हीटवेव को प्रभावित करने वाले भौगोलिक एवं जलवायु कारक | 17 May 2025
प्रारंभिक परीक्षा के लिये:हीटवेव, काली मृदा, एल नीनो, हीट एक्शन प्लान, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मुख्य परीक्षा के लिये:जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, भारत में हीटवेव और हीट एक्शन प्लान, हीट आइलैंड्स और कूलिंग सॉल्यूशन |
स्रोत:द हिंदू
चर्चा में क्यों?
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गर्मियों के दौरान तीव्र लू (हीट वेव) का सामना करना पड़ता है, जिसका कारण विशिष्ट भौगोलिक विशेषताओं और जलवायुगत परिस्थितियों का संयोजन है।
भौगोलिक एवं जलवायु कारक तापीय तरंगों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
भौगोलिक कारक:
- अक्षांशीय स्थिति और सौर तीव्रता: कर्क रेखा के समीप स्थित क्षेत्रों, जैसे कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, में गर्मियों के दौरान सूर्य लगभग सिर के ठीक ऊपर होता है, जिससे तीव्र सौर विकिरण प्राप्त होता है।
- यह ऊर्ध्वाधर सौर विकिरण भूमि को अधिक गर्म करता है, जिससे तापमान में तीव्र वृद्धि होती है।
- स्थलाकृति और सतही विशेषताएँ: तेलंगाना के दक्कन पठार जैसे पथरीले एवं बंजर भू-भाग वनस्पति या आर्द्र सतहों की तुलना में अधिक ऊष्मा अवशोषित करते हैं।
- इन क्षेत्रों में पायी जाने वाली काली मृदा भी अधिक समय तक ऊष्मा को संजोए रखती है, जिससे दिवसीय तापमान अधिक बढ़ जाता है।
- इसके विपरीत, सघन वनस्पति वाले या सिंचित कृषि क्षेत्रों में इवैपो–ट्रांसपिरेशन (भू-सतह से वायुमंडल में जल के वाष्पन एवं पौधों द्वारा जलोत्सर्जन की कुल प्रक्रिया) के कारण तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है।
- स्थल-रुद्ध क्षेत्र: जैसे कि तेलंगाना का अधिकांश भाग, जहाँ समीपवर्ती जल निकायों का अभाव होता है, वहाँ तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव होता है, जिससे लू (हीट वेव) की तीव्रता अधिक होती है। यही प्रवृत्ति उत्तर-मध्य एवं उत्तर-पश्चिम भारत में भी देखी जाती है।
- तटीय क्षेत्र, बड़े जल निकायों की शीतलन क्षमता एवं वाष्पीकरणीय शीतलन के प्रभाव के कारण मध्यम तापमान अनुभव करते हैं।
- सघन जनसंख्या, विस्तृत कंक्रीट एवं डामर सतहें, तथा सीमित हरियाली वाले शहरी ऊष्मा द्वीप अधिक ऊष्मा अवशोषित एवं संजोए रखते हैं, जिससे वहाँ स्थानीय रूप से तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है और अधिक तीव्र लू का खतरा उत्पन्न होता है।
जलवायु कारक:
- वर्षा और आर्द्रता: मानसून पूर्व वर्षा की कमी के कारण मृदा शुष्क हो जाती है और नमी में गिरावट आती है, जिससे वाष्पीकरणीय शीतलन (जल के वाष्पन के कारण सतह से ऊष्मा का हटना) सीमित हो जाता है।
- बादल रहित आकाश के कारण सौर विकिरण की तीव्रता बढ़ जाती है, जिससे भूमि का तापमान बहुत अधिक बढ़ता है और भीषण लू उत्पन्न होती है।
- उच्च आर्द्रता से पसीने के वाष्पीकरण में कमी आने एवं ताप सूचकांक में वृद्धि होने के साथ ताप तनाव में वृद्धि होती है।
- पवन एवं वायुमंडलीय स्थितियाँ: हीट वेव के दौरान मंद पवन गति के कारण ऊष्मा का फैलाव नहीं हो पाता, जिससे वह भूमि की सतह के पास जमा हो जाती है और तापमान को और बढ़ा देती है।
- स्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियाँ ऊष्मा को जमीन के निकट रोक सकती हैं (तापमान व्युत्क्रमण), जिससे उष्ण तरंगें लंबी और तीव्र हो सकती हैं।
- उच्च वायुमंडलीय स्थितियाँ, जैसे कि प्रतिचक्रवाती प्रवाह (उच्च दाब तंत्र), स्वच्छ आकाश, शुष्क वायु और नीचे की ओर जाती हुई वायुधाराओं को उत्पन्न करते हैं, जो भूमि की सतह को अधिक गर्म करती हैं और लू के विकास को बढ़ावा देती हैं।
- एल नीनो प्रभाव तथा "लू" जैसे स्थानीय पवन तंत्र भी लू की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाते हैं।
- एल नीनो के कारण मानसून लाने वाली व्यापारिक पवनें (trade winds) कमज़ोर पड़ जाती हैं, जिससे मेघ निर्माण में कमी आती है और वर्षा कम हो जाती है। इससे मृदा शुष्क हो जाती है और भूमि का तापमान बढ़ जाता है, जो लू के निर्माण और तीव्र होने के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है।
- "लू" एक उष्ण, शुष्क और धूल भरी पवन है जो ग्रीष्मकाल में चलती है।
हीटवेव क्या हैं?
- परिचय: हीटवेव किसी क्षेत्र की सामान्य जलवायु के सापेक्ष असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि होती हैं।
- हीटवेव घोषित करने की सीमा क्षेत्र के ऐतिहासिक तापमान पैटर्न के आधार पर स्थान के अनुसार अलग-अलग होती है।
- भारत में, हीटवेव मुख्य रूप से मार्च से जून तक और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है। भारत में हीटवेव का चरम महीना मई है।
- हीटवेव को उनके गंभीर प्रभावों के बावजूद आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम, 2005 के तहत आधिकारिक तौर पर प्राकृतिक आपदाओं के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
हीटवेव घोषित करने के लिये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मानदंड:
क्षेत्र/स्थिति |
हीटवेव |
मैदानी क्षेत्र |
अधिकतम तापमान ≥ 40°C |
पहाड़ी क्षेत्र |
अधिकतम तापमान ≥ 30°C |
तटीय स्थल |
जब अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5°C या उससे अधिक हो, और बशर्ते वास्तविक अधिकतम तापमान 37°C या उससे अधिक हो। |
सामान्य तापमान से विचलन के आधार पर: |
हीट वेव: सामान्य से विचलन 4.5°C से 6.4°C तक गंभीर हीट वेव: सामान्य से विचलन > 6.4°C |
वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर |
हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥ 45°C हो गंभीर हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥ 47°C हो |
स्थानिक और लौकिक स्थिति |
हीटवेव घोषित करने के लिए कम से कम 2 दिनों तक मौसम संबंधी उपखंड में कम से कम 2 स्टेशनों पर मापदंड पूरे होने चाहिये। |
हीटवेव्स का प्रभाव:
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: हीटवेव्स के कारण हीट क्रैम्प्स, सूजन (एडेमा), चक्कर आना (सिंकॉप), हीट एक्सॉशन और जानलेवा हीट स्ट्रोक जैसी बीमारियों में वृद्धि होती है।
- वृद्धजन, बाहरी मज़दूर, निम्न आय वर्ग और पूर्व-विद्यमान स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग विशेष रूप से जोखिम में रहते हैं।
- "हीट वॉच 2024" रिपोर्ट के अनुसार, मार्च से जून के बीच 17 भारतीय राज्यों में हीटस्ट्रोक से 733 लोगों की मृत्यु हुई।
- अर्थव्यवस्था: निर्माण, खनन, विद्युत संयंत्रों और रिफाइनरियों जैसे उद्योगों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लंबे समय तक गर्मी में रहने के कारण दक्षता प्रभावित होती है।
- उच्च ताप के कारण शारीरिक कार्य में संलग्न श्रमिकों में प्रतिवर्ष 162 कार्य घंटों की हानि होती है, जिससे आर्थिक उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- हीट वेव्स के कारण वायु घनत्व कम होने से विमानों को अधिक दूरी तक उड़ान भरनी पड़ती है, जिससे परिचालन व्यय तथा ऊर्जा खपत में वृद्धि होती है।
- पर्यावरणीय क्षति: हीट वेव्स के कारण वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि से पारिस्थितिकी तंत्र तथा मानव बस्तियों को नुकसान पहुँचता है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार वनों के अंतर्गत 21.4% क्षेत्र वनाग्नि के प्रति संवेदनशील है।
- हीट वेव्स से वाष्पीकरण में वृद्धि होने एवं जल की उपलब्धता में कमी आने के साथ कृषि, पशुधन तथा आजीविका पर प्रभाव पड़ता है।
- कृषि पर प्रभाव: अत्यधिक गर्मी से पौधों की वृद्धि अवरुद्ध होने से उपज कम हो जाती है। चावल जैसी खरीफ फसलों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है तथा प्रभावित राज्यों में खाद्य सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- वर्ष 2022 में हीटवेव में 1% की वृद्धि से फसल की उत्पादकता में 15% की कमी आई और गेहूँ के पौधे में अनाज भरने की अवधि के दौरान तापमान में 30 डिग्री सेल्सियस से प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से इसकी उपज में 3-4% की कमी आती है। वर्ष 2022 में हीटवेव की घटनाओं में 1% की वृद्धि से फसल की पैदावार में 15% की कमी आई।
- वर्ष 2022 में हीटवेव में 1% की वृद्धि से फसल की उत्पादकता में 15% की कमी आई और गेहूँ के पौधे में अनाज भरने की अवधि के दौरान तापमान में 30 डिग्री सेल्सियस से प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से इसकी उपज में 3-4% की कमी आती है। वर्ष 2022 में हीटवेव की घटनाओं में 1% की वृद्धि से फसल की पैदावार में 15% की कमी आई।
हीटवेव की समस्या से निपटने के लिये भारत की क्या पहल हैं?
- हीट एक्शन प्लान (HAP): भारतीय सरकार ने 23 राज्यों में हीट एक्शन प्लान को अद्यतन किया है, जिसका उद्देश्य हीटवेव से रणनीतिक रूप से निपटना और उसका प्रबंधन करना है।
- HAP में सामान्यतः किसी क्षेत्र का तापमान प्रोफाइल, पूर्व में हीटवेव की घटनाओं का डेटा, तापमान प्रवृत्तियाँ और संवेदनशीलता आकलन शामिल होते हैं, जिससे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके।
- ये योजनाएँ हीटवेव की घटनाओं से पहले, दौरान और बाद में उसके प्रभाव को कम करने के लिये सुझावों सहित प्रतिक्रिया योजनाएँ प्रदान करती हैं, जिसमें आपदा प्रबंधन, श्रम और पुलिस जैसे विभागों की भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से निर्धारित होती हैं।
- IMD हीटवेव चेतावनी: भारतीय मौसम विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर निम्नलिखित रंग कोड प्रभाव-आधारित हीट चेतावनी जारी की है।
रंग |
स्थिति |
चेतावनी |
प्रभाव |
सुझावित कार्रवाई |
हरा (कोई कार्रवाई नहीं) |
सामान्य दिन |
अधिकतम तापमान सामान्य के आस-पास है |
आरामदायक तापमान। कोई चेतावनी या सावधानी आवश्यक नहीं। |
कोई विशेष कार्रवाई आवश्यक नहीं। |
पीला अलर्ट (सूचित रहें) |
हीट की चेतावनी |
अलग-अलग स्थानों पर हीटवेव की स्थिति निरंतर 2 दिन बनी रहती है |
मध्यम तापमान। सामान्य लोगों के लिये सहनीय, लेकिन संवेदनशील लोगों (जैसे शिशु, वृद्धजन, पुरानी बीमारी वाले) के लिये स्वास्थ्य संबंधी चिंता हो सकती है। |
(a) गर्मी से बचें। (b) हल्के, हल्के रंग के, ढीले और सूती कपड़े पहनें। (c) सिर ढकें: कपड़ा, टोपी या छाता प्रयोग करें। |
नारंगी अलर्ट (तैयार रहें) |
गंभीर हीट की चेतावनी |
(i) गंभीर हीटवेव की स्थिति निरंतर 2 दिन बनी रहती है। (ii) यदि हीटवेव गंभीर न भी हो, तो भी 4 या अधिक दिनों तक बनी रहती है। |
उच्च तापमान। ऐसे लोग जो लंबे समय तक धूप में रहते हैं या भारी कार्य करते हैं, उनमें हीटवेव के लक्षणों की संभावना अधिक होती है। संवेदनशील लोगों में स्वास्थ्य संबंधी खतरा अधिक। |
(a) गर्मी से बचें, ठंडा वातावरण बनाए रखें। (b) निर्जलीकरण से बचें। (c) पर्याप्त जल पिएँ, चाहे प्यास न भी लगी हो। (d) ORS या घर के बने पेय जैसे लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू पानी, मट्ठा आदि का सेवन करें। |
लाल अलर्ट (कार्यवाही करें) |
अत्यधिक हीट की चेतावनी |
(i) गंभीर हीटवेव की स्थिति 2 दिनों से अधिक बनी रहती है। (ii) कुल हीटवेव/गंभीर हीटवेव के दिन 6 से अधिक हो जाते हैं। |
सभी आयु वर्ग के लोगों में हीटवेव और हीट स्ट्रोक की संभावना बहुत अधिक। |
संवेदनशील लोगों के लिये अत्यधिक सावधानी आवश्यक। |
- जल शक्ति अभियान: जल संरक्षण और जल निकायों को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो हीटवेव के दौरान जलयोजन तथा शहरी शीतलन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- स्मार्ट सिटी मिशन: हरित आवरण, जल-संवेदनशील शहरी डिज़ाइन और जलवायु-संवेदनशील अवसंरचना को बढ़ावा देना। शहरी हरित क्षेत्रों और शीतल क्षेत्रों (कूल ज़ोन्स) के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
- कूल रूफ एंड अर्बन कूलिंग पहल: कूल रूफ कार्यक्रम (जैसे हैदराबाद में) इनडोर तापमान को कम करने के लिये परावर्तक पेंट या सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देते हैं।
- तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने भवन संहिता एवं सार्वजनिक आवास योजनाओं में कूल रूफ को शामिल किया है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: हीटवेव की तीव्रता के लिये ज़िम्मेदार भौगोलिक और जलवायु कारकों पर चर्चा कीजिये। ये कारक क्षेत्रीय जलवायु भेद्यता को कैसे प्रभावित करते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. वर्तमान में और निकट भविष्य में भारत की ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में संभावित सीमाएँ क्या हैं? (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न: संसार के शहरी निवास-स्थानों में ताप द्वीपों के बनने के कारण बताइये। (2013) |