G-20 भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह की पहली बैठक | 23 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

G-20 भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह, केंद्रीय सतर्कता आयोग

मेन्स के लिये:

भ्रष्टाचार से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका, भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधी प्रयास  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री ने ‘G-20 भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह’ (G-20 Anti-Corruption Working Group) की पहली बैठक में हिस्सा लिया।

प्रमुख बिंदु:

  • इस बैठक के दौरान केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री ने भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • इसके साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार को कम करने के लिये ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988’ में संशोधन और ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018’ जैसे कानूनी प्रावधानों के साथ भारत सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया।

भ्रष्टाचार रोकथाम हेतु सरकार के प्रयास:  

  • ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988’:
    • केंद्र सरकार द्वारा देश में भ्रष्टाचार की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये वर्ष 2018 में ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988’ में संशोधन किया गया।
    • इस संशोधन के तहत रिश्वत लेने के साथ रिश्वत देने को भी अपराध की श्रेणी के तहत रखा गया। इसके साथ ही संशोधित अधिनियम में व्यक्तियों और काॅर्पोरेट संस्थाओं द्वारा भ्रष्टाचार की गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिये प्रभावी निवारक उपाय शामिल किये गए। 
    • इस संशोधन के माध्यम से सरकार का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता के माध्यम से बड़े संस्थानों में भ्रष्टाचार की जाँच करना और कॉर्पोरेट रिश्वतखोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना है।
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018:  
    • वर्ष 2018 में लागू किये गए इस कानून का मूल उद्देश्य कानूनी कार्रवाई से बचने के लिये देश छोड़कर भागने वाले आर्थिक अपराधियों को रोकना था।
    • यह अधिनियम अधिकारियों को किसी भगोड़े आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender) द्वारा अपराध से प्राप्त आय और अन्य संपत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार प्रदान करता है।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम: 
    • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ में संशोधन के माध्यम से ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) को और अधिक मज़बूत करने का प्रयास किया गया।

  • लोकपाल और लोकायुक्त:

    • ‘लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ के तहत संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की गई है।   
    • ये संस्थान देश में अधिक पारदर्शिता, अधिक नागरिक-केंद्रित और शासन में जवाबदेही लाने के लिये कार्य करते हैं। 
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग: 
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission-CVC) की स्थापना फरवरी, 1964 में 'के. संथानम' की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निरोधक समिति (Committee on Prevention of Corruption) की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। 
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत इसे सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया।
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग, लोकसेवकों की कुछ श्रेणियों द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (Prevention of Corruption Act), 1988 के तहत भ्रष्टाचारों की जाँच कराने की शक्ति रखता है।

‘G-20 भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह’

(G-20 Anti-Corruption Working Group- ACWG): 

  • ‘G-20 भ्रष्टाचार निरोधी कार्यसमूह’ की स्थापना वर्ष 2010 में G-20 देशों के ‘टोरंटो शिखर सम्मेलन’ (Toronto Summit) के दौरान की गई थी।
  • इस कार्यसमूह का प्रमुख उद्देश्य भ्रष्टाचार निवारण के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में G-20 देशों द्वारा दिये गए व्यावहारिक और मूल्यवान योगदान के संदर्भ में व्यापक सिफारिशें करना है।
  • ACWG ने G-20 सदस्य देशों द्वारा किये गए सामूहिक और राष्ट्रीय कार्यों के समन्वय के माध्यम से समूह के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों का नेतृत्व किया है।
  • ACWG भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों के लिये विश्व बैंक समूह (World Bank Group), आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF) जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करता है। 

भ्रष्टाचार से निपटने में G-20 की भूमिका:   

  • हाल के वर्षों में G-20 ने वैश्विक और राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • G-20 द्वारा भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों को स्वीकार किया गया है, जो बाज़ारों की अखंडता के लिये खतरा उत्पन्न करता है, निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को कमज़ोर करता है, संसाधन आवंटन को विकृत करता है, सार्वजनिक विश्वास को क्षति पहुँचाता है और कानून के शासन को कमज़ोर करता है।
  • इसके माध्यम से G-20 यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि सदस्य देश मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली  तथा प्रतिबद्धताओं को मज़बूत बनाने में अपना योगदान दें।
  • G-20 समूह:
    • G-20 समूह विश्व की प्रमुख उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले 20 देशों का समूह है। 
    • G-20 की स्थापना वर्ष 1997 के पूर्वी एशियाई वित्तीय संकट के बाद वर्ष 1999 में यूरोपीय संघ और विश्व की 19 अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों तथा वित्त मंत्रियों के एक फोरम के रूप में की गई थी।
    • इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
    • G-20 एक फोरम मात्र है, यह किसी स्थायी सचिवालय या स्थायी कर्मचारी के बिना कार्य करता है, प्रतिवर्ष G-20 सदस्य देशों के बीच से इसके अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
    • वर्तमान में G-20 की अध्यक्षता सऊदी अरब (1 दिसंबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक) के पास है। 
  • उद्देश्य: 
    • वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सतत् विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समूह के सदस्यों के बीच नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
    • आर्थिक जोखिम को कम करने और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकने के लिये वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना।
    • एक नए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढाँचे (New International Financial Architecture) का निर्माण करना।

स्रोत: पीआईबी