समग्र शिक्षा योजना 2.0 | 06 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये

समग्र शिक्षा योजना 2.0, सर्व शिक्षा अभियान

मेन्स के लिये 

समग्र शिक्षा योजना 2.0 के प्रमुख तत्त्व और विशेषताएँ

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वित्तीय वर्ष 2025-26 तक के लिये स्कूली शिक्षा कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा योजना 2.0’ को मंज़ूरी दे दी है।

  • इसे शिक्षा हेतु सतत् विकास लक्ष्य और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ संरेखित करने के लिये अपग्रेड किया गया है।

प्रमुख बिंदु

समग्र शिक्षा योजना के विषय में:

  • यह स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • इसका उद्देश्य समावेशी, न्यायसंगत और सुगम स्कूली शिक्षा प्रदान करना है।
  • यह सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA), ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ (RMSA) और ‘शिक्षक शिक्षा’ (TE) की तीन योजनाओं को समाहित करती है।
  • इस योजना में 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों के 5.7 मिलियन शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।
  • इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। इसमें केंद्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण में 60:40 का विभाजन शामिल है। इसे वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।

समग्र शिक्षा योजना 2.0 के बारे में:

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):
    • योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने के लिये सभी बाल-केंद्रित हस्तक्षेप छात्रों को सीधे सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित प्लेटफॉर्म पर DBT मोड के माध्यम से समय-समय पर शिक्षा का अधिकार पात्रताके तहत पाठ्यपुस्तक, ड्रेस  और परिवहन भत्ते प्रदान किये जाएंगे।
  • NEP की सिफारिशें:
    • भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन:
      • इसमें भाषा शिक्षकों की नियुक्ति के लिये एक नया घटक है, जिसमें वेतन और प्रशिक्षण लागत के साथ-साथ द्विभाषी किताबें तथा शिक्षण सामग्री शामिल है, जैसा कि NEP में अनुशंसित किया गया है।
    • पूर्व प्राथमिक शिक्षा:
      • इसमें अब शिक्षण और अधिगम सामग्री, स्वदेशी खिलौने और खेल तथा खेल-आधारित गतिविधियों के लिये सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों को समर्थन देने के लिये वित्त प्रदान करना शामिल होगा।
      • योजना के तहत पूर्व-प्राथमिक शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये कुशल प्रशिक्षकों का समर्थन किया जाएगा।
    • निपुण भारत पहल:
      • इस पहल के तहत शिक्षण सामग्री के लिये प्रति छात्र 500 रुपए, मैनुअल और संसाधनों के लिये प्रति शिक्षक 150 रुपए और आधारभूत साक्षरता तथा अंकगणित के आकलन के लिये प्रति ज़िले 10-20 लाख रुपये का वार्षिक प्रावधान है।
    • डिजिटल पहल:
      • डिजिटल बोर्ड, वर्चुअल क्लासरूम और डीटीएच चैनलों के लिये समर्थन सहित आईसीटी लैब तथा स्मार्ट क्लासरूम का प्रावधान है, जो कोविड -19 महामारी के मद्देनजर अधिक महत्त्वपूर्ण हो गये हैं।
    • स्कूल न जाने वाले बच्चों हेतु:
      • इसमें 16 से 19 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये 2000 प्रति ग्रेड के वित्तपोषण का समर्थन देने का प्रावधान शामिल है।
      • स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों दोनों के लिये कौशल तथा  व्यावसायिक शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जाएगा।
  • अन्य विशेषताएँ:
    • बाल अधिकार संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को राज्य में प्रति प्राथमिक विद्यालय 50 रुपए की दर से वित्तीय सहायता।
    • समग्र, 360-डिग्री, संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरणा डोमेन में प्रत्येक शिक्षार्थी की प्रगति/विशिष्टता दिखाने वाली बहु-आयामी रिपोर्ट को समग्र प्रगति कार्ड (HPC) के रूप में पेश किया जाएगा।
    • PARAKH, राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र की गतिविधियों के लिये समर्थन (प्रदर्शन, आकलन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण)।
    • राष्ट्रीय स्तर पर खेलो इंडिया स्कूल खेलों में उस स्कूल के कम से कम 2 छात्रों के पदक जीतने पर स्कूलों को 25000 रुपए तक का अतिरिक्त खेल अनुदान।
    • बैगलेस दिनों (Bagless days), स्कूल परिसरों, स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सुधार आदि के प्रावधान।
    • प्रति वर्ष 20% स्कूलों को कवर करने वाले सामाजिक लेखा परीक्षा के लिये समर्थन ताकि सभी स्कूलों को पाँच वर्ष की अवधि में कवर किया जा सके।

स्रोत : पी.आई.बी