सी-295 एयरक्राफ्ट डील | 09 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये:

आत्मनिर्भर भारत अभियान, मेक-इन-इंडिया पहल, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम  

मेन्स के लिये:

56 सी-295 मेगावाट ( 56 C-295 MW) क्षमता वाले मध्यम परिवहन विमान की खरीद का रक्षा क्षेत्र में महत्त्व 

चर्चा में क्यों?   

सुरक्षा मामलों संबंधी समिति (CCS) ने एयरोस्पेस क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया पहल के तहत भारतीय वायु सेना के लिये 56 सी-295 मेगावाट ( 56 C-295 MW) क्षमता वाले मध्यम परिवहन विमान की खरीद को मंज़ूरी दे दी है।

  • 56 सी-295 एमडब्ल्यू (C-295 MW) विमान को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एस.ए, स्पेन से खरीदा जाएगा।

C-295

प्रमुख बिंदु 

  • 56 सी-295 एमडब्ल्यू के बारे में:
    • क्षमता: 
      • 56 सी-295 एमडब्ल्यू समकालीन तकनीक के साथ 5-10 टन क्षमता का परिवहन विमान है।
    • विशेषताएँ
      • इसमें तेज़ी से प्रतिक्रिया और सैनिकों एवं कार्गो की पैरा ड्रॉपिंग के लिये एक रीयर रैंप (Rear Ramp Door) है।
      • इसे स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट (Electronic Warfare Suite) के साथ स्थापित किया जाएगा।
    • प्रतिस्थापन: 
      • यह भारतीय वायु सेना के एवरो-748 ( Avro-748) विमानों के पुराने बेड़े की जगह लेगा।
        • एवरो-748 विमान एक ब्रिटिश मूल के ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप (British-origin twin-engine turboprop), सैन्य परिवहन और 6 टन माल ढुलाई क्षमता वाले मालवाहक विमान हैं।
    • परियोजना क्रियान्वयन:
      • एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (Airbus Defence and Space) और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (Tata Advanced Systems Limited-TASL) एयरोस्पेस क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया पहल के तहत वायु सेना को नए परिवहन विमान से लैस करने की परियोजना को संयुक्त रूप से क्रियान्वित करेंगे।
        • एयरबस पहले 16 विमानों को उड़ान भरने की स्थिति में आपूर्ति करेगी, जबकि शेष 40 को TASL द्वारा भारत में असेंबल किया जाएगा।
  • सौदे का महत्त्व:
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी: यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें किसी निजी कंपनी द्वारा भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।
      • उम्मीद है कि भारत में निर्माण की प्रक्रिया के दौरान टाटा कंसोर्टियम के सभी आपूर्तिकर्त्ता जो विशेष प्रक्रियाओं में शामिल होंगे, वे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एयरोस्पेस और ‘रक्षा संविदा प्रत्यायन कार्यक्रम’ (NADCAP) की मान्यता प्राप्त करेंगे और इसे बनाए रखेंगे।
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा: यह भारतीय निजी क्षेत्र के लिये प्रौद्योगिकी गहन और अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
      • यह कार्यक्रम स्वदेशी क्षमताओं को मज़बूत करने और 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिये एक अनूठी पहल है।
    • एमएसएमई को बढ़ावा: यह परियोजना भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी जिसमें देश भर में फैले कई सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विमान के कुछ हिस्सों के निर्माण में शामिल होंगे।
    • आयात पर निर्भरता कम होगी: यह परियोजना घरेलू विमानन निर्माण को बढ़ावा देगी जिसके परिणामस्वरूप आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी।
      • भारत में बड़ी संख्या में पार्ट्स, उप संयोजक और एयरो स्ट्रक्चर के प्रमुख कंपोनेंट संयोजक इकाइयों का निर्माण किया जाना है।
    • रोज़गार सृजन: यह कार्यक्रम देश के एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र में रोज़गार सृजन के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।
      • इससे भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष तौर पर 600 अत्यधिक कुशल नौकरियाँ, 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियाँ और 42.5 लाख से अधिक श्रम-घंटों के सृजन की उम्मीद है।
    • अवसंरचना विकास: इसमें हैंगर, भवन, एप्रन और टैक्सीवे के रूप में विशेष बुनियादी अवसंरचना का विकास शामिल होगा।
      • डिलीवरी के पूरा होने से पूर्व भारत में ‘C-295 MW’ विमानों के लिये 'D' लेवल सर्विसिंग सुविधा (MRO) स्थापित करने की योजना है।
      • यह उम्मीद की जाती है कि यह सुविधा ‘C-295’ विमान के विभिन्न रूपों के लिये एक क्षेत्रीय MRO (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) हब के रूप में कार्य करेगी।
    • ऑफसेट दायित्व: ‘एयरबस’ भारतीय ऑफसेट भागीदारों से योग्य उत्पादों और सेवाओं की सीधी खरीद के माध्यम से अपने ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा।
      • सरल शब्दों में ‘ऑफसेट दायित्व’ का आशय भारत के घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के दायित्व से है, यदि भारत इससे रक्षा उपकरण खरीद रहा है।

नोट

  • नेशनल एयरोस्पेस एंड डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर प्रोग्राम (NADCAP) विशेष प्रक्रियाओं और उत्पादों के लिये लागत प्रभावी दृष्टिकोण का प्रबंधन करने तथा एयरोस्पेस एवं रक्षा उद्योगों के भीतर निरंतर सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया एक विश्वव्यापी सहकारी कार्यक्रम है।

स्रोत: पी.आई.बी.