जीनोमिक्स लोकतंत्र | 14 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

जीनोम, जीनोमिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, डब्ल्यूएचओ, साइंस काउंसिल, एप्लीकेशन ऑफ जीनोमिक्स, डीएनए, आरएनए

मेन्स के लिये:

जीनोम के पीछे का विज्ञान, जीनोमिक्स का विकास, मानव जीवन में जीनोमिक्स का अनुप्रयोग, जीनोमिक्स में वैश्विक सहयोग के उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की विज्ञान परिषद ने विकासशील देशों को जीनोमिक प्रौद्योगिकियों को पारित करने की वकालत करते हुए एक रिपोर्ट "वैश्विक स्वास्थ्य के लिये जीनोमिक्स तक पहुंँच में तेज़ी” जारी की है।

  • रिपोर्ट ने रोगजनकों की जीनोमिक निगरानी के लिये WHO की 10 साल की रणनीति का पालन किया।
    • वैश्विक कोविड-19 प्रतिक्रिया में जीनोमिक निगरानी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश इस क्षेत्र में अपनी क्षमताओं के कारण वेरिएंट का पता लगाने में आवश्यक योगदान देने में सक्षम हैं।

WHO विज्ञान परिषद:

  • WHO के निदेशक द्वारा अप्रैल 2021 में स्थापित इसमें दुनिया भर के 9 प्रमुख वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञोसे बना है।
  • परिषद उच्च प्राथमिकता वाले मुद्दों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्रगति पर निदेशक को सलाह देती है जो सीधे वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।
  • इसने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण प्रभावों को देखते हुए जीनोमिक्स को अपने पहले अध्ययन के मुख्य केंद्र के रूप में पहचाना।

WHO की रिपोर्ट:

  • विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) के लिये जीनोमिक प्रौद्योगिकियों तक पहुंँच का विस्तार करने की आवश्यकता है।
  • कम संसाधनों वाले देशों के लिये ऐसी तकनीकों तक देर से पहुँच प्राप्त करना नैतिक या वैज्ञानिक रूप से उचित नहीं है।
  • जीनोमिक प्रौद्योगिकियों तक पहुंँच का विस्तार करने के लिये वित्तपोषण, प्रयोगशाला के बुनियादी ढाँचे, सामग्री और उच्च प्रशिक्षित कर्मियों की कमी को दूर करने की आवश्यकता है।
  • जब तक उन्हें दुनिया भर में तैनात नहीं किया जाता है, तब तक पूरी तरह से लाभ प्राप्त नहीं होंगे।
    • केवल समानता के माध्यम से ही विज्ञान अपने पूर्ण संभावित प्रभाव तक पहुँच सकता है और हर जगह, हर किसी के स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
  • रिपोर्ट ने चार विषयों को संबोधित करने की सिफारिश की:
    • वकालत, कार्यान्वयन, सहयोग और संबद्ध नैतिक, कानूनी और सामाजिक मुद्दे।
  • रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि WHO सिफारिशों को आगे बढ़ाने और उनके अनुप्रयोगों की निगरानी के लिये जीनोमिक्स समिति बनाए।

जीनोमिक्स:

Genomics

  • परिचय:
    • जीनोमिक्स का क्षेत्र डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) और राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) में जैविक जानकारी को समझने तथा उपयोग करने हेतु जैव रसायन, आनुवंशिकी एवं आणविक जीव विज्ञान विधियों का उपयोग किया जाता है।
    • जीनोमिक विज्ञान में उपयोग की जाने वाली अनेक तकनीक प्रचलित हैं और उनका विस्तार आज भी जारी है।
      • इस क्षेत्र में सबसे मौलिक घटक सभी जानवरों, पौधों और रोगाणुओं में आनुवंशिक जानकारी की समग्रता, जिसमें वायरस भी शामिल हैं, के जैविक सूचनाओं को चित्रित करने के लिये डिज़ाइन करना है जो जीनोम्स में संग्रहीत होते हैं जैसे- DNA के न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम (या कभी-कभी RNA)।
  • जीनोमिक्स के अनुप्रयोग:
    • संक्रामक रोगों को नियंत्रित करना:
      • संक्रामक घटकों के विकास का अध्ययन।
      • विशिष्ट जीनों को फेनोटाइपिक, जैसे कि संक्रामकता और रोगजनकता प्रदान करना।
      • एक संक्रामक घटक की संवेदनशीलता या दवाओं के प्रतिरोध का मूल्यांकन करना।
    • आनुवंशिक स्थितियों का निवारण और प्रबंधन:
      • आनुवंशिक विकार के लिये ज़िम्मेदार वाहक स्थिति का मूल्यांकन करना।
      • एकल जीन विकारों की जाँच और उनका निदान।
      • कई पुरानी बीमारियों के लिये रोग की संवेदनशीलता या प्रवृत्ति का आकलन करना।
      • विषाक्तता को कम करने के लिये क्रिया तंत्र या चयापचय के आनुवंशिक निर्धारकों के आधार पर दवाओं का चयन करना।
    • कृषि:
      • जंगली प्रजातियों में आनुवंशिक विविधता की सूची तैयार करना।
      • स्वास्थ्य और व्यावसायिक लक्षणों के लिये आनुवंशिक रूप-रेखा का आकलन करना।
      • पर्यावरणीय तनाव के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करना।
  • जीनोमिक्स के लाभ:
    • आर्थिक:
      • यह वाणिज्यिक लाभ के लिये प्रत्यक्ष प्रोत्साहन सेवाएँ प्रदान करता है , जो मशीनों और अभिकर्मकों का उत्पादन करता है।
      • यह जनसंख्या स्वास्थ्य में सुधार (बेहतर चिकित्सा देखभाल, जीवन की गुणवत्ता, संभावित रूप से कम स्वास्थ्य देखभाल उपयोग) और बौद्धिक संपदा अधिकारों के निर्माण के माध्यम से अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान करता है।
      • शैक्षणिक, चिकित्सा और व्यावसायिक पदों पर रोज़गार का सृजन करता है।
    • सामाजिक और पर्यावरण:
      • यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों, विशेष रूप से गरीबी, भूख को   और स्वास्थ्य से संबंधित प्रगति में भूमिका अदा करता है।
      • यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों; विशेष रूप से  सतत् विकास लक्ष्य 1 से 3  क्रमशः  गरीबी, भूख और स्वास्थ्य से संबंधित प्रगति में भूमिका प्रदान करता है।
      • इसके अलावा यह समुद्री और भूमि संसाधनों (लक्ष्य 14 और 15) के संरक्षण के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में सहायता करता है।
    • स्वास्थ्य :
      • जीनोमिक्स संक्रामक घटकों के लिये आबादी के सर्वेक्षण से मानव स्वास्थ्य में भारी योगदान दे सकता है, जैसे कि यह कोविड -19  एवं कैंसर जैसे  विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार करने में योगदान प्रदान कर सकता है।
  • जीनोमिक्स में व्याप्त चुनौतियाँ :
    • इससे मानव विषयों से प्राप्त जीनोमिक जानकारी के माध्यम से गोपनीयता का उल्लंघन करने, रोज़गार और बीमा में भेदभाव की संभावना पैदा करने, अनुचित वित्तीय लाभ प्रदान करने या सांस्कृतिक अनादर करने की आशंका विद्यमान है।
    • प्रतिभागियों और उनके द्वारा प्रदान किये गए आँकड़े की अपर्याप्त सुरक्षा, जीनोमिक जानकारी के दुरुपयोग को जोखिम में डालती है, जबकि जीनोमिक जानकारी के संग्रहण, साझाकरण और उपयोग के बारे में अनुचित प्रतिबंधात्मक नियम, ऐसी जानकारी प्रदान करने वाले लाभों को सीमित करते हैं।

WHO रिपोर्ट की सिफारिशें

  • समर्थन द्वारा जीनोमिक्स को बढ़ावा: विभिन्न पक्षकारों द्वारा समर्थन के माध्यम से सभी सदस्य राज्यों में जीनोमिक्स को अपनाने या इसके विस्तारित उपयोग को बढ़ावा देना।
    • WHO को अपने सदस्य राज्यों में जीनोमिक्स के विस्तारित उपयोग का समर्थन करने के लिये वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका का उपयोग करना चाहिये।
    • WHO को वैश्विक स्तर पर जीनोमिक तकनीक तक सस्ती पहुँच को बढ़ावा देना चाहिये ताकि सभी सदस्य राज्य, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देश (LMICs), बेहतर स्वास्थ्य एवं अन्य लाभों के लिये जीनोमिक्स के उपयोग को अपना सकें तथा इसका विस्तार कर सकें।
  • जीनोमिक कार्यप्रणाली का कार्यान्वयन:
    • स्थानीय नियोजन, वित्तपोषण, आवश्यक कर्मियों के प्रशिक्षण और उपकरणों, सामग्रियों एवं कम्प्यूटेशनल बुनियादी ढाँचे के प्रावधान के माध्यम से जीनोमिक्स के कार्यान्वयन में बाधा डालने वाले व्यावहारिक मुद्दों की पहचान कर उन्हें दूर किया जाना चाहिये।
      • WHO को सदस्य राज्यों को राष्ट्रीय या क्षेत्रीय जीनोमिक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिये।
      • सदस्य राज्यों को जीनोमिक क्षमताओं के निर्माण या विस्तार के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम स्थापित करने चाहिये या एक क्षेत्रीय कार्यक्रम में शामिल होना चाहिये।
  • जीनोमिक्स में संलग्न संस्थाओं के बीच सहयोग:
    • सदस्य राज्यों में जीनोमिक्स को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यक्रमों के सभी पहलुओं के संवर्द्धन हेतु सहयोगी गतिविधियों के लिये प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देना।
      • WHO को प्रभावी मौजूदा सहयोगी व्यवस्थाओं को मज़बूत करके और विशिष्ट ज़रूरतों के लिये नई व्यवस्थाओं के निर्माण में मदद कर जीनोमिक्स पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहये।
      • उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज को महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से LMICs में प्रचलित समस्याओं को हल करने में मदद करने के लिये जीनोमिक्स के उपयोग पर सहयोग करना चाहिये।
  • जीनोमिक्स द्वारा उत्पन्न नैतिक, कानूनी और सामाजिक मुद्दों (ELSIs) पर ध्यान देना:
    • जीनोमिक्स के अभ्यास में प्रभावी निरीक्षण और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानकों के माध्यम से जीनोमिक विधियों के साथ प्राप्त जानकारी के नैतिक, कानूनी तथा न्यायसंगत उपयोग व ज़िम्मेदारीपूर्ण साझाकरण को बढ़ावा देना।
      • WHO की जीनोमिक्स समिति को जीनोमिक्स के नैतिक एवं सामाजिक प्रभावों से निपटने के लिये मार्गदर्शन के संरक्षक के रूप में कार्य करना चाहिये, जिसमें जीनोमिक से संबंधित जानकारी का वैश्विक शासन भी शामिल है।
      • सदस्य राज्यों में स्थित संगठनों, विशेष रूप से वित्तपोषण एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी इकाइयों को ELSIs व WHO तथाअन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा जीनोमिक ELSIs से संबंधित शेष मुद्दों के समाधान विकसित करने के प्रयासों के प्रति तत्पर रहना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को कम करने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डिकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने चावल की बेहतर किस्मों जैसे- पूसा बासमती-1 और पूसा बासमती -1121 को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जिसने वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में काफी हद तक वृद्धि की है।
  • जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है।
  • जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण डीएनए अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता प्रदान करता है, अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ