NEFT और RTGS भुगतान प्रणाली संचालकों के लिये प्रत्यक्ष सदस्यता | 19 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चरणबद्ध तरीके से भुगतान प्रणाली संचालकों को RTGS और NEFT में प्रत्यक्ष सदस्यता लेने की अनुमति दी है।

केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली:

  • वे केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) प्रणाली और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT) प्रणाली तथा किसी भी अन्य प्रणाली के रूप में शामिल होंगे जिसमें समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।
    • RTGS: यह लाभार्थियों के खाते में वास्तविक समय पर धनराशि हस्तांतरण की सुविधा को सक्षम बनाता है और इसका प्रयोग मुख्य तौर पर बड़े लेन-देनों के लिये किया जाता है।
      • यहाँ ‘रियल टाइम’ अथवा वास्तविक समय का अभिप्राय निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उनके प्रसंस्करण (Processing) से है, जबकि ‘ग्रॉस सेटलमेंट’ या सकल निपटान का तात्पर्य है कि धन हस्तांतरण निर्देशों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। 
    • NEFT: एक देशव्यापी भुगतान प्रणाली है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है। इस प्रणाली के तहत कोई व्यक्ति, फर्म और कंपनी दूसरी बैंक शाखा में खाता रखने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति, फर्म या कंपनी के बैंक खाते में तथा देश में स्थित किसी अन्य बैंक शाखा में इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन हस्तांतरित कर सकता है।
      • इसका उपयोग आमतौर पर 2 लाख रुपए तक के फंड ट्रांसफर के लिये किया जाता है। 
  • विकेंद्रीकरण भुगतान प्रणाली में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समाशोधन व्यवस्था [चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) सेंटर] के साथ-साथ अन्य बैंकों [एक्सप्रेस चेक क्लियरिंग सिस्टम (ECCS) केंद्रों की जाँच] और किसी भी अन्य प्रणाली के रूप शामिल होंगे जिसमें समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

भुगतान प्रणाली संचालकों  के लिये NEFT और RTGS की प्रत्यक्ष सदस्यता:

  • परिचय :
    • यह वित्तीय प्रणाली में निपटान जोखिम को कम करने और सभी उपयोगकर्त्ताओं तक डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुँच बढ़ाने का प्रयास करेगा।
    • हालाँकि ये इकाइयाँ इन केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों (CPSP) में अपने लेन-देन के निपटान की सुविधा के लिये RBI से किसी भी तरलता सुविधा हेतु  पात्र नहीं होंगी ।
    • गैर-बैंकों के लिये इसकी कुल सीमा 2 लाख रुपए है।
  • CPS के सदस्य बनने वाले गैर-बैंक निकाय:

नकद निकासी की सुविधा:

  • RBI ने गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्त्ताओं के पूर्ण केवाईसी वाले पीपीआई के लिये भी एक सीमा के अधीन नकद निकासी की सुविधा की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है।
  • वर्तमान में बैंकों द्वारा जारी केवल पूर्ण केवाईसी वाले पीपीआई के लिये नकदी निकासी की अनुमति है और यह सुविधा एटीएम तथा प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) टर्मिनल के माध्यम से उपलब्ध है।
  •  इस तरह के पीपीआई धारकों जिनको यह सुविधा दी गई है कि वे आवश्यकतानुसार नकदी आहरित कर सकते हैं, उनको नकदी रखने के लिये  कम प्रोत्साहित किया जाता है जिसके फलस्वरूप उनके द्वारा डिजिटल लेन-देन की संभावना अधिक है

लाभ

  • डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी
    • बीते 4-5 वर्षों में जब से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को ‘थर्ड पार्टी एग्रीगेटर्स’ के लिये खोला गया है, तब से इसके उपयोग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखने की मिली है, इसी तरह से गैर-बैंकों को भुगतान प्रणाली में प्रवेश की अनुमति देने से डिजिटल पेमेंट और लेन-देन में महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिल सकती है।
    • यह गैर-बैंकों को पूर्ण KYC (‘नो योर कस्टमर’) अनुपालन और इंटरऑपरेबिलिटी/अंतर-संचालनीयता में सक्षम बनाएगा।
  • लेन-देन का बेहतर रिकॉर्ड
    • यह बैंकिंग प्रणाली के बाहर मौजूद चैनलों पर डिजिटल लेन-देन करने वाले सभी व्यक्तियों का एक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करेगा, जो समग्र वित्तीय प्रणाली के लिये मददगार होगा।
  • बाज़ार आकार में वृद्धि
    • PPI वॉलेट की इंटरऑपरेबिलिटी/अंतर-संचालनीयता बाज़ार के आकार का विस्तार करेगी, जो कि अंतिम उपभोक्ताओं के लिये फायदेमंद होगा।
  • वित्तीय समावेशन
    • यह PPI जारी करने वालों के लिये नए अवसर उत्पन्न करेगा क्योंकि वे वॉलेट उपयोगकर्त्ताओं को RTGS और NEFT सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम होंगे। समग्र तौर पर इससे देश में वित्तीय समावेशन और मज़बूत होगा।

चिंताएँ

  • गैर-पारंपरिक बैंकों के माध्यम से फंड ट्रांसफर और नकद निकासी की शुरुआत निश्चित रूप से एक बदलते बैंकिंग परिदृश्य का संकेत है। हालाँकि इसके परिणामस्वरूप पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।
  • रिज़र्व बैंक की मानें तो भारत फिनटेक अपनाने की 87 प्रतिशत दर के साथ एशिया में शीर्ष फिनटेक हब बनने की राह पर है। ज्ञात हो कि वैश्विक स्तर पर फिनटेक अपनाने की औसत दर लगभग 64 प्रतिशत है।
    • फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) का आशय उपभोक्ताओं के अनुभव और सेवा वितरण में सुधार करने हेतु वित्तीय सेवा कंपनियों द्वारा प्रौद्योगिकी के एकीकरण से है।
  • वर्ष 2019 में भारत में फिनटेक का बाज़ार मूल्य लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपए था और अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2025 तक यह डिजिटल भुगतान, डिजिटल ऋण, पीयर-टू-पीयर ऋण, क्राउड फंडिंग, ब्लॉक चेन, बिग डेटा और सुपरटेक जैसे विविध क्षेत्रों में 6.2 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगा।

आगे की राह

  • एक ऐसे परिवेश में जहाँ फिनटेक कंपनियाँ डिजिटल लेन-देन की मात्रा के मामले में अग्रणी हैं और बैंकिंग तथा वित्त उद्योग में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, यह आवश्यक है कि वाणिज्यिक और पारंपरिक बैंक स्वयं को तकनीकी परिवर्तनों के अनुकूल बनाएँ और इन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करें, ताकि भविष्य में वे व्यापार के लिये फिनटेक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के बजाय एक समावेशी और मज़बूत वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकें। 

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस