप से हस्ताक्षर करते हैं कि एक विशेष क्रिप्टोग्राफिक कुंजी किसी विशेष उपयोगकर्त्ता या डिवाइस से संबंधित है। तब कुंजी को डिजिटल नेटवर्क में उपयोगकर्त्ता के लिये एक पहचान के रूप में उपयोग किया जा सकता है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स