भारत में हाथी संरक्षण | 12 Aug 2025

प्रिलिम्स के लिये: एशियाई हाथी, IUCN रेड लिस्ट, प्रोजेक्ट एलिफेंट, हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE) कार्यक्रम

मेन्स के लिये: मानव-हाथी संघर्ष: कारण, प्रभाव और शमन रणनीतियाँ, मानव-पशु संघर्ष, मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे एवं समाधान।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

12 अगस्त, को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने कोयंबटूर में विश्व हाथी दिवस मनाया, जिसमें मानव-हाथी संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया गया।

विश्व हाथी दिवस

  • कनाडा की पेट्रीशिया सिम्स और थाईलैंड के एलिफेंट रीइंट्रोडक्शन फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से 12 अगस्त, 2012 को विश्व हाथी दिवस की स्थापना की। तब से पेट्रीशिया सिम्स इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं।
  • 100 से अधिक संगठनों के साथ साझेदारी में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य हाथियों के संरक्षण के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है, जिसमें प्रतिवर्ष विश्व हाथी दिवस के माध्यम से लाखों लोग अपना समर्थन देते हैं।

हाथी के बारे में मुख्य तथ्य

  • तीन प्रजातियाँ: हाथी की तीन अलग-अलग प्रजातियाँ हैं: अफ्रीकी सवाना हाथी, अफ्रीकी वन हाथी और एशियाई हाथी।
    • अफ्रीकी हाथियों के कान बड़े होते हैं और अफ्रीका महाद्वीप की तरह दिखते हैं, जबकि एशियाई हाथियों के कान भारतीय उपमहाद्वीप के आकार से मिलते-जुलते होते हैं। अफ्रीकी हाथियों की सूंड के सिरे पर दो "उँगलियाँ" होती हैं, जबकि एशियाई हाथियों की सूंड पर केवल एक "उँगली" होती है।
  • विश्व का सबसे बड़ा स्थलीय जीव: अफ्रीकी सवाना (बुश) हाथी दुनिया का सबसे बड़ा स्थलीय जीव है।
  • हाथियों का जीवनकाल और प्रजनन: हाथी लगभग 65 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। मादाएँ लगभग 11 वर्ष की आयु में यौवनावस्था (Puberty) में पहुँच जाती हैं, उनकी गर्भावस्था लगभग 22 महीने की होती है और 40 वर्ष की आयु तक उनकी प्रजनन क्षमता बनी रहती हैं। यदि परिस्थितियाँ अनुकूल हों, तो हाथियों की आबादी प्रतिवर्ष लगभग 7% की दर से बढ़ सकती है।
  • सामाजिक संरचना: परिवार का नेतृत्व एक मातृप्रधान (मादा मुखिया) करती है, जो सामान्यतः सबसे वृद्ध और सम्मानित मादा होती है।
  • दाँत: ये बढ़े हुए कृंतक दाँत होते हैं जो जीवन भर बढ़ते रहते हैं। इनका उपयोग भोजन प्राप्त करने, खुदाई करने और अपनी रक्षा के लिये किया जाता है। यह कृंतक दाँत हाथीदाँत के रूप में जाने जाते हैं, जिसके कारण हाथी का अवैध रूप से शिकार किया जाता है।
  • संचार: हाथी ध्वनि, भाषा, स्पर्श, गंध और हड्डियों के माध्यम से महसूस किये जाने वाले भूकंपीय कंपन का उपयोग करके एक-दूसरे से संवाद करते हैं।
  • जनसंख्या में गिरावट: पिछली शताब्दी में 90% अफ्रीकी हाथी विलुप्त हो गए। एशियाई हाथियों की जनसंख्या में कम-से-कम 50% की कमी आई है। आवास के हानि से प्रवास मार्ग बाधित होते हैं और मानव-हाथी संघर्ष बढ़ता है।

Elephant

भारत हाथियों का संरक्षण किस प्रकार सुनिश्चित कर रहा है?

  • भारत में हाथी: भारत में विश्व के 60% से ज़्यादा जंगली एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) पाए जाते हैं, खासकर भारतीय हाथी की उप-प्रजाति (एलिफस मैक्सिमस इंडिकस)।
    • देश के राष्ट्रीय धरोहर पशु के रूप में, ये हाथी पारिस्थितिकी तंत्र के इंजीनियरों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बीज प्रसार, पोषक चक्रण और जलवायु विनियमन में सहायता करते हैं।
    • कीस्टोन (पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने वाले), अम्ब्रेला (सह-अस्तित्व वाली प्रजातियों की रक्षा करने वाले) और फ्लैगशिप प्रजाति (संरक्षण के प्रतीक) के रूप में, हाथी उष्णकटिबंधीय जंगलों तथा बारहमासी नदियों को जीवित रखते हैं।
  • भारत में एशियाई हाथियों की स्थिति: एशियाई हाथी, भारत का सबसे बड़ा स्थलीय स्तनपायी, मुख्य रूप से दक्षिण, उत्तर-पूर्व और मध्य क्षेत्रों में पाया जाता है।
    • लगभग 28,000-30,000 हाथी चार अलग-अलग क्षेत्रों में रहते हैं, जिससे आवास और गलियारे का संरक्षण महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • एशियाई हाथियों की संरक्षण स्थिति: IUCN की रेड लिस्ट (लुप्तप्राय), वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (अनुसूची I) और वन्य जीव-जंतुओं तथा वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) (परिशिष्ट)।
  • प्रोजेक्ट एलीफेंट: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1992 में MoEFCC के तहत शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट एलीफेंट 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को हाथियों, उनके आवासों और प्रवास गलियारों के संरक्षण में सहायता प्रदान करता है।
    • यह वित्त पोषण, बुनियादी ढाँचे और अवैध शिकार विरोधी उपायों के माध्यम से संरक्षण, संघर्ष शमन तथा बंदी हाथियों के कल्याण पर केंद्रित है।
    • प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट योजना को वित्त वर्ष 2023-24 से विलय कर दिया गया है, जिसे अब इसे प्रोजेक्ट टाइगर और एलीफेंट के नाम से जाना जाता है।
  • प्रोजेक्ट री-हैब (मधुमक्खियों का उपयोग करके हाथी-मानव हमलों को कम करना): यह खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा "मधुमक्खी के छत्ते की बाड़" का उपयोग करके मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की एक पहल है।
    • इसमें हाथियों के रास्तों पर मधुमक्खी के बक्सों को रणनीतिक रूप से रखकर उन्हें मानव बस्तियों में प्रवेश करने से रोका जाता है, जिससे मानव और हाथी दोनों की मृत्यु दर कम होती है।
  • हाथी संरक्षण में उपलब्धियाँ: भारत में जंगली हाथियों की आबादी वर्ष 2007 में 27,669-27,719 से बढ़कर 2017 में 29,964 हो गई है, जो संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।.
    • भारत ने 14 राज्यों में 33 हाथी अभयारण्यों को नामित किया है, जो हाथियों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं।
    • ये हाथी अभयारण्य बाघ अभयारण्यों, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित वनों के साथ अतिव्याप्त हैं, जो वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय वन अधिनियम, 1927 और अन्य स्थानीय राज्य अधिनियमों के तहत संरक्षित हैं।
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राज्य वन विभागों ने 15 राज्यों में 150 हाथी गलियारों का ज़मीनी स्तर पर सत्यापन किया है, जिससे खंडित आवासों के बीच हाथियों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होती है।
    • प्रोजेक्ट एलीफेंट ने हाथियों के आवासों में बदलावों की निगरानी और संभावित खतरों की पहचान करने के लिये भूमि उपयोग भूमि आवरण (LULC) विश्लेषण और उपग्रह डेटा जैसे भू-स्थानिक उपकरणों का उपयोग भी शुरू कर दिया है।
  • निगरानी और भविष्य की दिशाएँ: CITES के नेतृत्व में हाथियों की अवैध हत्या पर निगरानी (MIKE) कार्यक्रम संरक्षण कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिये अवैध हाथियों की हत्याओं की निगरानी करता है, वहीं, भारतीय वन्यजीव संस्थान का एलीफेंट सेल तकनीकी विशेषज्ञता, क्षमता निर्माण और फ्रंटलाइन स्टाफ के प्रशिक्षण के माध्यम से संरक्षण कार्यों का समर्थन करता है।

Elephant Reserves

हाथी संरक्षण में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • हाथी-ट्रेन टक्कर: हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2009 से 2024 के बीच भारत में 186 हाथियों की मृत्यु ट्रेन से टकराने के कारण हुई, जिनमें अधिकांश मामले असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल और उत्तराखंड में दर्ज किये गए।
    • इसके कारणों में हाथी गलियारों से होकर गुजरने वाली रेलवे पटरियाँ, कम दृश्यता, तेज़ ट्रेन गति और समय पर चेतावनी का अभाव शामिल हैं। ये क्षेत्र गौर, हिरण और तेंदुए जैसे अन्य वन्यजीवों के लिये भी खतरा उत्पन्न करते हैं।
  • आवास की हानि और विखंडन: बस्तियों और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के विस्तार से वन सिमटकर छोटे-छोटे खंडों में विभाजित हो जाते हैं।
    • भारत में चिह्नित हाथी गलियारे, जो उनके मौसमी आवागमन और आनुवंशिक आदान-प्रदान के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण हैं, गंभीर मानवीय दबाव का सामना कर रहे हैं तथा कुछ क्षेत्रों में इनके पूर्णतः अवरुद्ध होने का खतरा है।
  • बढ़ता मानव-हाथी संघर्ष: सिमटते आवास हाथियों को फसलों के खेतों और गाँवों में जाने के लिये  मजबूर करते हैं, जिससे आजीविका को गंभीर क्षति पहुँचती है।
    • इससे प्रतिवर्ष 400–500 मनुष्यों की और 60 से अधिक हाथियों की मृत्यु होती है, जिनमें से अधिकांश प्रतिशोध के कारण होती हैं।
    • जलवायु परिवर्तन, आवास, जल तथा भोजन के स्रोतों को प्रभावित कर हाथियों के जीवन को बाधित करता है, जिससे मानव-हाथी संघर्ष और भी बढ़ जाता है।
      • अनावृष्टि और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाएँ हाथियों को मानव आबादी वाले क्षेत्रों में आने के लिये मजबूर करती हैं।
  • दाँत और अन्य अंगों के लिये शिकार: हाथी-दाँत के लिये दाँत वाले नर हाथियों का शिकार कई आबादियों में लैंगिक अनुपात को असंतुलित कर चुका है।
    • वर्ष 1989 के CITES हाथी-दाँत व्यापार प्रतिबंध के बावजूद, पूर्वोत्तर भारत में मांस, त्वचा और पूँछ के बालों के लिये अवैध शिकार अभी भी प्रचलित है।
  • बुनियादी अवसंरचना से जुड़े खतरे: नीचे लटकी बिजली की तारों से करंट लगना और अन्य जानवरों के लिये रखे गए घरेलू बमों से चोट लगना, गंभीर खतरे उत्पन्न करता है।
  • दुर्घटनात्मक मृत्यु: मानव-परिवर्तित परिदृश्यों में हाथी प्राय: खुले कुओं, खाइयों और गड्ढों में गिर जाते हैं, जिससे घातक चोटें लगती हैं।
  • संरक्षण हेतु सीमित संसाधन: कई हाथी आवास दूर-दराज़ के क्षेत्रों में हैं, जहाँ निगरानी और गश्त के लिये आवश्यक ढाँचा कमज़ोर है।
    • उदाहरण के लिये, ओडिशा का सिमलीपाल क्षेत्र सीमित वन कर्मियों और खराब सड़कों की पहुँच के कारण कमज़ोर प्रबंधन, शिकार एवं संघर्ष के अधिक जोखिम का सामना करता है।

हाथी संरक्षण हेतु आवश्यक उपाय क्या हैं?

  • हाथी-ट्रेन टक्कर की रोकथाम: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने रोकथाम के उपायों के रूप में रैंप, अंडरपास, ओवरपास का निर्माण तथा घुसपैठ पहचान प्रणाली (Intrusion Detection System – IDS) स्थापित करने का सुझाव दिया है, ताकि हाथियों की गतिविधियों की निगरानी की जा सके तथा ट्रेन चालकों को समय पर चेतावनी दी जा सके।
  • मिर्च पाउडर की फेंसिंग और मधुमक्खी के छत्ते: खेतों के चारों ओर मिर्च पाउडर और इंजन तेल के मिश्रण से लेपित फेंसिंग लगाना, फसलों पर हमला करने वाले हाथियों को रोकने का एक प्रभावी तरीका है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष कम होता है।   
    • खेत की सीमाओं पर मधुमक्खी के छत्ते लगाने से हाथी दूर रहते हैं क्योंकि वे मधुमक्खियों से बचते हैं; साथ ही यह किसानों को शहद से आय भी प्रदान करता है।
  • केला ट्रैप फसलें/बनाना ट्रैप क्रॉप: वन की सीमाओं पर केले और नेपियर घास जैसी चारे की फसलें लगाना, ताकि हाथियों को मुख्य फसलों से दूर रखा जा सके।
  • आवास संरक्षण को मज़बूत करना: एलिफेंट टास्क फोर्स (2010) की सिफारिश के अनुसार भूमि अधिग्रहण, ग्राम सभा की सहमति और स्वैच्छिक पुनर्वास के माध्यम से खंडित आवासों को पुनः  जोड़ना।
  • प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप: संघर्ष की रोकथाम के लिये GPS कॉलर ट्रैकिंग का उपयोग करके वास्तविक समय में हाथियों की गतिविधियों की निगरानी करना। हाथियों के प्रवासन मार्ग और मानव-हाथी संघर्ष के हॉटस्पॉट का पूर्वानुमान लगाना।
  • क्षमता निर्माण: दूरस्थ क्षेत्रों में वन कर्मियों को बेहतर उपकरण, पशु-चिकित्सा इकाइयाँ और गैर-घातक संघर्ष प्रबंधन प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर सशक्त बनाना।
  • सामुदायिक भागीदारी और सशक्तीकरण: गज यात्रा कार्यक्रम और गज शिल्पी पहल जैसे अभियानों का विस्तार करना, जिनमें लोगों को हाथी संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिये शामिल किया जाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न.  भारत में एशियाई हाथियों को प्रमुख प्रजाति माना जाता है। उनके संरक्षण में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये और उनके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिये रणनीतियाँ सुझाइये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. हाथियों के समूह का नेतृत्व मादा करती है। 
  2.  हाथी की अधिकतम गर्भावधि 22 माह तक हो सकती है।  
  3.  सामान्यत: हाथी में 40 वर्ष की आयु तक ही बच्चे पैदा करने की क्षमता होती है।  
  4.  भारत के राज्यों में हाथियों की सर्वाधिक संख्या केरल में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (a)