समेकित बाल विकास योजना | 16 Apr 2022

प्रीलिम्स के लिये:

प्रवासी मज़दूर, आंँगनवाड़ी सेवा योजना, केंद्र प्रायोजित योजना।

मेन्स के लिये:

समेकित बाल विकास योजना का महत्त्व, प्रवासी श्रमिकों और बच्चों से संबंधित योजनाएंँ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा समेकित बाल विकास सेवाओं (Integrated Child Development Services- ICDS) की निरंतरता बनाए रखने हेतु पोषण आपूर्ति, टीकाकरण और स्वास्थ्य जांँच आदि की निरंतरता के साथ प्रवासी श्रमिकों/मज़दूरों की आवाजाही को चित्रित करने के उद्देश्य से एक माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम (Migration Tracking System- MTS) एप्लीकेशन विकसित किया है।

  • MTS एक वेबसाइट आधारित एप्लीकेशन है जो व्यक्तिगत विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से मौसमी प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही को ट्रैक करता है।
  • आंँगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 18 वर्ष तक के बच्चे, स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं सहित प्रवासी लाभार्थियों को उनके मूल स्थानों पर लौटने तक राज्य के भीतर या बाहर उनके गंतव्य ज़िलों में उनके परिवारों के लिये आईसीडीएस की पहुँच को सुनिश्चित करने हेतु ट्रैक किया जाएगा।

समेकित बाल विकास योजना (ICDS):

  • ICDS के बारे में:
    • आईसीडीएस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे वर्ष 1975 में लॉन्च किया गया था।

ICDS

ICDS के तहत योजनाएँ:

  • आंँगनवाड़ी सेवा योजना: 
    • यह बचपन की देखभाल और विकास के लिये एक अनूठा कार्यक्रम है।
    • इस योजना के लाभार्थी 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ हैं।
    • यह छह सेवाओं का एक पैकेज प्रदान करता है जिसमें पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांँच तथा  रेफरल सेवाएंँ शामिल हैं।
    • पूरक पोषण में टेक होम राशन ( Take Home Ration- THR), गर्म पका हुआ भोजन और सुबह का नाश्ता शामिल है। निर्धन परिवारों के लिये इसका विशेष महत्त्व है क्योंकि यह बच्चों के पोषण संबंधी परिणाम को प्रभावित करता है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना:
    • PMMVY के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 5,000 रुपए दिये जाते हैं और शेष 1000 रुपए की राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ की शर्तों के अनुरूप संस्थागत प्रसूति करवाने के बाद दी जाती है। इस प्रकार औसतन एक महिला को 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं।
  • राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना:
    • इसके तहत कामकाजी महिलाओं के बच्चों (6 माह से 6 वर्ष की आयु वर्ग) को दिन भर देखभाल की सुविधा प्रदान करना है। 
    • शिशुगृह एक महीने में 26 दिन एवं प्रतिदिन साढ़े सात घंटे के लिये खुला रहता है।
    • इसमें बच्चों को पूरक पोषण, प्रारंभिक चाइल्ड कैयर शिक्षा, स्वास्थ्य और सोने की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • किशोरियों के लिये योजना:
    • इसका उद्देश्य 11-14 वर्ष आयु वर्ग में स्कूल के अतिरिक्त किशोरियों को पोषण, जीवन कौशल एवं घरेलू कौशल प्रदान कर उनकी सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाना और सुधारना है। 
    • इस योजना में पोषक और गैर-पोषक तत्त्व शामिल हैं जो इस प्रकार हैं; लौह तथा फोलिक एसिड पूरकता; स्वास्थ्य जाँच एवं रेफरल सेवा;  स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वच्‍छता, पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, स्‍कूल के अलावा अन्य बाह्य किशारियों को औपचारिक/अनौपचारिक शिक्षा में शा‍मिल करना तथा विद्यमान सरकारी सेवाओं के बारे में सूचना/मार्गदर्शन प्रदान करना है।  
  • बाल संरक्षण योजना:
    • इसका उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में बच्चों के सुधार और कल्याण हेतु योगदान देना है, साथ ही बच्चों के दुरुपयोग, उपेक्षा, शोषण, परित्याग तथा परिवार आदि से अलगाव का मार्ग प्रशस्त करने वाली कार्यवाहियों को रोकना।
  • पोषण अभियान:
    • इसका उद्देश्य छोटे बच्चों में कुपोषण/अल्पपोषण, एनीमिया को कम करके, किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर ध्यान केंद्रित करके स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया की रोकथाम के साथ जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों के स्तर में सुधार करना है।

ICDS का उद्देश्य:

  • 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना।
  • बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना।
  • मृत्यु दर, रुग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की घटनाओं को कम करना।
  • बाल विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन का प्रभावी समन्वय स्थापित करना।
  • माता में उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल करने की क्षमता बढ़ाना। 
  • किशोर लड़कियों (AGs) को सुविधा प्रदान करना,  उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाना ताकि वे आत्मनिर्भर एवं जागरूक नागरिक बन सकें।

अन्य समान सरकारी योजनाएँ: 

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM):
    • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (NHM) को वर्ष 2013 में शुरू किया गया था, जिसके उप-मिशन के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन को सम्मिलित किया गया था। 
    • इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • कार्यक्रम के मुख्य घटकों में प्रजनन-मातृ-नवजात-बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) और संचारी व गैर-संचारी रोगों के लिये ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना शामिल है।
  • मध्याह्न भोजन योजना:
    • मध्याह्न भोजन योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो वर्ष 1995 में शुरू की गई थी।
    • इस कार्यक्रम के तहत विद्यालय में नामांकित I से VIII तक की कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छह से चौदह वर्ष की आयु के हर बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
    • यह शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अंतर्गत आता है।
  • राष्ट्रीय पोषण रणनीति:
    • रणनीति का उद्देश्य सबसे कमज़ोर और महत्त्वपूर्ण आयु समूहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को कम करना है।
    • इसका उद्देश्य पोषण और स्वास्थ्य से संबंधित सतत् विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में पहचाने गए लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करना भी है।
    • इसे नीति आयोग ने जारी किया है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित मे से कौन-से मूलतः ‘समावेशी शासन’ के अंग कहे जा सकते हैं? (2012)

  1. गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों को बैकिंग सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति देना
  2. सभी ज़िलों में प्रभावी ज़िला योजना समितियाँ संगठित करना
  3. जन-स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय में बढ़ोतरी करना
  4. मध्याह्न भोजन योजना का सशक्तीकरण करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

  • शासन एक निर्णय लेने की प्रक्रिया है जिसमें अधिक लोगों और हितधारकों को शामिल किया जाता है। समावेशी शासन, नागरिकों की भागीदारी के माध्यम से समग्र स्वीकृति का पक्षधर है जो नीतियों के कार्यान्वयन को आसान बनाता है।
  • ज़िला योजना समिति की स्थापना से अपने क्षेत्र की विकास योजना में लोगों की भागीदारी बढ़ेगी। साथ ही इससे समावेशी शासन सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। अत: 2 सही है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने से देश की मानव पूंजी में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप समावेशी विकास होगा। अत: 3 सही है।
  • मध्याह्न भोजन योजना के सुदृढ़ होने से नामांकन अनुपात के साथ-साथ बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि होगी, जिससे बच्चों का समग्र विकास होगा। अत: 4 सही है।
  • एनबीएफसी को बैंकिंग की अनुमति देने का समावेशी शासन से कोई सीधा संबंध नहीं है। अतः 1 सही नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस