प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Nov, 2022)



फुजिवारा प्रभाव

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, टाइफून हिन्नामनॉर और गार्डो नामक उष्णकटिबंधीय तूफान में फुजिवारा प्रभाव देखा गया है।

  • टाइफून हिन्नामनॉर, जिसे फिलीपींस में सुपर टाइफून हेनरी के नाम से जाना जाता है,जापान और दक्षिणी कोरिया में आया बहुत बड़ा एवं शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात था।

फुजिवारा प्रभाव:

  • परिचय:
    • मोटे तौर पर एक ही समय में और एक ही महासागर क्षेत्र में विकसित होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों के बीच 1,400 किमी से कम दूरी पर उनके केंद्रों के बीच किसी भी तरह की अंतः क्रिया को फुजिवारा प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
    • इसकी तीव्रता कम दबाव वाले क्षेत्र (डिप्रेशन) (63 किमी प्रति घंटे से कम वायु की गति) से एक सुपर टाइफून (209 किमी प्रति घंटे से अधिक वायु की गति) के बीच होती है।
    • इनके परस्पर अंतः क्रिया से दोनों तूफान प्रणालियों की दिशा और तीव्रता में परिवर्तन हो सकता है।
    • कभी कभी, इन तूफान प्रणालियों का विलय भी हो सकता है और एक बड़े तूफान का निर्माण हो सकता है, खासकर जब वे समान आकार और तीव्रता के हों।
  • फुजिवारा प्रभाव के विभिन्न तरीके हो सकते हैं:
    • प्रत्यास्थ परस्पर-क्रिया:
      • इस परस्पर-क्रियाओं में केवल तूफानों की गति की दिशा बदलती है और यह सबसे आम घटना है। यह ऐसी घटना है जिनका आकलन करना मुश्किल है एवं इनकी बारीकी से जाँच की ज़रूरत है।
    • पार्शियल स्ट्रेनिंग आउट:
      • इस परस्पर-क्रियाओं में लघु तूफान का एक हिस्सा वायुमंडल में विलीन हो जाता है।
    • कम्पलीट स्ट्रेनिंग आउट:
      • इस परस्पर-क्रियाओं में लघु तूफान पूरी तरह से वायुमंडल में विलीन जाता है और समान शक्ति के तूफानों के लिये दबाव नहीं होता है।
    • आंशिक विलय:
      • इस अंतःक्रिया में लघु तूफान, वृहद तूफान में विलीन हो जाता है।
    • पूर्ण विलय:
      • इसमें समान शक्ति वाले दो तूफानों के बीच पूर्ण विलय होता है।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष का प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. जेट धाराएँ केवल उत्तरी गोलार्द्ध में उत्पन्न होती हैं।
  2. केवल कुछ चक्रवातों में ही आँख विकसित होती है।
  3. चक्रवात की आँख के अंदर का तापमान आसपास के तापमान की तुलना में लगभग 10ºC कम होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 2
(D) केवल 1 और 3

उत्तर: (C)

व्याख्या:

  • जेट स्ट्रीम एक भूस्थैतिक पवन है जो क्षोभमंडल की ऊपरी परतों में पश्चिम से पूर्व की ओर 20,000-50,000 फीट की ऊंँचाई पर क्षैतिज रूप से बहती है। जेट स्ट्रीम विभिन्न तापमान वाली वायुराशियों के मिलने पर विकसित होती है। अतः सतह का तापमान निर्धारित करती है कि जेट स्ट्रीम कहाँ बनेगी। तापमान में जितना अधिक अंतर होता है जेट स्ट्रीम का वेग उतना ही तीव्र होता है। जेट धाराएँ दोनों गोलार्द्धों में 20° अक्षांश से ध्रुवों तक फैली हुई हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • चक्रवात दो प्रकार के होते हैं, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और शीतोष्ण चक्रवात। उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र को 'आंँख' के रूप में जाना जाता है, जहांँ केंद्र में हवा शांत होती है और वर्षा नहीं होती है। हालांँकि समशीतोष्ण चक्रवात में एक भी स्थान ऐसा नहीं है जहांँ हवाएंँ और बारिश नहीं होती है, अतः शीतोष्ण चक्रवात में आंँख नहीं पाई जाती है। अत: कथन 2 सही है।
  • सबसे गर्म तापमान आंँख/केंद्र में ही पाया जाता है, न कि आईवॉल बादलों में जहांँ तापमान उत्पन्न होता है। हवा केवल वहीं संतृप्त होती है जहांँ यह ऊर्ध्वाधर गति से ऊपर उठती है। आंँख के अंदर तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक और ओस बिंदु 0 डिग्री सेल्सियस से कम होता है। ये गर्म व शुष्क स्थितियांँ अत्यंत तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की आंँख के लिये विशिष्ट हैं। अत: कथन 3 सही नहीं है। अतः विकल्प (C) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शक्ति (SHAKTI) नीति

हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने शक्ति (भारत में पारदर्शी रूप से कोयले के दोहन और आवंटन योजना/ Scheme for Harnessing and Allocating Koyala Transparently in India/SHAKTI) नीति के B(v) के तहत वित्त, स्वामित्त्व और संचालन (Finance, Own and Operate- FOO) के आधार पर पाँच साल के लिये प्रतिस्पर्द्धी आधार पर 4500 मेगावाट की कुल विद्युत की खरीद हेतु एक योजना शुरू की है।

प्रमुख बिंदु

  • योजना के तहत PFC कंसल्टिंग लिमिटेड ने 4,500 मेगावाट की आपूर्ति के लिये बोलियाँ आमंत्रित की हैं।
    • PFC कंसल्टिंग लिमिटेड (PFC लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) को विद्युत मंत्रालय द्वारा नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
  • कोयला मंत्रालय से इसके लिये लगभग 27 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) आवंटित करने का अनुरोध किया है।
  • इस योजना से विद्युत की कमी का सामना कर रहे राज्यों को मदद मिलने की उम्मीद है और इससे उत्पादन संयंत्रों को अपनी क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

शक्ति नीति:

  • परिचय:
    • विद्युत मंत्रालय (MoP) ने 2017 में कोल नीति को मंजूरी दी, जिसे शक्ति (भारत में कोयला का दोहन और आवंटन पारदर्शी रूप से दोहन और आवंटन करने की योजना) के रूप में जाना जाता है।
    • इस नीति में उन विद्युत संयंत्रों को कोयला लिंकेज प्रदान किये गए हैं जिनके पास कोयला नीलामी के माध्यम से ईंधन आपूत करारों (FSA) की कमी है।
  • उद्देश्य:
    • शक्ति योजना का उद्देश्य भारत में सभी थर्मल पावर प्लांटों को कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, जो पारदर्शी और उद्देश्यपूर्ण हो।
    • यह योजना न केवल बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के लिये, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों हेतु भी फायदेमंद मानी जाती है, जिनके पास विद्युत कंपनियों द्वारा भारी ऋण चुकाया नहीं गया है।
    • इस योजना का उद्देश्य आयातित कोयले पर निर्भरता कम करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना भी है।

स्रोत: पी.आई.बी.


सेमी-ऑटोमेटेड ऑफसाइड टेक्नोलॉजी

फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) वर्तमान  में चल रहे फुटबॉल विश्व कप में ऑफसाइड फैसलों के लिये सेमी-ऑटोमेटेड ऑफसाइड टेक्नोलॉजी (SAOT) का उपयोग कर रहा है।

  • ऑफसाइड नियम अटैकिंग खिलाड़ियों को डिफेंडिंग टीम के गोल के सामने लगातार घेराव करने से रोकना है।

सेमी-ऑटोमेटेड ऑफसाइड टेक्नोलॉजी:

  • SAOT वीडियो मैच के अधिकारियों और ऑन-फील्ड अधिकारियों के लिये एक सहायक उपकरण है जो उन्हें तेज़ी से अधिक स्पष्ट जानकारी और अधिक सटीक ऑफसाइड निर्णय लेने में मदद करता है।
  • इस प्रौद्योगिकी के दो भाग हैं - मैच वाले बॉल के अंदर लगा एक संवेदक(सेंसर) जो सस्पेंशन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है और मौजूदा ट्रैकिंग उपकरण में भी लगा होता है जो वीडियो सहायक रेफरी (Video Assistant Referee- VAR) प्रणाली का हिस्सा है।
  • जब भी गेंद को मारा जाता है, संबंधित डेटा वास्तविक समय में (500 फ्रेम प्रति सेकंड की दर से) खेल के मैदान के चारों ओर स्थापित एंटीना के नेटवर्क पर भेजा जाता है।
  • इसके अतिरिक्त, टर्फ के चारों ओर 12 हॉक-आई कैमरे स्थापित किये गए हैं जो गेंद और खिलाड़ियों दोनों को कवर करते हैं, साथ ही मानव शरीर में 29 अलग-अलग बिंदुओं पर नज़र रखी जाती है।
  • बॉल सेंसर और हॉक-आई कैमरों का एक साथ आना SAOT का प्रभाव है।
  • ये दो डेटा सेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर के माध्यम से चलाए जाते हैं जो मैच अधिकारियों को ऑफसाइड के बारे में स्वचालित अलर्ट उत्पन्न करता है। यह अंत में मैन्युअल प्रयास को बदल देता है।

Semi-Automated

स्रोत: द हिंद


अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस

हाल ही में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली (दिल्ली चिड़ियाघर) ने अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस:

  • अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस को जगुआर के सामने बढ़ते खतरों और मेक्सिको से अर्जेंटीना तक इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने वाले महत्त्वपूर्ण संरक्षण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
  • प्रत्येक वर्ष 29 नवंबर को जैव विविधता संरक्षण के लिये एक महत्वपूर्ण प्रजाति, सतत् विकास और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका की सबसे बड़ी जंगली बिल्ली है।
  • संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों के तहत जगुआर कॉरिडोर और उनके आवासों के संरक्षण की ज़रूरत पर ध्यान आकर्षित करने के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साझीदारों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस संबंधित देशों की सामूहिक आवाज़ का प्रतिनिधित्त्व करता है।

Jaguar

जगुआर:

  • जगुआर लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ा मांसाहारी और एकमात्र बड़ी बिल्ली है, जो मेक्सिको से अर्जेंटीना तक 18 देशों में पाया जाता है।
  • इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा ओंका है
  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की खतरे वाली प्रजातियों की रेड लिस्ट में : “ संकटग्रस्त प्रजाति” के रूप में, जगुआर अल सल्वाडोर और उरुग्वे में विलुप्त है और शेष रेंज देशों में दबाव का सामना कर रहा है।
  • वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) सूची: परिशिष्ट I में आते हैं
  • जगुआर ने अपने प्राकृतिक आवास रेंज में 50% से अधिक नुकसान का अनुभव किया है।
  • जगुआर को अक्सर तेंदुए के रूप में समझा जाता है, लेकिन उनके शरीर पर हो रहे धब्बे से उन्हें विभेदित किया जा सकता है।
  • जबकि कई बिल्लियाँ पानी से बचती हैं, जगुआर अच्छे तैराक होते हैं और यहाँ तक कि पनामा नहर में तैरने के लिये भी जाने जाते हैं।
  • जगुआर की पहचान इसकी पूरी शृंखला में एक प्रजाति के रूप में की गई है, जो प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता के लिये इसके निवास स्थान के संबंध और संरक्षण को महत्त्वपूर्ण बनाती है।

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 नवंबर, 2022

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस

जगुआर के लिये बढ़ते खतरों और उसके अस्तित्त्व के संरक्षण के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। यह प्रतिवर्ष 29 नवंबर को मनाया जाता है। जैव विविधता संरक्षण, सतत् विकास और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा वाइल्ड कैट है। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली (दिल्ली चिड़ियाघर) ने 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्राणी उद्यान द्वारा जू-वॉक और बिग कैट्स एवं जगुआर पर एक्सपर्ट से बातचीत जैसी कई गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस दिवस का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में जगुआर कॉरिडोर और उनके आवासों के संरक्षण की ज़रूरत पर ध्यान आकर्षित करना है। जगुआर (पैंथेरा ओंका) को अक्सर तेंदुआ समझ लिया जाता है लेकिन उनके शरीर पर बने धब्बों के कारण आसानी से अंतर किया जा सकता है। वैसे इस प्रजाति के कई कैट्स पानी से दूर रहते हैं लेकिन जगुआर अच्छे से तैर सकते हैं। इन्हें पनामा नहर में तैरने के लिये भी जाना जाता है।

कार्बन संकलन, उपयोग और भंडारण नीति:

नीति आयोग ने 29 नवंबर को कार्बन संकलन, उपयोग और भंडारण-(Carbon capture, utilisation and storage- CCUS) नीति के ढाँचे का शुभारंभ किया। इससे संबंधित रिपोर्ट ऊर्जा और विद्युत क्षेत्र के विभिन्‍न पक्षों से प्राप्‍त बहुमूल्‍य सूचना के आधार पर तैयार की गई है। इससे पहले सरकार ने अपस्‍ट्रीम अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों के लिये वर्ष 2030 CCUS रोड मैप से संबंधित प्रारूप नीति को देश में सभी पक्षों से सुझाव लेने हेतु सार्वजनिक किया था। CCUS नीति ढाँचे का उद्देश्‍य भारत में कार्बन संकलन, उपयोग और भंडारण से संबंधित अनुसंधान एवं विकास में तेज़ी लाने के लिये एक व्‍यावहारिक ढाँचा विकसित तथा लागू करना है। चीन और अमरीका के बाद भारत तीसरा सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्‍सर्जन करने वाला देश है जो प्रतिवर्ष 2 दशमल 6 गीगा टन उत्‍सर्जन करता है। भारत के लिये अपने कार्बन उत्‍सर्जन को समाप्‍त करने का लक्ष्‍य हासिल करने हेतु कार्बन संकलन, उपयोग और भंडारण अत्‍यंत आवश्‍यक है। ग्‍लास्‍गो में विगत वर्ष प्रदूषण से संबंधित सम्‍मेलन में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2070 तक शून्य उत्‍सर्जन हासिल करने की घोषणा की थी। भारत सरकार वर्ष 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्‍सर्जन को आधा करने के लिये संकल्पित है। ऐसे में वर्ष 2070 तक कार्बन उत्‍सर्जन को शून्‍य करने में CCUS की महत्त्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका रहेगी।