शुष्कता विसंगति आउटलुक सूचकांक: आईएमडी | 02 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

आईएमडी, सूखा, खरीफ मौसम।

मेन्स के लिये:

शुष्कता विसंगति आउटलुक सूचकांक और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जुलाई महीने का 'शुष्कता विसंगति आउटलुक सूचकांक' (Aridity Anomaly Outlook Index) जारी किया है। सूचकांक के अनुसार, जुलाई माह में पूरे भारत में कम से कम 85% ज़िले शुष्क परिस्थितियों से प्रभावित रहे।

शुष्कता विसंगति आउटलुक सूचकांक:

  • परिचय:
    • सूचकांक कृषि सूखे, एक ऐसी स्थिति जब परिपक्वता तक स्वस्थ फसल विकास का समर्थन करने के लिये वर्षा और मिट्टी की नमी अपर्याप्त होती है की निगरानी करता है, जिसके कारण फसल के लिये प्रतिकूल स्थितियाँ होती हैं।
    • सामान्य रूप से एक विसंगति इन ज़िलों में पानी की कमी को दर्शाती है जो सीधे कृषि गतिविधि को प्रभावित कर सकती है।
    • इसे भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा विकसित किया गया है।
  • विशेषताएँ:
    • वास्तविक समय सूखा सूचकांक में जल संतुलन पर विचार किया जाता है।
    • शुष्कता सूचकांक (AI) की गणना साप्ताहिक या पाक्षिक अवधि के लिये की जाती है।
    • प्रत्येक अवधि के लिये, उस अवधि हेतु वास्तविक शुष्कता की तुलना उस अवधि के सामान्य शुष्कता से की जाती है।
    • नकारात्मक मान नमी के अधिशेष को इंगित करता है जबकि सकारात्मक मान नमी की कमी को इंगित करता है।
  • निर्धारक:
    • वास्तविक वाष्पीकरण और परिकलित संभावित वाष्पीकरण के लिये तापमान, हवा और सौर विकिरण की आवश्यकता होती है।
      • वास्तविक वाष्पीकरण जल की वह मात्रा है जिसकी वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रियाओं के कारण सतह से हानि होती है।
      • वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन के कारण किसी दिये गए फसल के लिये संभावित वाष्पोत्सर्जन अधिकतम प्राप्य या प्राप्त करने योग्य वाष्पोत्सर्जन है।
  • अनुप्रयोग:
    • कृषि में सूखे के प्रभाव वाले क्षेत्र जो विशेष रूप से उष्ण कटिबंध के परिभाषित आर्द्र और शुष्क मौसम जलवायु व्यवस्था का हिस्सा हैं।
    • इस पद्धति का उपयोग करके सर्दी और गर्मी दोनों फसल मौसमों का आकलन किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

  • 756 में से केवल 63 ज़िले गैर-शुष्क हैं, जबकि 660 अलग-अलग डिग्री जैसे- हल्का, मध्यम और गंभीर की शुष्कता का सामना कर रहे हैं।
  • कुछ 196 ज़िले सूखे की 'गंभीर' डिग्री की चपेट में हैं और इनमें से 65 उत्तर प्रदेश (उच्चतम) में हैं।
    • बिहार में शुष्क परिस्थितियों का सामना करने वाले ज़िलों (33) की संख्या दूसरे स्थान पर थी। राज्य में 45% की उच्च वर्षा की कमी भी है।
  • 'गंभीर शुष्क' परिस्थितियों का सामना कर रहे अन्य ज़िलों में झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के ज़िले शामिल हैं।
  • DEWS प्लेटफॉर्म पर SPI पिछले छह महीनों में इन क्षेत्रों में लगातार वर्षा की कमी को भी उजागर करता है।
  • शुष्क परिस्थितियों ने चल रही खरीफ बुवाई को प्रभावित किया है, क्योंकि जुलाई, 2022 तक विभिन्न खरीफ फसलों के तहत बोया गया क्षेत्र वर्ष 2021 में इसी अवधि की तुलना में 13.26 मिलियन हेक्टेयर कम था।

मानकीकृत वर्षा सूचकांक (SPI):

  • SPI व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला सूचकांक है जो समय-समय पर मौसम संबंधी सूखे की विशेषता बताता है।
  • अल्प समय में, SPI मिट्टी की नमी से निकटता से संबंधित है, जबकि लंबे समय तक, SPI भूजल और जलाशय भंडारण से संबंधित होता है।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर (IIT-G) द्वारा प्रबंधित एक वास्तविक समय सूखा निगरानी प्लेटफॉर्म, सूखा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (DEWS) पर SPI पिछले छह महीनों में इन क्षेत्रों में लगातार वर्षा की कमी को संदर्भित करता है।
  • उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व के कुछ हिस्से अत्यधिक सूखे की स्थिति में हैं और इससे इन क्षेत्रों की कृषि प्रभावित हो सकती है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD):

  • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
  • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
  • यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये गठित एक प्रमुख एजेंसी है।

सिविल सर्विस परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रारंभिक परीक्षा:

प्र. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)

कार्यक्रम/परियोजना मंत्रालय
1. सूखा-प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम कृषि मंत्रालय
2. मरुस्थल विकास कार्यक्रम पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
3. वर्षापूरित क्षेत्रों हेतु राष्ट्रीय जल संभरण विकास परियोजना ग्रामीण विकास मंत्रालय

उपर्युक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?

(A) केवल 1 और 2

(B) केवल 3

(C) 1, 2 और 3

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर:D

व्याख्या:

  • सूखा-प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम का उद्देश्य फसलों और पशुओं के उत्पादन तथा भूमि, जल एवं मानव संसाधनों की उत्पादकता पर सूखे के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना है, जिससे अंततः प्रभावित क्षेत्रों में सूखे से बचाव होता है। यह भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 1 सुमेलित नहीं है।
  • मरुस्थल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य सूखे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना और चिह्नित मरुस्थलीय क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधन आधार के कायाकल्प के माध्यम से मरुस्थलीकरण को नियंत्रित करना है। यह भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिये राष्ट्रीय वाटरशेड विकास कार्यक्रम (NWDPRA) प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, विकास एवं सतत् प्रबंधन, कृषि उत्पादकता तथा उत्पादन को एक स्थायी तरीके से बढ़ाने के लिये एक कार्यक्रम है। यह कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय) के अंतर्गत आता है। अत: युग्म 3 सुमेलित नहीं है।
  • अतः विकल्प (d) सही है।

मेन्स:

Q. सूक्ष्म जलसंभर विकास परियोजनाएँ भारत के सूखाग्रस्त और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल संरक्षण में किस प्रकार मदद करती हैं? (2016)

स्रोत: डाउन टू अर्थ