प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Sep, 2025)



भारत का पहला एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान और देखभाल केंद्र

स्रोत: पी.आई. बी. 

आयुष मंत्रालय ने 10वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), गोवा में अपनी तरह के पहले एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान और देखभाल केंद्र (IORCC) का उद्घाटन किया। 

  • यह भारत का पहला ऐसा बहु-विषयक केंद्र है जो आयुर्वेद, योग, फिजियोथेरेपी, आहार चिकित्सा, पंचकर्म और मॉडर्न ऑन्कोलॉजी को एकीकृत करता है। 
  • यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों को एकीकृत करने पर केंद्रित है। 
  • राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 23 सितंबर को मनाया जाता है, जो प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है, तथा आयुर्वेद के मन, शरीर और आत्मा के संतुलन पर ज़ोर को दर्शाता है। 
  • थीम: मानव और धरती के लिये आयुर्वेद

Ayush System of Medicine

और पढ़ें: आयुर्वेद दिवस 2024 

साइफन-संचालित विलवणीकरण

स्रोत: PIB

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) द्वारा विकसित एक नई साइफन-आधारित तापीय विलवणीकरण प्रणाली समुद्री जल को स्वच्छ पेयजल में परिवर्तित कर सकती है। 

  • यह पारंपरिक सौर स्टिल की तुलना में तेज़, सस्ता और अधिक कुशल है तथा भारत की जल-तनाव की चुनौतियों का समाधान करता है। 
  • ऊष्मीय विलवणीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खारे पानी से शुद्ध पानी को वाष्पित करने के लिये ऊष्मा का उपयोग किया जाता है, जो लवणों को पीछे छोड़कर और वाष्प को मीठे पानी में संघनित करके प्राकृतिक जल चक्र का अनुकरण करता है। 
  • प्रकृति के जल चक्र का अनुसरण करने वाले पारंपरिक सौर स्टिल को लंबे समय से साधारण जल शोधक के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। हालाँकि, उन्हें दो चुनौतियों का सामना करना पड़ता है: 
    • नमक का जमाव, जहाँ वाष्पीकरण सतह पर पपड़ी बन जाती है, जिससे पानी का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। 
    • स्केलिंग सीमाएं, क्योंकि विकिंग सामग्री केवल 10-15 सेमी तक ही पानी उठा सकती है, जिससे सिस्टम का आकार और आउटपुट सीमित हो जाता है। 

साइफन-संचालित विलवणीकरण प्रणाली  

  • परिचय: यह साइफन (ट्यूब या बाती के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण-संचालित प्रवाह) के सिद्धांत का उपयोग करता है।  
  • यह तकनीक जलाशय से खारे पानी को खींचने के लिए एक मिश्रित साइफन (कपड़े की बत्ती + नालीदार धातु की सतह) का उपयोग करती है, जहाँ गुरुत्वाकर्षण निरंतर और सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करता है। साइफन, क्रिस्टलीकरण से पहले ही लवणों को बाहर निकाल देता है, जिससे नमक का जमाव रुक जाता है। 
  • इस प्रक्रिया में पानी एक पतली परत (thin film) के रूप में फैलकर वाष्पित होता है और फिर कुशलतापूर्वक संघनित होता है। इसके परिणामस्वरूप सूर्य के प्रकाश में प्रति वर्ग मीटर प्रति घंटे 6 लीटर से अधिक स्वच्छ पानी उत्पन्न होता है, जो पारंपरिक सौर आसवकों की तुलना में कई गुना अधिक है। 
  • महत्त्व: यह साइफन-संचालित विलवणीकरण इकाई कम लागत वाली, स्केलेबल और सतत् है, क्योंकि इसे एल्यूमीनियम और कपड़े जैसी साधारण सामग्रियों से तैयार किया जा सकता है। 
    • यह सौर ऊर्जा या अपशिष्ट ऊष्मा पर चलता है, ऑफ-ग्रिड और तटीय क्षेत्रों में काम करता है , और बिना रुकावट के उच्च लवणता वाले पानी (20% तक) का उपचार कर सकता है, जिससे यह खारे पानी के प्रबंधन में एक बड़ी उपलब्धि बन जाता है। 
    • अपशिष्ट ऊष्मा से विद्युत उत्पादन (WHP) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी मौजूदा तापीय प्रक्रिया द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा को एकत्रित कर लिया जाता है तथा उस ऊष्मा का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिये किया जाता है।
और पढ़ें: विलवणीकरण संयंत्र 

भूटान के साथ भारत का पहला सीमा पार रेल संपर्क

स्रोत: TH 

भारत ने भूटान के साथ अपने पहले रेलवे संपर्क की घोषणा की है। इसमें दो नई रेल लाइनें शामिल हैं—कोकराझार–गेलेफू (असम) और बनारहाट–समत्से (पश्चिम बंगाल), इनकी कुल लंबाई 89 किलोमीटर होगी। यह परियोजना भारत-भूटान द्विपक्षीय संपर्क को मज़बूत करने और क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है। 

भारत-भूटान

  • गेलेफू और समत्से: गेलेफू और समत्से भूटान में 700 किलोमीटर लंबी भारत-भूटान सीमा पर स्थित प्रमुख निर्यात-आयात केंद्र हैं। गेलेफू को "माइंडफुलनेस सिटी" के रूप में विकसित किया जा रहा है।  
  • भूटान सरकार द्वारा समत्से को एक औद्योगिक शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन शहरों और भारत के बीच संपर्क बढ़ाने से भारत-भूटान व्यापार को काफी बढ़ावा मिलेगा। 
  • सामरिक महत्त्व: ये रेलवे संपर्क भारत की पड़ोसी प्रथम नीति को सुदृढ़ करते हैं, दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करते हैं तथा विश्वास आधारित साझेदारी को गहरा करते हैं। 
    • भूटान के लिये भारत के साथ निर्बाध रेल संपर्क भारतीय रेलवे नेटवर्क के 1.5 लाख किलोमीटर तक पहुँच प्रदान करता है।  
    • चूँकि भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसके कुल व्यापार का लगभग 80% हिस्सा भारत के साथ होता है, इसलिये यह नया रेलवे संपर्क भूटान की वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच को भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से और अधिक सुलभ बनाएगा। साथ ही यह परियोजना पर्यटन, औद्योगिक विकास, लोगों के बीच संपर्क और माल की सुचारू आवाजाही को भी महत्त्वपूर्ण बढ़ावा देगी। 
  • भूटान को भारत की विकास सहायता: भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के लिये 10,000 करोड़ रुपये देने का वादा किया (12वीं पंचवर्षीय योजना का दोगुना)। 
  • असम के दर्रांगा में एक एकीकृत चेकपोस्ट का उद्घाटन किया गया ताकि भूटान सहित तीसरे देशों के नागरिकों की आवाजाही सुगम हो सके। जोगीघोफा अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल से भूटान को भी लाभ होगा। 
    • दोनों देशों ने अब तक पाँच प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं पर सहयोग किया है — चुखा, ताला, मंगदेछु, कुरिचु और हाल ही में पूरी हुई पुनात्सांगछु-II।
और पढ़ें..: भारत-भूटान संबंध

पातालकोट घाटी

स्रोत: PIB 

छिंदवाड़ा ज़िले (मध्य प्रदेश) के पातालकोट की सुदूर आदिवासी घाटी में प्रथम स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया गया, जो सरकारी सेवाओं की अंतिम छोर तक आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। 

पातालकोट घाटी 

  • यह पहाड़ियों से घिरी 79 वर्ग किलोमीटर की एक घोड़े की नाल के आकार की घाटी है। 
    • दूधी नदी (नर्मदा नदी की सहायक नदी) घाटी में प्रवाहित होती है। 
    • यहाँ गोंड और भारिया जनजातियाँ निवास करती हैं, जिन्हें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 
  • भू-विज्ञान: इस घाटी में आर्कियन युग (लगभग 2500 मिलियन वर्ष पुरानी) की प्राचीन चट्टानें हैं। चट्टानों की संरचना में शामिल हैं: 
    • ग्रेनाइट नीस, ग्रीन शिस्ट और क्वार्ट्ज। 
    • गोंडवाना तलछट जैसे संगठित बलुआ पत्थर, शेल्स, और कार्बनयुक्त शेल्स। 
    • शिलाजीत, एक मिश्रित कार्बन पदार्थ, ऊपरी क्षेत्रों में पैच के रूप में पाया जाता है। 
  • संस्कृति एवं पर्यटन: यह पर्यटन और स्थानीय सहभागिता को बढ़ावा देने के लिये अक्तूबर में वार्षिक सतपुड़ा साहसिक खेल महोत्सव का आयोजन करता है।
और पढ़ें: प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान