त्रिपुरा के डारलोंग समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिये विधेयक | 30 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

लोकसभा, कुकी आदिवासी, अनुसूचित जनजाति, पद्मश्री, एनसीएसटी, डारलोंग, त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद, रियांग या ब्रूस, संथाल।

मेन्स के लिये:

भारत में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति और संबंधित संवैधानिक प्रावधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया।

  • विधेयक में डारलोंग समुदाय को कुकी आदिवासी समुदाय की उप-जनजाति के रूप में अनुसूचित जनजातियों (STs) की सूची में शामिल करने की मांग की गई थी।
  • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करके इस विधेयक को पारित किया गया है।
  • ज्ञात है की राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग पिछले चार वर्षों से निष्क्रिय है।

त्रिपुरा में डारलोंग समुदाय की स्थिति:

  • डारलोंग त्रिपुरा का एक आदिवासी समुदाय है, जिसकी आबादी 11,000 है।
  • समुदाय में शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का उच्च प्रसार है तथा समुदाय के सदस्य स्थानीय प्रशासन में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत हैं।
    • उदाहरण के लिये कुछ साल पहले आदिवासी संगीतज्ञ और रोज़म (एक आदिवासी वाद्य यंत्र) उस्ताद थंगा डारलोंग को संस्कृति में उनके योगदान हेतु प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

त्रिपुरा में जनजातीय आबादी:

  • त्रिपुरा में 20 आदिवासी समुदाय हैं, जो 18 जनवरी, 1982 को गठित त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council) में निवास करते हैं।
  • आदिवासी परिषद त्रिपुरा के कुल क्षेत्रफल के लगभग 70% हिस्से को कवर करती है और राज्य की कुल आबादी में से लगभग 30% आबादी यहाँ निवास करती है।
  • इनमें से अधिकांश वर्तमान समय में भी झूम कृषि या स्थानांतरित कृषि (Slash and Burn Cultivation) प्रणाली का अनुसरण करते हैं तथा जीविकोपार्जन के लिये पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
  • राज्य के आदिवासी समुदायों में त्रिपुरा/त्रिपुरी, रियांग, जमातिया, नोआतिया, उचाई, चकमा, मोग, लुशाई, कुकी, हलाम, मुंडा, कौर, ओरंग, संथाल, भील, भूटिया, चैमल, गारो, खसिया और लेप्चा शामिल हैं।
    • हलाम समुदाय में कई छोटे आदिवासी कबीले हैं। इनमें से कई भाषायी रूप से लुप्तप्राय समूह हैं, जैसे- बोंगखर, कार्बोंग आदि।

जनजातीय आबादी के कल्याण हेतु हाल ही में उठाए गए कदम:

  • हाल ही में सरकार ने आकांक्षी ज़िलों के लिये ब्रॉडबैंड और 4जी कनेक्टिविटी विकसित करने की योजना प्रस्तुत की है।
    • इसके लिये वित्त अनुसूचित जनजाति घटक के तहत आवंटित किया जाएगा।
  • आदिवासियों के स्वास्थ्य देखभाल संबंधी मुद्दे पर इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिये हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को धन आवंटित किया गया था।

भारत में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति:

  • परिचय:
    • वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों को ‘बहिर्वेशित’ और ‘आंशिक रूप से बहिर्वेशित’ क्षेत्रों में ‘पिछड़ी जनजातियों’ के रूप में माना गया। वर्ष 1935 के भारत सरकार अधिनियम के तहत पहली बार ‘पिछड़ी जनजातियों’ के प्रतिनिधियों को प्रांतीय विधानसभाओं में आमंत्रित किया गया।
    • संविधान अनुसूचित जनजातियों की मान्यता के मानदंडों को परिभाषित नहीं करता है और इसलिये वर्ष 1931 की जनगणना में निहित परिभाषा का उपयोग स्वतंत्रता के बाद के आरंभिक वर्षों में किया गया था।
    • हालाँकि संविधान का अनुच्छेद 366(25) अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने के लिये प्रक्रिया निर्धारित करता है: “अनुसूचित जनजातियों का अर्थ उन ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के अंदर कुछ वर्गों या समूहों से है, जिन्हें इस संविधान के उद्देश्यों के लिये अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।”
      • 342(1): राष्ट्रपति किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में राज्यपाल के परामर्श के बाद एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में जनजातियों या जनजातीय समुदायों या जनजातियों या जनजातीय समुदायों के समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट कर सकता है। 
    • अब तक लगभग 705 से अधिक जनजातियाँ ऐसी हैं जिन्हें अधिसूचित किया गया है। सबसे अधिक संख्या में आदिवासी समुदाय ओडिशा में पाए जाते हैं।
    • पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण हेतु प्रावधान करती है।
    • संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
  • कानूनी प्रावधान:

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची में किससे संबंधित प्रावधान हैं? (2015)

(a) अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा।
(b) राज्यों के बीच सीमाओं का निर्धारण।
(c) पंचायतों की शक्तियों, अधिकार और ज़िम्मेदारियों का निर्धारण।
(d) सभी सीमावर्ती राज्यों के हितों की रक्षा।

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत के 'चांगपा' समुदाय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014) 

  1. वे मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य में रहते हैं।
  2. वे चांगथांगी (पश्मीना) बकरियों को पालते हैं, जो अच्छी ऊन प्रदान करती हैं।
  3. उन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखा गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

  • चांगपा अर्द्ध-खानाबदोश समुदाय हैं जो चांगथांग (यह लद्दाख और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में फैला हुआ है) या लद्दाख के अन्य क्षेत्रों में निवास करते हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • वे चांगथांगी (पश्मीना) बकरियों को पालते हैं और बेहतरीन गुणवत्ता के प्रामाणिक कश्मीरी ऊन के कुछ आपूर्तिकर्त्ताओं में से हैं। अत: कथन 2 सही है।
  • वर्ष 2001 तक चांगपा को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अत: कथन 3 सही है।

स्रोत: द हिंदू