21वाँ वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2025 | 09 Sep 2025
प्रिलिम्स के लिये: अमेरिकी व्यापार टैरिफ, आयातित मुद्रास्फीति, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, एकीकृत भुगतान इंटरफेस, हरित हाइड्रोजन।
मेन्स के लिये: भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष प्रमुख अवसर एवं चुनौतियाँ, भारतीय अर्थव्यवस्था की अनुकूलन क्षमता बढ़ाने के उपाय।
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने 21वें वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए भारत के मज़बूत आर्थिक प्रदर्शन और वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया।
21वें वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रभावशाली आर्थिक विकास: भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 7.8% बढ़ी, जो वर्ष 2020 के बाद सबसे अधिक है।
- निजी निवेश में 66% की वृद्धि हुई, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 14% बढ़ा, और मुद्रास्फीति (CPI) कई वर्षों में सबसे कम रहा।
- विनिर्माण और मेक इन इंडिया: विनिर्माण PMI ने 17.5 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया, जिससे उत्पादन में मज़बूत वृद्धि देखी गई
- सरकार माँग को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचे का उपयोग विकास के प्रेरक के रूप में कर रही है। आयात में कटौती और स्थानीय उद्योगों के निर्माण के लिये भारत में ड्रोन, सेमीकंडक्टर और CRGO स्टील बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- व्यापार करने में आसानी और सुधार: GST 2.0 ने कराधान को सरल बनाया है और इससे मांग बढ़ने की संभावना है।
- इसके साथ ही, कम कॉरपोरेट और व्यक्तिगत कर तथा भारतीय रिज़र्व बैंक की आसान मौद्रिक नीति ने व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जबकि मुद्रास्फीति केवल 1.5% पर है।
- बैंकिंग और वित्तीय विश्वास: बैंकिंग क्षेत्र वर्षों में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर है, जिससे जमाकर्त्ताओं और उधारकर्त्ताओं में आत्मविश्वास बढ़ा है।
- साथ ही, हर महीने लाखों नए डीमैट खाते खोले जा रहे हैं, जो शेयर बाज़ार में बढ़ती भागीदारी और अधिक घरेलू निवेश को दर्शाता है।
- व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता: भारत ने मॉरीशस, यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते किये हैं तथा ईएफटीए ब्लॉक, यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन (UK) के साथ वार्ता कर रहा है।
- संधारणीयता: सरकार नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा-कुशल उत्पादों जैसे एलईडी बल्ब और 5-स्टार उपकरणों को बढ़ावा दे रही है।
- यह शून्य दोष, शून्य प्रभाव (ZED) विनिर्माण पर भी ज़ोर दे रहा है, जिसका अर्थ है उच्च गुणवत्ता वाली पर्यावरण के अनुकूल वस्तु का निर्माण करना।
भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं तथा इसके अनुकूल उपाय सुझाइए?
प्रमुख चुनौतियाँ |
अनुकूल उपाय |
वैश्विक संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक संघर्ष भारत के व्यापार पर दबाव डाल रहे हैं। |
बहु-संरेखित व्यापार रणनीतियाँ विकसित करना, तेल पर निर्भरता कम करना, ऊर्जा साझेदारों में विविधता लाना और नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण को तेज़ करना। |
मूल्यवान धातुओं, तेल और वसा की बढ़ती कीमतों के कारण आयातित मुद्रास्फीति जून 2024 के 1.3% से बढ़कर फरवरी 2025 में 31.1% हो गई। |
वित्तीय मानदंडों को मजबूत करना, घरेलू पूंजी बाज़ारों को मज़बूत करना, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना तथा मुद्रा संप्रभुता का प्रबंधन करना। |
लाल सागर और हिंद-प्रशांत में संघर्षों के साथ-साथ संरक्षणवादी व्यापार नीतियों ने परिवहन लागत बढ़ा दी है और आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित किया है। |
जलवायु-स्मार्ट कृषि, सहनशील बीजों, कोल्ड चेन में निवेश करना और मूल्य स्थिरता व ग्रामीण आय सुनिश्चित करने के लिये पारदर्शी खाद्य भंडार बनाए रखना। |
भारत-यूरोपीय संघ एफटीए और भारत-कनाडा व्यापार वार्ता डेटा सुरक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), और टैरिफ पर विवादों के कारण रुकी हुई हैं, जिससे भारत के व्यापार विविधीकरण पर असर पड़ रहा है। |
प्रौद्योगिकी (AI, 5G) में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर ध्यान दें, डिजिटल अवसंरचना का निर्माण करें, तथा कौशल विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करें। |
निष्कर्ष:
भारत की अर्थव्यवस्था अपनी बुनियादी मजबूती और सुधारों के कारण सशक्त बनी हुई है, फिर भी यह वैश्विक झटकों, व्यापार विवादों और आपूर्ति शृंखला संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशील है। विविधीकृत व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता और मानव पूंजी के माध्यम से लचीलापन बनाना अत्यंत आवश्यक है। घरेलू मांग-आधारित विकास और वैश्विक नेतृत्व के संतुलित मार्ग पर चलते हुए भारत "विकसित भारत 2047" के अपने दृष्टिकोण को साकार कर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती को उजागर करने वाली प्रमुख उपलब्धियों और वैश्विक अनिश्चितताओं के समक्ष इसकी लचीलापन सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक संरचनात्मक उपायों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)
(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत् उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन
उत्तर: (b)
प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018)
(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ता है।
उत्तर: (c)
प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत के कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि: (2019)
(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत- स्तर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणवत्ता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न 1. "सुधार के बाद की अवधि में औद्योगिक विकास दर सकल-घरेलू-उत्पाद (जीडीपी) की समग्र वृद्धि से पीछे रह गई है" कारण बताइये। औद्योगिक नीति में हालिया बदलाव औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017)
प्रश्न 2. आमतौर पर देश कृषि से उद्योग और फिर बाद में सेवाओं की ओर स्थानांतरित हो जाते हैं, लेकिन भारत सीधे कृषि से सेवाओं की ओर स्थानांतरित हो गया। देश में उद्योग की तुलना में सेवाओं की भारी वृद्धि के क्या कारण हैं? क्या मज़बूत औद्योगिक आधार के बिना भारत एक विकसित देश बन सकता है? (2014)
प्रश्न 3. भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष वे कौन-सी चुनौतियाँ हैं जब विश्व स्वतंत्र व्यापार तथा बहुपक्षीयता से दूर होकर संरक्षणवाद तथा द्विपक्षीयता की ओर बढ़ रहा है। इन चुनौतियों का सामना किस तरह किया जा सकता है? (2025)