राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण | 28 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

इंडेक्स के बारे में, राज्यों की रैंकिंग।

मेन्स के लिये:

भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियाँ और इससे निपटने के लिये चलाई जा रही प्रमुख पहल

चर्चा में क्यों?

 वर्ष 2019-20 के लिये नीति आयोग ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण जारी किया है।

  • "स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत" शीर्षक वाली रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्वास्थ्य परिणामों में साल-दर-साल वृद्धिशील प्रदर्शन के साथ-साथ उनकी समग्र स्थिति के आधार पर रैंक प्रदान करती है।
  • इससे पहले ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी (GHS) इंडेक्स 2021 को न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) और जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर की साझेदारी में विकसित किया गया था। भारत का स्कोर 42.8 (100 में से) है और वर्ष 2019 की तुलना में इसमें 0.8 अंकों की गिरावट हुई है।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिये एक वार्षिक उपकरण है, जिसे वर्ष 2017 में संकलित और प्रकाशित किया गया है।
    • यह 'स्वास्थ्य परिणामों', 'शासन और सूचना' तथा 'प्रमुख इनपुट/प्रक्रियाओं' के डोमेन के तहत समूहीकृत 24 संकेतकों पर आधारित एक भारित समग्र सूचकांक है।
      • स्वास्थ्य परिणाम:
        • इसमें नवजात मृत्यु दर, अंडर-5 मृत्यु दर, जन्म के समय लिंगानुपात जैसे पैरामीटर शामिल हैं।
      • शासन और सूचना:
        • इसमें स्वास्थ्य से सम्बंधित वरिष्ठ अधिकारियों की संस्थागत प्रसव और औसत ऑक्यूपेंसी जैसे पैरामीटर शामिल हैं।
      • मुख्य इनपुट/प्रक्रियाएँ:
        • इसमें स्वास्थ्य देखभाल में कमी का अनुपात, कार्यात्मक चिकित्सा सुविधाएँ, जन्म और मृत्यु पंजीकरण तथा तपेदिक उपचार आदि शामिल हैं।
  • विकास:
    • इस रिपोर्ट को नीति आयोग द्वारा विश्व बैंक की तकनीकी सहायता और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के गहन परामर्श से विकसित किया गया है।
  • चौथे संस्करण का फोकस/केंद्रीय बिंदु:
    • रिपोर्ट का चौथा दौर वर्ष 2018-19 से वर्ष 2019-20 की अवधि में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन और वृद्धिशील सुधार को मापने और उजागर करने पर केंद्रित है।.
  • राज्यों की रैंकिंग:
    • समान संस्थाओं के मध्य तुलना सुनिश्चित करने हेतु रैंकिंग को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
      • बड़े राज्य: 
        • बड़े राज्यों' की श्रेणी के तहत ‘वार्षिक क्रमिक प्रदर्शन’ (Annual Incremental Progress) के मामले में उत्तर प्रदेश, असम और तेलंगाना शीर्ष रैंकिंग वाले तीन राज्य हैं।
      • छोटे राज्य:
        • ‘छोटे राज्यों' की श्रेणी में मिज़ोरम और मेघालय ने अधिकतम वार्षिक क्रमिक प्रगति दर्ज की है।
      • केंद्रशासित प्रदेश:
        • केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में दिल्ली के बाद जम्मू और कश्मीर ने सबसे अच्छा क्रमिक प्रदर्शन किया है।
      • समेकित/ओवरआल:
        • वर्ष 2019-20 में समेकित सूचकांक अंक के आधार पर व्यापक रैंकिंग के तहत 'बड़े राज्यों' में केरल व तमिलनाडु, 'छोटे राज्यों' में मिज़ोरम व त्रिपुरा और केंद्रशासित प्रदेशों में दादरा एवं नगर हवेली व दमन व दीव तथा चंडीगढ़ शीर्ष रैकिंग वाले राज्य हैं।

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  • इंडेक्स का महत्त्व:
    • नीति निर्माण:
      • राज्य द्वारा इसका उपयोग नीति निर्माण और संसाधनों के आवंटन में किया जाता है।
        • यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्द्धी और सहकारी संघवाद दोनों का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
    • स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा:
      • यह सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा एवं क्रॉस-लर्निंग को प्रोत्साहित करता है।
        • इसका उद्देश्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मज़बूत स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने और सेवा वितरण में सुधार करना है।
    • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में सहायक:
      • इस अभ्यास से स्वास्थ्य संबंधी सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों में मदद मिलने की आशा है, जिसमें यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) और अन्य स्वास्थ्य परिणामों से संबंधित लक्ष्य शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में भूमिका:
      • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने हेतु सूचकांक को जोड़ने में MoHFW के निर्णय से इस वार्षिक रिपोर्ट के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।
  • सूचकांक की सीमाएँ:
    • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर नहीं किया गया:
      • कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्र जैसे- संक्रामक रोग, गैर-संचारी रोग (एनसीडी), मानसिक स्वास्थ्य, शासन और वित्तीय जोखिम संरक्षण के वार्षिक आधार पर डेटा की स्वीकार्य गुणवत्ता की अनुपलब्धता के कारण स्वास्थ्य सूचकांक में ये सभी क्षेत्र पूरी तरह से शामिल नहीं हैं।
    • सीमित डेटा:
      • कई संकेतकों के लिये स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में निजी क्षेत्र के डेटा की कमी और असमान उपलब्धता के कारण डेटा सार्वजनिक सुविधाओं में सेवा वितरण तक सीमित है।
        • परिणामी संकेतकों के लिये, जैसे- नवजात मृत्यु दर, पाँच वर्ष से कम मृत्यु दर, मातृ मृत्यु अनुपात और जन्म के समय लिंग अनुपात संबंधी डेटा केवल बड़े राज्यों के लिये उपलब्ध है।
    • बिना क्षेत्रीय सत्यापन के डेटा का उपयोग:
      • कई संकेतकों के लिये, स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) डेटा और अन्य कार्यक्रम संबंधी डेटा का उपयोग बिना किसी क्षेत्रीय सत्यापन के किया गया था, क्योंकि स्वतंत्र क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित करने में व्यवहार्यता की कमी देखी गई।

संबंधित पहल

स्रोत: पी.आई.बी.