सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के आधुनिकीकरण हेतु डिजिटल पहल | 21 Nov 2025

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के आधुनिकीकरण, आपूर्ति शृंखला की दक्षता बढ़ाने और खाद्यान्न भंडारण व लॉजिस्टिक्स में पारदर्शिता को बेहतर करने के उद्देश्य से कई डिजिटल पहलों की शुरुआत की है।

PDS के आधुनिकीकरण के लिये प्रमुख डिजिटल पहलें कौन-सी हैं?

  • भंडारण 360 (Bhandaran 360): यह केंद्रीय भंडारण निगम (CWC) के लिये नया एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग (ERP) प्लेटफॉर्म है, जो ICEGATE, भारतीय खाद्य निगम (FCI) और NAFED सहित 35 बाह्य प्रणालियों से जुड़ा हुआ है।
    • यह सिंगल साइन-ऑन, डेटा एन्क्रिप्शन, रीयल-टाइम डैशबोर्ड और पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है, जिससे संचालन मानकीकृत होता है तथा निर्णय-निर्माण की गति बढ़ती है।
  • स्मार्ट EXIM वेयरहाउस सिस्टम: यह AI, IoT एवं FASTag का उपयोग करके कंटेनर तथा कार्गो प्रबंधन को सुव्यवस्थित करता है, जिससे रीयल-टाइम ट्रैकिंग और तीव्र कार्गो मूवमेंट संभव हो पाता है।
  • अन्न दर्पण (ANNA DARPAN): भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा शुरू किया गया अन्न दर्पण एक एकीकृत एवं भरोसेमंद सूचना प्रणाली है, जो खरीद, भंडारण, परिवहन, बिक्री, गुणवत्ता जाँच और अनुबंध निगरानी जैसी सभी प्रक्रियाओं को एक मंच पर लाता है।
  • ASHA (अन्ना सहायता होलिस्टिक AI सॉल्यूशन): यह एक AI प्लेटफॉर्म है जो स्वचालित कॉल्स के माध्यम से राशन पात्रता, अनाज की गुणवत्ता और दुकान से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया एकत्र करता है, ताकि शिकायतों का बेहतर प्रबंधन हो सके तथा निगरानी में सुधार आए।
  • आधुनिक स्टील साइलो: पंजाब के मलौट में 1.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले नए हब साइलो कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया है, जिसका उद्देश्य अनाज की बर्बादी को कम करना है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) क्या है?

  • परिचय: PDS उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित एक खाद्य सुरक्षा प्रणाली है, जो आवश्यक खाद्य पदार्थों और कुछ गैर-खाद्य वस्तुओं को सब्सिडी दरों पर उपलब्ध कराती है।
  • लक्षित लाभार्थी: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत प्राथमिकता वाले परिवारों (PHH) को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न अत्यधिक सब्सिडी दरों पर दिया जाता है—चावल ₹3/किग्रा, गेहूँ ₹2/किग्रा और मोटा अनाज ₹1/किग्रा।
    • अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के तहत देश के अत्यंत गरीब परिवारों को प्रति माह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
  • भारत में PDS का विकास:

  • वस्तुएँ: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गेहूँ, चावल, चीनी और मिट्टी का तेल राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटित किये जाते हैं। इसके अलावा, कुछ राज्य दालें, खाद्य तेल, आयोडीन युक्त नमक और मसालों जैसी अतिरिक्त वस्तुओं का भी वितरण करते हैं।

भारत में PDS से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

मेमोनिक – FAIL

  • F – त्रुटिपूर्ण लक्ष्य निर्धारण (Faulty Targeting): PDS की बीपीएल (BPL) मानदंड प्रणाली कई संवेदनशील समूहों को बाहर कर देती है। परिणामस्वरूप लगभग 12% गरीब परिवार वंचित रह जाते हैं, जबकि कुछ एपीएल (APL) परिवार और फर्जी राशन कार्डधारक (ghost cardholders) लाभ उठाते हैं।
  • A – पहुँच संबंधी समस्याएँ (Accessibility Issues): भंडारण क्षमता मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा जैसे खरीददार राज्यों में केंद्रित है, जिससे राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे उपभोग वाले राज्यों में कमी दिखाई देती है। नौकरशाही देरी और प्रक्रियात्मक बाधाएँ, विशेषकर दूरस्थ क्षेत्रों में, क्षेत्रीय असमानताओं को और बढ़ा देती हैं।
  • I –अकार्यकुशलता और गुणवत्ता की खामियाँ  (Inefficiency and Quality Gaps): अक्सर अनाज सड़ा हुआ, कीटग्रस्त या मिलावटी होता है, जिससे भारी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है (वर्ष 2020 में 62,000 टन से अधिक)। साथ ही, PDS का ध्यान मुख्यतः चावल और गेहूँ पर केंद्रित रहता है, जिससे कुपोषण तथा बाज़रा जैसे पौष्टिक स्थानीय अनाजों की उपेक्षा होती है।
  • L –जागरूकता और शिकायत निवारण की कमी  (Lack of Awareness & Redressal): कई लाभार्थियों, विशेषकर अशिक्षित व्यक्तियों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी होती है। कमज़ोर शिकायत निवारण तंत्र के कारण राशन मिलने में देरी या अनियमितताएँ आम हो जाती हैं।
    • विश्व बैंक और राइट टू फूड अभियान की रिपोर्टें के अनुसार आधार-आधारित प्रमाणीकरण की खामियों और ज़मीनी स्तर पर जवाबदेही की कमी के कारण बहिष्करण (Exclusions) की समस्या गंभीर बनी हुई है।

PDS की दक्षता बढ़ाने के लिये किन सुधारों की आवश्यकता है?

मेमोनिक– GROW

  • G – अनाज आपूर्ति का आधुनिकीकरण (Grain Supply Modernization): पारंपरिक गोदामों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर आधुनिक स्टील साइलो का विस्तार किया जाए ताकि कटाई के बाद होने वाले नुकसान कम हों और अनाज की गुणवत्ता बेहतर हो।
  • R – रियल-टाइम डिजिटल इंटीग्रेशन (Real-Time Digital Integration): भंडारण 360, अन्ना दर्पण और आशा पोर्टल को राज्य PDS डेटाबेस और वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली से जोड़ा जाए, ताकि खाद्यान्न की वास्तविक समय में ट्रैकिंग और केंद्र से लेकर उचित मूल्य दुकानों (FPS) तक की बाधाओं की पहचान की जा सके।
  • O – अंतिम छोर की डिलीवरी का अनुकूलन (Optimized Last-Mile Delivery): आशा पोर्टल का विस्तार कर लाभार्थियों को उनके अधिकारों और FPS के समय की वॉइस अलर्ट भेजी जाएँ, तथा अनसुलझी शिकायतों का स्वचालित रूप से उच्च स्तर पर भेजा जाना सुनिश्चित किया जाए।
    • GPS-सक्षम, टैंपर-प्रूफ सील वाले खाद्यान्न ट्रकों का उपयोग कर रियल टाइम ट्रैकिंग और चोरी-छिपे निकासी (पिल्फरेज) को रोका जाए।
  • W – व्यापक और पोषक खाद्य टोकरी (Wider & Nutritious Food Basket): कुपोषण से निपटने के लिये PDS खाद्य टोकरी में बाज़रा, दालें, खाद्य तेल और फोर्टिफाइड अनाज शामिल कर विविधता लाई जाए।

निष्कर्ष:

हालिया डिजिटल सुधारों ने PDS को एक आधुनिक, डेटा-आधारित प्रणाली की ओर महत्त्वपूर्ण गति दी है। वास्तविक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अंतिम छोर तक वितरण और पोषण संबंधी विविधता पर लगातार ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न. PDS (जन वितरण प्रणाली) की अंतिम चरण के वितरण में कौन-कौन सी चुनौतियाँ आती हैं और फूड बास्केट तथा पोषण सुधार खाद्य सुरक्षा बढ़ाने एवं कुपोषण कम करने में कैसे मदद कर सकते हैं?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. भंडारण 360 क्या है?

यह CWC द्वारा विकसित एक ERP प्लेटफॉर्म है, जो 41 मॉड्यूल और 35 बाहरी सिस्टम को एकीकृत करता है और वास्तविक समय भंडारण, पूर्वानुमान विश्लेषण तथा आपूर्ति शृंखला की दक्षता प्रदान करता है।

2. PDS के मुख्य लाभार्थी कौन हैं?

प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) और अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सब्सिडी वाले अन्न प्राप्त करते हैं।

3. ASHA PDS में पारदर्शिता कैसे बढ़ाती है?

ASHA एक AI-संचालित फीडबैक सिस्टम है जो लाभार्थियों की शिकायतें स्वचालित कॉल के माध्यम से एकत्र करता है, भाव विश्लेषण करता है और निर्णय लेने के लिये वास्तविक समय डैशबोर्ड प्रदान करता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रीलिम्स

प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भारत में 'जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)' दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।
  2. सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी. आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय फ्राँस में है।
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी. आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


प्रश्न 2: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015)