कोयला रसद योजना और नीति | 09 Mar 2024

प्रिलिम्स के लिये:

कोयला रसद योजना और नीति, भारत में कोयला क्षेत्र, कोयले के प्रकार, कोकिंग कोयला, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, COP28, कार्बन कैप्चर और स्टोरेज

मेन्स के लिये:

भारत के लिये कोयले से संबंधित चुनौतियाँ, भारत के ऊर्जा क्षेत्र की आधारशिला के रूप में कोयला

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

भारत ने “कोयला रसद योजना और नीति” (Coal Logistics Plan and Policy) नामक पहल का शुभारंभ कर कोयला क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया जिसका उद्देश्य कोयला परिवहन का आधुनिकीकरण करना है।

कोयला रसद योजना और नीति क्या है?

  • पृष्ठभूमि: भारत में कोयला रसद का मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है, विशेषकर ग्रीष्म ऋतु के दौरान जब विद्युत की बढ़ती मांग के कारण ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ता है।
    • कोयले के परिवहन (विभिन्न कार्यों के लिये कोयले को ले-जाना ले-आना) में अमूमन चुनौतियाँ उत्पन्न होती रही हैं जिसके कारण कोयला आपूर्ति में व्यवधान का समाधान करने के लिये भारतीय रेल को विशेष उपाय लागू करने की आवश्यकता होती है।
  • परिचय: कोयला रसद योजना और नीति का उद्देश्य कोयला रसद को अधिक वहनीय, कुशल तथा पर्यावरण के अनुकूल बनाकर इसमें वृद्धि करना है।
    • इसमें भंडारण, लोडिंग, अनलोडिंग और विद्युत संयंत्रों, इस्पात मिलों, सीमेंट कारखानों तथा वॉशरी तक कोयले की डिलीवरी जैसे विभिन्न पहलू शामिल हैं।
    • यह फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) परियोजनाओं में रेल-आधारित प्रणाली की ओर एक रणनीतिक बदलाव का प्रस्ताव करता है जिसका लक्ष्य रेल रसद लागत में 14% की कमी के साथ वार्षिक लागत में 21,000 करोड़ रुपए की बचत करना है।
  • अपेक्षित परिणाम: यह वायु प्रदूषण में कमी करने, यातायात के भार को कम करने और प्रति वर्ष लगभग कार्बन उत्सर्जन में 100,000 टन की कमी करने में सहायता प्रदान करेगा।
    • इसके अतिरिक्त देशभर में वैगनों के औसत टर्नअराउंड समय में 10% की बचत की उम्मीद है।

भारत में कोयला क्षेत्र की स्थिति क्या है?

  • कोयला: कोयला प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला ज्वलनशील अवसादी शैल (Sedimentary Rock) है जिसमें मुख्य रूप से हाइड्रोकार्बन सहित कार्बन होता है।
    • यह लाखों वर्षों में पादप सामग्री के संचय और अपघटन से बनता है। दाब और ऊष्मा के माध्यम से इस कार्बनिक पदार्थ में भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन होते हैं एवं अंततः यह कोयले में परिवर्तित हो जाता है।
  • भारत में कोयला भंडार: भारत का कोयला भंडार देश के पूर्वी और मध्य भागों में केंद्रित है
    • प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के साथ-साथ मध्य प्रदेश के कुछ भाग शामिल हैं और वे भारत में घरेलू कच्चे कोयले के प्रेषण का 75% योगदान करते हैं।
  • भारत में कोयले के प्रकार एवं क्लस्टर: 
    • एन्थ्रेसाइट: 80% से 95% तक कार्बन सामग्री के साथ, यह मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर में सीमित मात्रा में मौजूद है।
    • बिटुमिनस कोयला: 60% से 80% कार्बन युक्त, यह मुख्य रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है।
    • लिग्नाइट: इसकी विशेषता इसकी कार्बन सामग्री 40% से 55% के साथ ही उच्च नमी का स्तर होता है एवं यह मुख्य रूप से तमिलनाडु, पुडुचेरी, गुजरात, राजस्थान तथा जम्मू और कश्मीर के क्षेत्रों में पाया जाता है।
    • पीट: 40% से कम कार्बन सामग्री के साथ यह लकड़ी जैसे कार्बनिक पदार्थ से कोयले में परिवर्तन के प्रारंभिक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत के लिये कोयले का महत्त्व: कोयला भारत में सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। यह देश की  55% ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है।
    • देश की औद्योगिक विरासत का निर्माण स्वदेशी कोयले पर किया गया था। वर्तमान में भारत की 70% विद्युत मांग ताप विद्युत संयंत्रों से पूरी होती है, जो मुख्य रूप से कोयले से संचालित होते हैं।
    • पिछले चार दशकों में भारत में वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा खपत में लगभग 700% की वृद्धि हुई है।
    • वर्तमान में प्रति व्यक्ति खपत प्रति वर्ष लगभग 350 किलोग्राम तेल के बराबर है, जो विकसित देशों की तुलना में अभी भी कम है।
  • भारत में कोयले का आयात: वर्तमान आयात नीति ओपन जनरल लाइसेंस के तहत कोयले के अप्रतिबंधित आयात की अनुमति देती है।
    • इस्पात, विद्युत एवं सीमेंट क्षेत्रों के साथ-साथ कोयला व्यापारी सहित उपभोक्ता अपनी व्यावसायिक आवश्यकताओं के आधार पर कोयले का आयात कर सकते हैं।
    • इस्पात क्षेत्र घरेलू उपलब्धता को पूरा करने तथा गुणवत्ता में सुधार के लिये मुख्य रूप से कोकिंग कोयले का आयात करता है।
    • विद्युत तथा सीमेंट जैसे अन्य क्षेत्र, कोयला व्यापारियों के साथ अपनी-अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये गैर-कोकिंग कोयले का आयात करते हैं।

भारत के लिये कोयले से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • पर्यावरणीय प्रभाव: कोयला खनन और दहन वायु एवं जल प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, निर्वनीकरण तथा प्राकृतिक वन्य आवास के विनाश में योगदान करते हैं। ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इन पर्यावरणीय प्रभावों से निपटना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
  • स्वास्थ्य जोखिम: कोयले की धूल, कणिका पदार्थ और कोयले पर चलने वाले विद्युत संयंत्रों से हानिकारक उत्सर्जन के संपर्क में आने के कारण कोयला खदानों तथा विद्युत संयंत्रों के निकट रहने वाले समुदायों के लिये स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास: कोयला खनन परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण में प्रायः समुदायों का विस्थापन और आजीविका में व्यवधान शामिल होता है।
    • प्रभावित आबादी का उचित पुनर्वास एक चुनौती बना हुआ है, कई समुदायों को सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
  • तकनीकी बाधाएँ: कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों में प्रगति के बावजूद, उच्च लागत तथा तकनीकी चुनौतियों के कारण भारत में इन प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाना सीमित है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की देश की प्रतिबद्धता के बीच भारत में कोयला क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन शमन उद्देश्यों को पूरा करने के बीच संतुलन बनाना एक बहुत बड़ी बाधा है।
    • COP28 में, भारत ने कोयला के उपयोग को पूरी तरह से "चरणबद्ध तरीके से समाप्त" करने के बजाय "चरणबद्ध तरीके से कम करने" का समर्थन किया।

भारत कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम करने का समर्थन क्यों करता है?

  • ऊर्जा सुरक्षा: कोयला वर्तमान में भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो देश की विद्युत उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है।
    • कोयले के उपयोग को अचानक समाप्त करने से ऊर्जा आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जिसका असर उद्योगों, व्यवसायों और घरों पर पड़ सकता है।
  • आर्थिक निमित्त: कोयला खनन और संबंधित उद्योग लाखों नौकरियों का समर्थन करते हैं तथा भारत की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
    • कोयले से अचानक अन्य ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण से कोयला-निर्भर क्षेत्रों में संबंधित पेशेवरों की नौकरी छूट सकती है, परिणामस्वरूप आर्थिक अस्थिरता हो सकती है।
    • इसके अलावा, वर्तमान में, सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कोयले की तरह लागत प्रभावी नहीं हैं।
  • बुनियादी ढाँचा निवेश: भारत ने विद्युत संयंत्रों और संबंधित सुविधाओं सहित कोयला आधारित बुनियादी ढाँचे में पर्याप्त निवेश किया है।
    • कोयले के प्रयोग को समय से पूर्व बंद करने से परिसंपत्तियों को हानि होगी और निवेश बर्बाद हो जाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

आगे की राह

  • ऊर्जा दक्षता में सुधार: खनन और परिवहन से लेकर विद्युत उत्पादन तथा खपत तक कोयला मूल्य शृंखला में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने से ऊर्जा की खपत एवं पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है।
    • इसके अतिरिक्त, कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में उच्च दक्षता, कम उत्सर्जन (HELE) प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करते हुए कोयला उद्योग में उत्सर्जन को काफी कम किया जा सकता है।
  • ऊर्जा स्रोतों में विविधता: भारत को सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाकर अपने ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • इस विविधीकरण से कोयले पर निर्भरता में कमी लाने में मदद मिलेगी तथा अधिक सतत् व अनुकूलनीय ऊर्जा प्रणाली में योगदान मिलेगा।
  • स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों की ओर संक्रमण: कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण सहित स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान व विकास में निवेश, कोयला आधारित विद्युत उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
  • सतत् खनन प्रथाओं को बढ़ावा देना: भूमि सुधार, जल संरक्षण और जैवविविधता संरक्षण सहित पर्यावरण की दृष्टि से सतत् खनन प्रथाओं को लागू करना, कोयला खनन कार्यों के पर्यावरणीय फुटप्रिंट को कम कर सकता है।
    • पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये नियमों और प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत करना आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में किया गया था।
  2. वर्तमान में, कोयला खंडों का आबंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।
  3. भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013)

  1. उच्च भस्म अंश
  2. निम्न सल्फर अंश
  3. निम्न भस्म संगलन तापमान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है।" विवेचना कीजिये। (2017)