मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करना | 24 Jul 2025

प्रिलिम्स के लिये:

मैनुअल स्कैवेंजिंग, नमस्ते योजना, अनुच्छेद 17, अनुच्छेद 21, मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013, हेपेटाइटिस, टेटनस, राष्ट्रीय गरिमा अभियान, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-दक्ष, मनरेगा।

मेन्स के लिये:

हाथ से मैला ढोने वालों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ और उनके समाधान के लिये उठाए गए कदम। हाथ से मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करनेहेतु अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता।

स्रोत: द हिंदू  

चर्चा में क्यों?

सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा किये गए एक अध्ययन में वर्ष 2022–23 के दौरान देश के आठ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मैला ढोने (मैनुअल स्कैवेंजर्स) की प्रथा से संबंधित खतरनाक सफाई कार्यों के कारण हुई 150 में से 54 मौतों का विश्लेषण किया गया।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • सुरक्षा उपकरणों का अभाव: कुल 54 में से 49 मामलों (लगभग 90%) में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए। शेष मामलों में केवल न्यूनतम सुरक्षा उपलब्ध थी, 5 मामलों में दस्ताने और 1 मामले में दस्तानों के साथ गमबूट प्रदान किये गए थे।
    • अधिकांश मृत्यु सक्शन पंप या रोबोट क्लीनर जैसे मशीनीकृत उपकरणों के अभाव में हुईं। 
  • संस्थागत लापरवाही: अधिकांश मामलों में, एजेंसियों के पास उपकरण की तैयारी का अभाव था  तथा जागरूकता अभियान या तो अनुपस्थित थे या अपर्याप्त थे, यहाँ तक कि उन स्थानों पर भी जहाँ उन्हें आयोजित किया गया था।
  • बिना सूचित सहमति: कई श्रमिक बिना सहमति के सीवर में प्रवेश करते हैं तथा जब लिखित सहमति ली जाती है, तब भी उन्हें इससे जुड़े जोखिमों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है।
  • शोषणकारी नियुक्ति प्रथाएँ: अधिकांश श्रमिकों को अनौपचारिक रूप से व्यक्तिगत अनुबंधों पर नियुक्त किया गया था, केवल कुछ ही प्रत्यक्ष सरकारी या आउटसोर्स PSU कर्मचारी थे। 

मैनुअल स्कैवेंजिंग क्या है तथा इससे संबंधित कानूनी ढाँचा क्या है?

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग से तात्पर्य मानव मल को हाथ से उठाने या साफ करने की प्रथा से है, जो प्रायः अस्वास्थ्यकर शौचालयों, खुली नालियों, गड्ढों या रेलवे पटरियों से आता है। 
  • वर्तमान स्थिति: सरकार के अनुसार, मैनुअल स्कैवेंजिंग आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गई है, वर्तमान चुनौती सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के मुद्दे से संबंधित है।
    • नमस्ते योजना के तहत भारत के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 84,902 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों की पहचान की गई है।
  • मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: मैनुअल स्कैवेंजिंग मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन) और अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार) का उल्लंघन है।
  • कानूनी ढाँचा: 
    • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (PEMSR): यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति को मानव मल को उसके अंतिम निष्पादन तक किसी भी रूप में हाथ से साफ करने की गतिविधि में नियुक्त करने पर प्रतिबंध लगाता है।
      • यह प्रथा को अमानवीय और असंवैधानिक घोषित करता है।
    • SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989: यह मैनुअल स्कैवेंजिंग में अनुसूचित जातियों के रोज़गार को अपराध बनाता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय (SC) के दिशा-निर्देश: डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ (2023) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को देश भर में हाथ से मैला ढोने और खतरनाक सफाई को समाप्त करने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:
    • पुनर्वास: मृत्यु होने पर 30 लाख रुपए, विकलांगता होने पर 10-20 लाख रुपए, साथ ही परिजनों को नौकरी और आश्रितों को शिक्षा
    • जवाबदेही: लापरवाही के लिये दंड और अनुबंध रद्द करना।
    • नालसा: मुआवजा वितरण की देखरेख करना और मानक मॉडल बनाना।
    • पारदर्शिता: मृत्यु, मुआवजा और पुनर्वास पर नज़र रखने के लिये एक पोर्टल का शुभारंभ।

मैनुअल स्कैवेंजर्स के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • स्वास्थ्य जोखिम: मानव अपशिष्ट और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैसों के संपर्क में आने से मैनुअल स्कैवेंजर हेपेटाइटिस, टेटनस, हैजा और दम घुटने के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
  • सामाजिक भेदभाव: अछूत माने जाने के कारण उन्हें जाति-आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे सामाजिक बहिष्कार और जाति व्यवस्था मज़बूत होती है
  • आर्थिक चुनौतियाँ: इन श्रमिकों को न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान किया जाता है, वे अनौपचारिक या दैनिक वेतन पर कार्य करते हैं, नौकरी की सुरक्षा या सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है, जिससे वे गरीबी के चक्र में फँसे रहते हैं।
  • दोहरे शोषण का सामना: महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न, शारीरिक एवं मानसिक शोषण तथा वेतन असमानता जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
  • मनोवैज्ञानिक समस्याएँ: सामाजिक बहिष्कार और कार्य की दुर्दशा के कारण चिंता, अवसाद और आत्मसम्मान की कमी जैसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे उत्पन्न होते हैं।
  • नशीले पदार्थों का सेवन: कई श्रमिक तनाव, अपमान और शारीरिक श्रम की कठिनाइयों से निपटने के लिये नशे के आदि हो जाते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य और अधिक खराब हो जाता है।

हाथ से मैला ढोने (मैनुअल स्कैवेंजिंग) की प्रथा पर अंकुश लगाने हेतु भारत की पहल

भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने के लिये क्या प्रभावी उपाय किये जा सकते हैं?

  • कानूनों का सख्ती से पालन: PEMSR अधिनियम, 2013 को सख्ती से लागू करना, उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये कठोर दंड का प्रावधान करना, सीवर में होने वाली मौतों को गैर इरादतन हत्या मानें और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार मुआवज़ा सुनिश्चित करना।
  • पूर्ण मशीनीकरण: स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत उपकरणों की खरीद के लिये धन मुहैया कराकर और सभी शहरी स्थानीय निकायों को उपकरणों से लैस करके सक्शन पंप, जेटिंग मशीन और रोबोट के साथ 100% मशीनीकृत सफाई सुनिश्चित करना।
  • पुनर्वास और वैकल्पिक आजीविका: पीएम-दक्ष के तहत हाथ से मैला ढोने वालों को अपशिष्ट प्रबंधन और मशीन संचालन में प्रशिक्षित, साथ ही मनरेगा के तहत शहरी निकायों में प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति करना चाहिये।
  • स्वास्थ्य जाँच: सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में सफाई कर्मचारियों के लिये नियमित स्वास्थ्य जाँच आयोजित करना, जिसमें श्वसन और त्वचा संबंधी बीमारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, साथ ही निर्धारित उपचार और रोकथाम प्रोटोकॉल भी बताए जाएँ।

निष्कर्ष: 

कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद मैला ढोने की प्रथा आज भी जारी है, जो प्रवर्तन, यंत्रीकरण और पुनर्वास में प्रणालीगत विफलताओं को उजागर करती है। इस अमानवीय प्रथा को पूरी तरह समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि संबंधित कानूनों का कठोर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, सीवर सफाई का पूर्ण यंत्रीकरण किया जाए तथा प्रभावित समुदायों के लिए गरिमापूर्ण वैकल्पिक आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ। राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी नवाचार और सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन—इन तीनों का समन्वय ही भारत के संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत सफाईकर्मियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

Q. मैला ढोने वालों के समक्ष सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये तथा उनके लिये एक सतत् पुनर्वास रोडमैप का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: 'राष्ट्रीय गरिमा अभियान' एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य है: (2016)

(a) बेघर एवं निराश्रित व्यक्तियों का पुनर्वास और उन्हें आजीविका के उपयुक्त स्रोत प्रदान करना।
(b) यौनकर्मियों को उनके अभ्यास से मुक्त करना और उन्हें आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करना।
(c) हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करना और हाथ से मैला ढोने वालों का पुनर्वास करना।
(d) बंधुआ मज़दूरों को मुक्त करना और उनका पुनर्वास करना।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे, फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)

प्रश्न. "जल, सफाई एवं स्वच्छता की आवश्यकता को लक्षित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ जोड़ना होगा।" 'वाश' योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2017)