प्रिलिम्स फैक्ट्स (29 Sep, 2022)



दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने वर्ष 2020 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्रसिद्ध अभिनेत्री आशा पारेख को देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित होने वाले 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।

  • इससे पहले रजनीकांत (2019) और अमिताभ बच्चन (2018) को यह पुरस्कार मिल चुका है।

पुरस्कार के बारे में:

  • परिचय:
    • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों- फिल्म उद्योग में सम्मान का एक उच्च प्रतिष्ठित संग्रह, का हिस्सा है। इस पुरस्कार का नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वर्ष 1913 में भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र प्रस्तुत की थी।
    • इस पुरस्कार को भारतीय फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। यह "भारतीय सिनेमा की वृद्धि और विकास में उत्कृष्ट योगदान" के लिये दिया जाता है।
  • पृष्ठभूमि:
    • इस पुरस्कार की स्थापना सरकार द्वारा वर्ष 1969 में की गई थी। इस पुरस्कार के तहत एक 'स्वर्ण कमल', 10 लाख रुपए का नकद, एक प्रमाण पत्र, रेशम की एक पट्टिका और एक शॉल दिया जाता है।
    • यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री, जूरी के अध्यक्षों, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों तथा अखिल भारतीय सिने कर्मचारियों के परिसंघ (Confederation of All India Cine Employees) सहित वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है।
    • वर्ष 1969 में देविका रानी रोरिक को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

धुंडीराज गोविंद ‘दादासाहेब' फाल्के:

  • उनका जन्म वर्ष 1870 में महाराष्ट्र के त्र्यंबक में हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग और मूर्तिकला का अध्ययन किया तथा वर्ष 1906 में आई मूक फिल्म ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ देखने के बाद मोशन पिक्चर्स/चलचित्र में उनकी रुचि बढ़ी।
  • फिल्मों में आने से पहले फाल्के ने एक फोटोग्राफर के रूप में काम किया, एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक बने और यहाँ तक कि प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा के साथ भी काम किया।
  • वर्ष 1913 में,फाल्के ने भारत की पहली फीचर फिल्म (मूक) राजा हरिश्चंद्र की पटकथा लिखी, उसे निर्मित और निर्देशित किया। अपनी व्यावसायिक सफलता के परिणामस्वरूप फाल्के ने अगले 19 वर्षों में 95 अन्य फीचर फिल्मों के निर्माण के साथ ही 26 लघु फिल्में बनाईं।
  • उन्हें "भारतीय सिनेमा के जनक" (Father of Indian Cinema) के रूप में जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू


मंगल ग्रह पर बाढ़ के प्रमाण

वर्ष 2021 में मंगल ग्रह पर उतरे चीन के ज़ूरोंग रोवर को वहाँ भूमिगत परतों के अध्ययन में अरबों साल पहले आई बड़ी बाढ़ के सबूत मिले हैं।

  • रोवर ने अपने लैंडिंग स्थल यूटोपिया प्लैनिटिया, मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध में विशाल मैदानों का अध्ययन किया।
  • ये रोवर के रडार इमेजर के पहले परिणाम हैं। रडार से रेडियो तरंगें छोटे आकार और विद्युत आवेश को धारण करने की क्षमता को प्रकट करने के लिये भूमिगत सामग्री को उछाल देती हैं। प्रबल संकेत आमतौर पर बड़ी वस्तुओं को इंगित करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • रडार को 80 मीटर तक तरल जल का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन इसने अद्वितीय प्रतिरूप के साथ दो क्षैतिज परतों का पता लगाया।
    • 10 से 30 मीटर गहरी परत में बढ़ती गहराई के साथ परावर्तन संकेत प्रबल होते पाए गए।
    • 30 से 80 मीटर नीचे पुरानी, मोटी परत ने एक-समान प्रतिरूप प्रदर्शित किया।
  • पुरानी परतें (30 और 80 मीटर) शायद तेज़ी से बाढ़ का परिणाम हैं जो तीन अरब वर्ष पहले, मंगल ग्रह पर बहुत अधिक जल गतिविधियों के कारण इस क्षेत्र में तलछटंकी मौजूदगी को दर्शाता है।
  • ऊपरी परत (10 से 30 मीटर गहरी) लगभग 6 अरब वर्ष पहले एक और बाढ़ का परिणाम हो सकती है, जब बहुत अधिक हिमनद गतिविधियाँ रहीं।
  • रडार डेटा यह समझने के लिये पर्याप्त नहीं है कि भूमिगत सामग्री तलछट या ज्वालामुखी अवशेष हैं या नहीं।

ज़ूरोंग रोवर:

  • चीनी पौराणिक देवता अग्नि के नाम पर ज़ूरोंग, वर्ष 2021 में चीन के तियानवेन-1 अंतरिक्षयान द्वारा ले जाया जाने वाला चीन का पहला मार्स रोवर है
  • मिशन के दौरान ज़ूरोंग मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध पर यूटोपिया प्लैनिटिया के विशाल बेसिन का पता लगाएगा, जो संभवत: ग्रह के इतिहास के शुरुआती प्रभाव से बना था।
  • लगभग 240 किलोग्राम वजनी, 'ज़ूरोंग' रोवर नासा के स्पिरिट एंड अपॉर्चुनिटी रोवर्स से भारी है, लेकिन पर्सवेरेंस एंड क्यूरियोसिटी (NASA) के वजन का केवल एक-चौथाई है।
  • यह पुनः उपयोग योग्य सौर पैनलों द्वारा संचालित है और सात प्राथमिक उपकरणों- कैमरा, ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार, चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टर एवं मौसम स्टेशन के साथ स्थापित किया गया है।
  • रडार का उद्देश्य प्राचीन जीवन के संकेतों के साथ-साथ उपसतह पर जल की तलाश करना है।

मंगल ग्रह:

  • आकार और दूरी:
    • यह सूर्य से चौथे स्थान पर स्थित ग्रह है तथा सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
    • मंगल ग्रह आकार में पृथ्वी का लगभग आधा है।
  • पृथ्वी से समानता (कक्षा और घूर्णन):
    • मंगल ग्रह सूर्य की परिक्रमा करता है तथा अपने अक्ष पर 24.6 घंटे में घूर्णन करता है जो पृथ्वी के एक दिन (23.9 घंटे) की अवधि के अधिक नज़दीक है।
    • सूर्य की परिक्रमा करते समय मंगल अपने अक्ष पर 25 डिग्री तक झुका रहता है। मंगल का यह अक्षीय झुकाव पृथ्वी के समान होता है, जो कि 23.4 डिग्री पर झुकी होती है।
    • पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर भी अलग-अलग मौसम विद्यमान होते हैं, परंतु मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तुलना में मौसम की अवधि लंबी होती है, क्योंकि मंगल की सूर्य से अधिक दूरी होने के कारण इसका परिक्रमण काल अधिक होता है।
      • मंगल ग्रह पर दिनों को ‘सोल्स’ (सोलर डे- Solar Day) कहते हैं।
  • अन्य विशेषताएँ:
    • मंगल के लाल दिखने का कारण चट्टानों में लोहे का ऑक्सीकरण या जंग लगना और मंगल की धूल है। इसलिये इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है।
    • इसमें सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स है।
    • इसके दो छोटे चंद्रमा फोबोस और डीमोस हैं।

विभिन्न मंगल मिशन:

प्रश्न. ‘‘यह प्रयोग तीन ऐसे अंतरिक्षयानों को काम में लाएगा जो एक समबाहु त्रिभुज की आकृति में उड़ान भरेंगे जिसमें प्रत्येक भुजा एक मिलियन किलोमीटर लंबी है और यानों के बीच लेज़र चमक रही होंगी।’’ कथित प्रयोग किसे संदर्भित करता है?

(a) वॉयेजर-2
(b) न्यू होरायज़ंस
(c) LISA पाथफाइंडर
(d) इवोल्वड LISA

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • इवोल्वड लेज़र इंटरफेरोमीटर स्पेस एंटीना (eLISA) अंतरिक्ष में तीन अंतरिक्षयान, एक मूल और दो संबंधित अंतरिक्ष यान में स्थापित करने की योजना है, जो 50 मिलियन किमी से अधिक की दूरी पर सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में पृथ्वी को पीछे छोड़ते हुए त्रिकोणीय रूप में उड़ान भरेंगे। मूल से लेकर प्रत्येक संबंधित अंतरिक्षयान तक काल्पनिक त्रिभुज की प्रत्येक भुजा की माप लगभग एक मिलियन किमी होगी।
  • eLISA 0.1 मेगाहर्ट्ज़ से लगभग 100 मेगाहर्ट्ज़ तक आवृत्ति रेंज में गुरुत्वाकर्षण तरंगों को मापने का प्रयास करता है। इसे प्राप्त करने के लिये इंटरफेरोमीटर हेतु एक मिलियन किलोमीटर की लंबाई होनी आवश्यक है और यह पृथ्वी आधारित सेटअप के साथ प्राप्त करना असंभव है।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की कक्षा में अंतरिक्षयान भेजने वाला दूसरा देश बन गया।
  3. भारत पहले ही प्रयास में अपने अंतरिक्षयान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बन गया।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


विश्व हृदय दिवस

हृदय दिवस प्रत्येक वर्ष 29 सितंबर को मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • विषय:
    • यह सर्वप्रथम वर्ष 2000 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से मनाया गया था।
    • यह एक वैश्विक अभियान है जिसके माध्यम से महासंघ हृदय रोग (CVD) से होने वाली परेशानियों के खिलाफ लड़ाई में लोगों को एकजुट करता है और साथ ही स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को प्रेरित और संचालित करता है।इस दिवस हृदय यह रोग से बचाव और नियंत्रण के लिये किसी व्यक्ति द्वारा उठाए जाने वाले कदम के महत्त्व को रेखांकित करता है।
  • उद्देश्य:
    • इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य हृदय रोग, इसकी रोकथाम और दुनिया भर के लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • थीम:
    • विश्व हृदय दिवस की थीम है-’’यूज़ हार्ट फॉर एव्ररी हार्ट''(Use Heart For Every Heart)

हृदय रोग:

  • विषय:
    • CVD दिल और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है, सामान्य CVD में कोरोनरी हृदय रोग (दिल का दौरा),सेरेब्रोवास्कुलर बीमारी (स्ट्रोक) इत्यादि शामिल हैं।
  • वैश्विक परिदृश्य:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व स्तर पर वर्ष 2019 में अनुमानित 9 मिलियन लोगों की मृत्यु का मुख्य कारण हृदय रोग (CVD) है।
    • प्रति पाँच में से चार से अधिक मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं, और इनमें से एक तिहाई मौतें 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों में समय से पहले होती हैं।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • WHO के अनुसार, वर्ष 2016 में NCDs के कारण होने वाली कुल मौतों में भारत की हिस्सेदारी 63% है  जिनमें से 27% हिस्सेदारी CVDs की थी ।
    • 40-69 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली मौतों में 45% हिस्सेदारी CVDs की है।  
  • जोखिम:
    • हृदय रोग और स्ट्रोक के सबसे महत्त्वपूर्ण जोखिम कारकों में अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता के साथ तंबाकू का उपयोग और शराब का सेवन करना है ।
    • व्यवहार संबंधी जोखिम कारकों के प्रभाव व्यक्तियों में मध्यवर्ती जोखिम कारकों जैसे- रक्तचाप, रक्त शर्करा, रक्त लिपिड में वृद्धि  और मोटापा के रूप में दिखाई दे सकते हैं।

महाराष्ट्र की एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI) परियोजना:

  • परिचय :
    • महाराष्ट्र सरकार ने फरवरी 2021 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) द्वारा मान्यता प्राप्त एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI)  कार्यक्रम शुरू किया।
      • एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI) एक ऐसी स्थिति है  जिसके दौरान हृदय की प्रमुख धमनियों में से एक (हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों से भरपूर रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियाँ) पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है। 
  • उद्देश्य:
    • इस परियोजना का उद्देश्य महाराष्ट्र में सभी सरकारी स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में हृदय रोग के तेज़ी से निदान के साथ-साथ तृतीयक देखभाल सुविधाओं में हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम द्वारा समय पर उपचार, निदान के साथ उपचार में  लगने वाले समय को कम कर जीवन को बचाना है। 
  • उपलब्धि:
    • इसके लागू होने के एक वर्ष के भीतर महाराष्ट्र सरकार के STEMI ने छह मिनट से भी कम समय में आश्चर्यजनक रूप से 2,000 से अधिक लोगों को दिल के दौरे के दौरान त्वरित निदान प्रदान कर मदद की।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-असिस्टेड तकनीक का उपयोग करके लगभग 2.5 लाख लोगों की जाँच की गई है, जिससे रोगियों को तुरंत उपचार प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।

आगे की राह

  • तंबाकू का सेवन बंद करना, आहार में नमक की कमी, अधिक फल और सब्जियाँ खाना, नियमित शारीरिक गतिविधि एवं शराब के सेवन से बचना आदि द्वारा हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य नीतियाँ जो स्वस्थ विकल्पों को सस्ती और उपलब्ध बनाने के लिये अनुकूल वातावरण बनाती हैं, लोगों को स्वस्थ व्यवहार को अपनाने तथा बनाए रखने के लिये प्रेरित करने हेतु आवश्यक हैं।
  • CVD के उच्चतम जोखिम वाले लोगों की पहचान करना और यह सुनिश्चित करना कि उन्हें उचित उपचार मिले, ताकि समय से पहले होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
  • सभी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में गैर-संचारी रोग की दवाओं और बुनियादी स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों तक पहुँच यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि ज़रूरतमंद लोगों को उपचार और परामर्श प्राप्त हो।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


बांधवगढ़ के जंगलों में मिली बौद्ध गुफाएँ

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में बौद्ध गुफाओं और स्तूपों की खोज की है।

प्रमुख बिंदु

  • बौद्ध गुफाएँ:
    • बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय से संबंधित 26 बौद्ध गुफाओं को खोजा गया है, जो दूसरी और 5वीं शताब्दी की हैं।
    • गुफाओं और उनके कुछ अवशेषों में 'चैत्य' (गुंबद) दरवाज़ और पत्थर के बिस्तर थे जो महायान बौद्ध स्थलों में विशिष्ट थे।
  • ब्राह्मी लिपि में शिलालेख:
    • ब्राह्मी लिपि में 24 शिलालेख हैं, जो सभी दूसरी-पाँचवीं शताब्दी के हैं।
    • शिलालेखों में मथुरा और कौशांबी, पावता, वेजबरदा एवं सपतनैरिका जैसे स्थलों का उल्लेख है।
    • वे जिन राजाओं का उल्लेख करते हैं उनमें भीमसेना, पोथासिरी और भट्टदेव शामिल हैं।
  • मंदिरों के अवशेष:
    • 9वीं-11वीं शताब्दी के बीच कलचुरी काल के 26 मंदिरों के अवशेष और संभवत: दुनिया की सबसे बड़ी वराह मूर्तिकला भी इसी अवधि की है।
      • कलचुरी राजवंश जो गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला है, सबसे पुराने एलोरा और एलीफेंटा गुफा स्मारकों से भी जुड़ा है।
      • वराह मूर्ति भगवान विष्णु के 10 अवतारों की कई अखंड मूर्तियों में से एक है।
    • दो शैव मठ भी मिले हैं।
  • गुप्त काल के अवशेष:
    • गुप्त काल के कुछ अवशेष, जैसे कि दरवाज़े के जाम और गुफाओं में नक्काशी ंपाई गई है।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के प्रमुख बिंदु:

  • विषय:
    • वर्ष 1968 में, इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1993 में निकटवर्ती पनपथा अभयारण्य में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत एक बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • ऐतिहासिक महत्त्व : इसका उल्लेख 'नारद पंचात्र' और 'शिव पुराण' की प्राचीन पुस्तकों में पाया जा सकता है कि इस स्थान को रामायण से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
    • बांधवगढ़ किला "त्रेता युग" (हिंदू धर्म में मानव जाति के युगों में से एक) की एक महान कृति है।
    • यह सेंगर, कलचुरी और बघेल (माना जाता है कि इन्होने लंबे समय तक क्षेत्रों पर शासन किया) सहित प्रमुख राजवंशों द्वारा शासित था।
  • भौगोलिक पहलू: यह मध्य प्रदेश की बिल्कुल उत्तर-पूर्वी सीमा और सतपुड़ा पर्वत शृंखलाओं के उत्तरी किनारों पर स्थित है।
    • जलवायु: उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु क्षेत्र।
    • जलधाराएँ: इससे होकर 20 से अधिक जलधाराएँ बहती हैं जिनमें से कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण धाराएँ हैं जैसे- जोहिला, जनाध, चरणगंगा, दमनर, बनबेई, अंबानाला और अंधियारी झिरिया। ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में मिल जाती हैं। 
  • जैवविविधता: कोर ज़ोन में बाघों की काफी अधिक संख्या है। यहाँ स्तनधारियों की 22 से अधिक प्रजातियाँ और पक्षियों की 250 प्रजातियाँ हैं।
  • अन्य प्रजातियाँ : एशियाई सियार, बंगाली लोमड़ी,  स्लॉथ बियर, धारीदार लकड़बग्घा, तेंदुआ और बाघ, जंगली सुअर, नीलगाय, चिंकारा एवं गौर।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण:

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय के तहत राष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक  स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के स्थानों का प्रबंधन करता है।
  • इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक  स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं रखरखाव आदि शामिल हैं।
  • इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व  के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू


ICAO अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) ने मॉन्ट्रियल, कनाडा में ICAO सम्मेलन के 42वें सत्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।

  • भारत में कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा वर्ष 2015 में दुनिया का पहला पूर्ण सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा बन गया।

समझौता ज्ञापन (MoU):

  • यह समझौता ज्ञापन ISA की विरासत को आगे बढ़ाएगा।
  • यह आयोजन वैश्विक नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिये नई शुरुआत का प्रतीक है।
  • यह ISA के सभी सदस्य राज्यों में विमानन क्षेत्र के सौरीकरण को सक्षम करेगा।
  • इसका उद्देश्य विमानन क्षेत्र में CO2 उत्सर्जन की वृद्धि की जाँच करना है, ताकि भारत शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त सके।
  • यह सूचना एवं समर्थन प्रदान करने, क्षमता निर्माण और परियोजनाओं के प्रदर्शन की दिशा में काम करेगा।

भारत का शुद्ध शून्य कार्बन लक्ष्य:

  • भारत ने COP 26 में वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन लक्ष्य का संकल्प लिया है।
  • भारत ने 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करना है और वर्ष 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 33-35% की कमी होगी, ताकि सौर ऊर्जा की पहुँच को असंबद्ध गाँवों और समुदायों तक सुनिश्चित किया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन :

  • विषय:
    • वर्ष 2015 के दौरान भारत और फ्राँस द्वारा सह-स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के वितरण में वृद्धि के लिये एक सक्रिय तथा सदस्य-संचालित एवं सहयोगी मंच है।
      • इसका मूल उद्देश्य ऊर्जा तक पहुँच को सुविधाजनक बनाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और अपने सदस्य देशों में ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देना है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ ( One Sun One World One Grid - OSOWOG) को लागू करने हेतु एक नोडल एजेंसी है, जिसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को किसी दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना है।
  • मुख्यालय:
    • इसका मुख्यालय भारत में स्थित है और इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया जा रहा है।
  • सदस्य राष्ट्र:
    • कुल 109 देशों ने ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं और 90 देशों ने इसकी पुष्टि की है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश ISA में शामिल होने की पात्रता रखते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय  सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा:
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया है।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित तथा बेहतर सहयोग सुनिश्चित करने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा विकास में लाभ होगा।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन:

  • यह संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की एक विशिष्ट एजेंसी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1944 में की गई थी। जिसने शांतिपूर्ण नागरिक उड्डयन संबंधी मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी।  
    • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संबंधी अभिसमय/कन्वेंशन पर 7 दिसंबर,1944 को शिकागो में हस्ताक्षर किये गए थे। इसलिये इसे शिकागो कन्वेंशन भी कहते हैं। 
    • शिकागो कन्वेंशन ने वायु मार्ग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय परिवहन की अनुमति देने वाले प्रमुख सिद्धांतों की स्थापना की और ICAO के निर्माण का भी नेतृत्व किया।
  • भारत इसके 193 सदस्यों में शामिल है।
  • इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 सितंबर, 2022

खाद्य हानि और अपशिष्ट के बारे में जागरूकता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2022

19 दिसंबर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 29 सितंबर को खाद्य हानि और अपशिष्ट के प्रति जागरूकता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया। UNGA ने रेखांकित किया कि इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस का पालन भोजन के नुकसान और कचरे को कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा। यह दिवस वर्ष 2020 से प्रत्येक वर्ष  मनाया जाता है, वर्ष 2022 में इसके तीसरे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) इस दिवस का पालन सुनिश्चित किये जाने की दिशा में प्रयासरत हैं। यह दिवस सार्वजनिक एवं निजी संस्थाओं से भोजन के नुकसान व बर्बादी को कम करने के लिये मिलकर काम करने का आह्वान करता है। खाद्य हानि तथा अपशिष्ट कुल वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG)  का 8-10 प्रतिशत है। दुनिया भर की सरकारों को भोजन के नुकसान और अपशिष्ट को कम करने के लिये सहयोग करने व समाधान खोजने की ज़रूरत है। यह ध्यान देने योग्य है कि यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएँ सामान्य हो जाएंगी।

वालेरी  पॉलाकोव

19 सितंबर, 2022 को रुसी अंतरिक्ष यात्री वालेरी पॉलाकोव का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अंतरिक्ष में अकेले 437 दिन बिताने वालेरी पॉलाकोव का रिकॉर्ड 8 जनवरी, 1994 को शुरू हुआ था। सोवियत अंतरिक्ष स्टेशन मीर पर सवार रहते हुए उन्होंने 22 मार्च, 1995 को पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व 7,000 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की। इससे पहले पॉलाकोव ने वर्ष 1988-89 में एक मिशन के दौरान 288 दिन अंतरिक्ष में बिताये थे, यह अंतरिक्ष में उनका पहला मिशन था। वह 8 महीने बाद वर्ष 1989 में पृथ्वी पर लौटे। उन्होंने मॉस्को में इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल प्रॉब्लम्स के उप निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वे वर्ष 1999 में एक प्रयोग SFINCSS-99 (Simulation of Flight of International Crew on Space Station) का हिस्सा रहे। उनकी 437 दिनों की उड़ान ने यह समझने में मदद की कि मंगल पर लंबी अवधि के मिशन के दौरान मानव शरीर ने सूक्ष्म गुरुत्त्वाकर्षण वातावरण के प्रति कैसे प्रतिक्रिया दी। इस मिशन से प्राप्त जानकारी का उपयोग यह निर्धारित करने के लिये किया गया है कि क्या मनुष्य लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाए रखने में सक्षम हैं।